GUNA NEWS: गुना की राघोगढ़ विधानसभा क्षेत्र में आने वाली नारायणपुरा शक्कर कारखाने को खुलवाने के लिए स्थानीय किसानों ने महापंचायत शुरू कर दी है. यह कारखाना वर्ष 2015 में बंद हो गया था. जिसके बाद से स्थानीय गन्ना किसान इस कारखाने को खुलवाने और इसे पुर्नजीवित करने की मांग कर रहे हैं. किसानों की महापंचायत के शुरू होते ही स्थानीय विधायक और पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह के पुत्र जयवर्धन सिंह भी पहुंच गए. किसानों की महापंचायत को संबोधित करते हुए जयवर्धन सिंह ने बीजेपी सरकार पर कारखाने को बंद कराने के आरोप लगाए.
नारायणपुरा शक्कर फैक्ट्री को खुलवाने की मांग को लेकर 40 गांवों के किसानों ने महापंचायत शुरू की है. इस महापंचायत के जरिए गन्ना किसान मांग कर रहे हैं कि वर्ष 2008 से लेकर वर्ष 2015 तक गन्ना किसानों को उनकी फसल का उचित मूल्य नहीं मिला था, जिसके कारण उनको घाटा हो गया था जो लगभग 5 करोड़ रुपए है. गन्ना किसान मध्यप्रदेश सरकार से 5 करोड़ रुपए का भुगतान किए जाने की भी मांग कर रहे हैं. इसके साथ ही किसानों का कहना है कि गुना क्षेत्र के गन्ना किसानों को नारायणपुरा शक्कर कारखाने से बड़ी मदद मिलती थी, इसलिए इस कारखाने को फिर से शुरू कराने में प्रदेश सरकार मदद करे.
हमने मंजूर किए थे 13 करोड़, बीजेपी ने सरकार गिरा दी- जयवर्धन सिंह
किसानों की महापंचायत में पहुंचे स्थानीय विधायक जयवर्धन सिंह ने आरोप लगाए कि ‘हमारी 15 महीने की कांग्रेस सरकार के दौरान हम लोगों ने नारायणपुरा क्षेत्र के गन्ना किसानों को हुए घाटे की भरपाई के लिए 13 करोड़ रुपए की राशि मंजूर की थी, लेकिन बीजेपी के लोगों ने षडयंत्र करके हमारी सरकार ही प्रदेश में गिरा दी थी. जिसके कारण गन्ना किसानों को उनको हुए घाटे का भुगतान आज तक नहीं हो सका है’. जयवर्धन सिंह ने कहा कि ‘वर्ष 2000 में उनके पिता और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने नारायणपुरा शक्कर कारखाने को स्थापित कराया था. उस समय 43 करोड़ रुपए की लागत से तैयार किया गया यह कारखाना सहकारिता के क्षेत्र में बड़ा प्रयोग साबित हुआ था, जिसकी वजह से स्थानीय स्तर पर 150 लोगों को रोजगार भी मिला था. लेकिन आज इस कारखाने के बंद हो जाने से सभी बेरोजगार हो गए और गन्ना किसान अपनी फसल के उचित मूल्य के लिए परेशान हो रहा है’.
ऐसा था नारायणपुरा शक्कर कारखाना
नारायणपुरा शक्कर कारखाने में प्रतिदिन 2500 बोरी शक्कर का उत्पादन किया जाता था. उत्पादन क्षमता के कारण फेक्ट्री को ‘ए’ ग्रेड में रखा गया था. लेकिन घाटे के चलते नारायणपुरा शक्कर कारखाने को बंद कर दिया गया। तब से ही स्थानीय किसान इस फैक्ट्री को दोबारा से शुरू किए जाने की मांग कर रहे हैं. इस मामले में अभी तक प्रदेश के सहकारिता मंत्री अरविंद भदौरिया की तरफ से कोई बयान सामने नहीं आया है.