KHARGONE NEWS: मध्यप्रदेश में लैब टेक्निशियन अपनी विभिन्न मांगों को लेकर हड़ताल पर चल रहे हैं. लेकिन खरगोन में लैब टेक्निशियन 24 दिन से हड़ताल पर बैठे हैं और इसकी वजह से अस्पताल में कोई जांच नहीं हो रही है. जिला अस्पताल में मरीज परेशान हो रहे हैं. नसबंदी कराने आईं महिलाएं चक्कर लगाने को मजबूर हैं. लेकिन पिछले 24 दिन से न तो लैब टेक्निशियन हड़ताल से वापस आए हैं और न ही अस्पताल प्रबंधन ने मरीजों की सुविधा के लिए कोई वैकल्पिक व्यवस्था की करा पा रहा है.
खरगोन में लैब टेक्निशियन की 24 दिनों से जारी अनिश्चितकालीन हड़ताल की वजह से जिला अस्पताल में मलेरिया, डेंगू जैसी महत्वपूर्ण जांच अभी नहीं हो पा रही हैं. एचआईवी, हेपेटाइटिस बी सहित कई जरूरी जांचे भी अधर में लटकी हुई हैं. शिविर नहीं लगने से लोग ब्लड डोनेट नहीं कर पा रहे हैं. यहां तक की नसबंदी कराने आई महिलाओं की जिला अस्पताल के चक्कर लगाने से फजीहत हो रही है. बीते रविवार को जिला अस्पताल में 4 घण्टे तक नसबंदी कराने आई महिलाएं परेशान हुईं.
परेशान महिलाओं ने किया हंगामा
बीते रविवार को महिलाएं जिला अस्पताल में आयोजित नसबंदी शिविर में ऑपरेशन कराने पहुंची थीं. इस दौरान खरगोन सहित आसपास के गांवो से महिलाएं नसबंदी शिविर में ऑपरेशन कराने के लिए सुबह 7 बजे से ही अपने छोटे छोटे बच्चो और परिजनो के साथ पहुंच गई थी. नसबंदी ऑपरेशन के पूर्व विभिन्न जांचे की जानी थीं लेकिन लेब टेक्नीशियनो की 24 दिन से चल रही हड़ताल के चलते लैब पर ताला डला था. जिसके कारण 50 से अधिक महिलाएं लगभग 4 घंटे तक परेशान होती रही. सिविल सर्जन डॉ अमर सिंह चौहान को जब इस बात की जानकारी दी गई, तब उन्होंने रोगी कल्याण समिति में पदस्थ एक लैब असिस्टेंट को भेजकर वैकल्पिक व्यवस्था की. तब कहीं जाकर महिलाओ की जांचे हो पाईं. यही हाल जिला अस्पताल में रोजाना का हो गया है.
13 सूत्रीय मांगों को लेकर लैब टेक्निशियन कर रहे हड़ताल
खरगोन सहित प्रदेशभर में 24 दिनों से लैब टेक्निशियन द्वारा अपनी 13 सूत्रीय मांगो को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल की जा रही है. जिसमें पद नाम बदलने, रिक्त पदाें को भरने, रिस्क एलाउंस देने, वेतन बढ़ोत्तरी करने, ग्रेड पे रिवाइज करने, नियमित पदों की संख्या बढ़ाने सहित कई अन्य मांगे हैं, जिन्हें लेकर लैब टेक्निशियन इन दिनों प्रदेशभर में हड़ताल कर रहे हैं. हड़ताल को देखते हुए हर जिले में वैकल्पिक व्यवस्था की गई है लेकिन खरगोन में वैकल्पिक व्यवस्था ना होने से मरीज परेशान हो रहे हैं.