Ganesh Chaturthi 2023: किसी को विदेशी नोट एकत्रित करने का शौक होता है, किसी को समपत्ति. लेकिन शाजापुर (Shajapur) में ऐसा परिवार है, जिन्हें बप्पा (Ganpati Bappa) की प्रतिमाएं (Ganesh Idols) एकत्रित करने का शौक है. इनके पास एक नहीं, बल्कि 20 हजार प्रतिमाएं हैं, जो हर राज्य और हर शहर से एकत्रित की हुई हैं. ये लोग जहां भी जाते हैं वहां से कुछ और नहीं केवल बप्पा की प्रतिमाएं ही लाते हैं. यही वजह है कि इनके घर में शोपीस नहीं बल्कि बप्पा ही नजर आते हैं. इनके मूर्ति कलेक्शन के आगे दुकानें भी छोटी नजर आती हैं.
गणेश उत्सव (Ganesh Utsav) शुरू में कुछ ही दिन बाकी हैं, लेकिन हर जगह उत्साह और धूम दिखाई देने लगी है. गणेश उत्सव के दौरान बप्पा की मूर्तियां लाने और फिर उन्हें विदा कर नदी में विसर्जन करने की परंपरा रही है. लेकिन शाजापुर में एक परिवार ऐसा है जो हर जगह से बप्पा की प्रतिमाएं लाता है और उन्हें एकत्रित करता है. उनके घर में 20 हजार से अधिक गणेश जी की अलग-अलग मूर्तियां हैं.
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इतने राज्यों से लाए मूर्तियां
ये भक्त हैं लालपुरा निवासी होटल व्यवसायी रामकृष्ण भावसार. जिन्होंने बप्पा की हर तरह की प्रतिमाएं अपने घर में रखी हुई हैं. अपने परिवार या दोस्तों के साथ ये कहीं भी घूमने जाते हैं या किसी पारिवारिक आयोजन में भी शामिल होते हैं तो उस शहर से बप्पा की सबसे सुंदर प्रतिमा खरीदना नहीं भूलते. रामकृष्ण ने बताया कि पहले उनके पिता स्व. आनंदीलाल भावसार प्रतिमाएं खरीदकर लाते थे और उन्हीं की प्रेरणा से आज वे इस क्रम को आगे बढ़ा रहे हैं.
आज स्थिति ये है कि इनके यहां मध्य प्रदेश के अलावा महाराष्ट्र, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, राजस्थान के कई शहरों की आकर्षक प्रतिमाएं उपलब्ध हैं जिनकी सुंदरता देखते ही मन मोह लेती हैं. रामकृष्ण के मुताबिक उनके यहां अब तक 800 से अधिक प्रतिमाएं हैं जो एक नहीं बल्कि हर शहर से एकत्रित की हुई हैं.
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बप्पा के पूजन से करते हैं दिन की शुरुआत
बस स्टैंड पर होटल का व्यवसाय करने वाले रामकृष्ण और उनके परिवार के दिन की शुरुआत बप्पा की आराधना से होती है. इसके बाद ही वे घर से निकलते हैं. केवल वे ही नहीं बल्कि उनके घर का हर सदस्य बप्पा को प्रणाम कर और उनका आशीर्वाद लेकर ही घर से निकलते हैं. वे बताते हैं कि जब भी हमने खुद को संकट में पाया बप्पा ने हमे उससे उबारा है, इसलिए हमारे पूरे परिवार की उनसे विशेष आस्था है और गणेश चतुर्थी से लेकर अनंत चतुर्दशी पर्व तक उनके यहां विशेष आयोजन होते हैं.
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