MP में 230 विधानसभा सीटें, लेकिन 46 ‘खास’ सीटों पर बीजेपी-कांग्रेस दोनों रख रहे पैनी नजर! क्या है मामला?

अभिषेक शर्मा

ADVERTISEMENT

Shivraj Singh Chouhan, Kamal Nath, Chhindwara, politics, madhya pradesh, MP News, Nakulnath
Shivraj Singh Chouhan, Kamal Nath, Chhindwara, politics, madhya pradesh, MP News, Nakulnath
social share
google news

MP POLITICAL NEWS: मध्यप्रदेश विधानसभा में कुल 230 सीटें हैं लेकिन बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों की पैनी नजर प्रदेश की 46 खास सीटों पर लगी हुई है. ये वो 46 सीटें हैं, जहां 2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस के बीच हार-जीत का अंतर बेहद मामूली रहा था. कहीं पर 5 हजार से कम तो कहीं पर 2 हजार से कम वोटों से हार-जीत तय हुई थी. इन्हीं 46 सीटों में कुछ ऐसे भी सीटें थीं जहां पर हार-जीत का अंतर 1 हजार से भी कम वोटों का रहा.

2018 के विधानसभा चुनाव में सबसे कम वोटों से हार-जीत तय होने वाली सीट थी ग्वालियर दक्षिण विधानसभा. यहां पर मात्र 165 वोटों के अंतर से कांग्रेस प्रत्याशी प्रवीण पाठक ने यह सीट बीजेपी के प्रत्याशी और तत्कालीन जेल राज्य मंत्री नारायण सिंह कुशवाह को हराकर जीती थी.

मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनावों के इतिहास में इसे सबसे कम वोटों के अंतर से हार-जीत होना बताया गया था. अब ऐसी ही सीटों पर बीजेपी और कांग्रेस अपनी-अपनी चुनावी रणनीति के साथ आगामी विधानसभा चुनावों को देखते हुए कोशिशों में लगी हैं कि इस बार वोट प्रतिशत बढ़े और कम मार्जिन से जीत-हार न हो.

ADVERTISEMENT

यह भी पढ़ें...

पहले पढ़ें बीजेपी की प्लानिंग
बीजेपी के मंदसौर से विधायक और प्रदेश प्रवक्ता यशपाल सिंह सिसोदिया बताते हैं कि बीजेपी इस बार नहीं चाहती कि किसी भी सीट पर जीत मामूली वोटों से हो. हमने अपनी पड़ताल में ऐसी 46 सीटों का आकलन कर लिया है जहां पर 2018 के चुनाव में हमें मामूली वोटों के अंतर से सीटें गवानी पड़ी थीं. हम अपने बूथ लेवल कार्यकर्ताओं के जरिए इन सीटों पर काम करना शुरू कर चुके हैं. हमारा पूरा फोकस इन 46 सीटों पर हर हाल में वोट प्रतिशत बढ़ाना है. अधिकतर सीटों पर बीजेपी अच्छे अंतर से जीतेगी. लेकिन 46 सीटें जो हमने पिछले विधानसभा चुनावों में गंवा दी थीं. उन पर हमारा विशेष ध्यान है. ये 46 सीटें यदि हम नहीं हारते तो कांग्रेस कभी भी सत्ता में वापिसी नहीं कर पाती. सिसोदिया बताते हैं कि जनता के बीच विकास यात्रा के साथ ही हम मैन टू मैन टच करने की रणनीति पर काम कर रहे हैं.

अब पढ़ें कांग्रेस की प्लानिंग
मध्यप्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष रामनिवास रावत बताते हैं कि बीजेपी जिन 46 सीटों पर 2018 के विधानसभा चुनाव में हमसे मामूली वोटों के अंतर से हारी थी. हमारा ध्यान भी उन्हीं 46 सीटों पर सबसे अधिक है. बीजेपी इन सीटों पर पैनी निगाह रख रही है तो हम बीजेपी की हर एक्टिवटी पर पैनी निगाह रख रहे हैं. रावत बताते हैं कि हाथ से हाथ जोड़ो अभियान के दौरान ही हमने अपने सभी कार्यकर्ताओं को इन 46 सीटों के बारे में बता दिया था. हम भी नहीं चाहते हैं कि 2023 के विधानसभा चुनाव में जीत-हार का अंतर मामूली वोटों से हो. हमारा लक्ष्य है कि इन सभी 46 सीटों पर जीत कम से कम 10 हजार वोटों से अधिक के अंतर से होनी चाहिए और इसी को ध्यान में रखते हुए हमने चुनावी रणनीति तैयार की है. हमारे कार्यकर्ता लगातार इन 46 सीटों पर समाज के हर प्रभावशील वर्ग और उनके प्रमुख लोगों से संपर्क बनाने में जुटे हुए हैं. हमें भी पता है कि ये 46 सीटें ही 2023 के विधानसभा चुनावों की तस्वीर साफ करेंगी.

ADVERTISEMENT

ये हैं वो सीटें, जिन पर 2018 के चुनाव में हार-जीत का अंतर बेहद कम रहा था
2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने ग्वालियर दक्षिण, दमोह, पथरिया, नेपानगर जैसी परंपरागत सीटें भी मामूली अंतर से गंवा दी थी. इनमें एक हजार से भी कम अंतर से ग्वालियर दक्षिण, सुवासरा, जबलपुर-उत्तर, राजनगर, दमोह, ब्यावरा, राजपुर सीटें कांग्रेस ने जीती थीं. दो हजार के कम अंतर से बीजेपी मांधाता, नेपानगर, गुन्नौर सीटें हार गई थी. तीन हजार के कम अंतर से बीजेपी ने जोबट, मुंगावली, पथरिया, तराना, पिछोर, सांवेर सीटें गंवा दी थी. चार हजार के कम अंतर से छतरपुर, वारासिवनी की सीटें कांग्रेस ने जीती थीं. 5 हजार से कम अंतर से चंदेरी, देवरी, घटिया, पेटलावद सीटों को बीजेपी हारी थी.

ADVERTISEMENT

छिंदवाड़ा में विकास यात्रा का विरोध, कांग्रेस और भाजपा आई आमने-सामने

    follow on google news
    follow on whatsapp

    ADVERTISEMENT