Mahakaleshwar Sawari in Ujjain: उज्जैन के भूतभावन भगवान महाकाल की कार्तिक और अगहन मास की पहली सवारी सोमवार को निकाली गई. शाम 4 बजे भगवान का विधि-विधान से पूजा-अर्चना की गई. फिर चांदी की पालकी में सवार बाबा महाकाल प्रजा का हाल जानने निकले.

महाकाल मंदिर से शुरू हुई सवारी गुदरी चौराहा, कहारवाड़ी होते हुए रामघाट पहुंची. यहां पूजन अभिषेक के बाद वापसी में सवारी रामघाट से गणगौर दरवाजा, मोढ़ की धर्मशाला, खाती का मंदिर, ढाबा रोड, छत्री चौक, गोपाल मंदिर, पटनी बाजार, देर शाम वापस मंदिर पहुंची.

महाकालेश्वर मंदिर की सदियों से चली आ रही परंपरा के अनुसार कार्तिक और अगहन महीने में भगवान महाकाल की चार सवारियां निकाली जाती हैं. पहली सवारी निकालने से पहले मंदिर के सभामडंप में भगवान के मुखौटे का पूजन किया गया.

बैकुंठ चतुर्दशी पर सौंपेंगे सृष्टि का भार
अब 25 नवंबर को वैकुंठ चतुर्दशी पर भी महाकाल की सवारी निकाली जाएगी। इस दिन भगवान महाकाल रात 11 बजे पालकी में सवार होकर आधी रात 12 बजे गोपाल मंदिर पहुंचेंगे. यहां हरि-हर का मिलन होगा. कहा जाता है कि वैकुंठ चतुर्दशी पर भगवान महाकाल श्री हरि को सृष्टि का भार सौंपने गोपाल मंदिर तक जाते हैं. इसके अलावा, 27 नवंबर सोमवार, 4 दिसंबर और 11 दिसंबर को भी सवारियां निकाली जाएंगी.

भक्त ने महाकाल को चढ़ाए 7 किलो चांदी के आभूषण
पुणे के एक भक्त ने भगवान महाकाल को सोमवार को 5 लाख रुपए कीमत के चांदी के आभूषण चढ़ाए. इनमें 1 चांदी का मुकुट, 1 मुंडमाला (11 मुंडों की माला), 2 कुंडल शामिल हैं. इनका वजन 7 किलो 182 ग्राम है. मंदिर समिति ने बताया कि मंदिर प्रबंध समिति की ओर से भक्त को चांदी के आभूषण की रसीद भी दी गई है.