26 साल बाद शिवपुरी के माधव राष्ट्रीय उद्यान में बाघिन की एंट्री, सुनाई देगी दहाड़
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Shivpuri News: बाघ विहीन हो चुके शिवपुरी के माधव राष्ट्रीय उद्यान में अब 26 वर्ष के बाद फिर से बाघों की दहाड़ सुनाई देगी. NTCA (राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण) की अनुमति मिलने के बाद बाघ पुनर्स्थापना योजना के अंतर्गत बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व से आज एक बाघिन को विशेष वाहन से शिवपुरी भेजा गया.
बता दें कि मध्यप्रदेश के श्योपुर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस तरह से कूनो में चीता प्रोजेक्ट के तहत चीते छोड़े थे अब उसी तरह से शिवपुरी के माधव राष्ट्रीय उद्यान में आज तीन बाघ छोड़े गए थे. अब आज माधव राष्ट्रीय उद्यान में बाघिन को लाया जा रहा है.
23 साल पहले देखा गया था आखिरी बाघ
मध्यप्रदेश के दो राष्ट्रीय उद्यान पन्ना टाइगर रिजर्व और शिवपुरी का माधव राष्ट्रीय उद्यान बाघ विहीन हो गए थे. पन्ना टाइगर रिजर्व में वर्ष 2009 में बाघ पुनर्स्थापना योजना शुरू की गई और अब यहां करीब 78 बाघ हो गए हैं. माधव राष्ट्रीय उद्यान में 1997 में आखिरी बार बाघ देखा गया था. पन्ना की तर्ज़ पर अब राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण की अनुमति मिलने के बाद शिवपुरी में भी बाघ पुनर्स्थापना योजना शुरू की जा रही है. इसके लिए बाघ की बहुलता वाले टाइगर रिजर्व बांधवगढ़ और कान्हा से नर और मादा बाघिन शिवपुरी भेजी जा रही हैं.
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शेष वाहन से शिवपुरी लाया जा रहा बाघिन को
पन्ना में बाघों को पुनः बसाने की योजना में भी बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व की भूमिका रही थी, उस समय भी यहां से मादा बाघिन पन्ना के लिए भेजी गई थी. अब माधव राष्ट्रीय उद्यान में भी बाघ पुनर्स्थापना योजना में बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने जा रहा है. पनपथा बफर परिक्षेत्र से एक बाघिन को 04 मार्च को रेस्क्यू किया गया था. जिसे आज विशेष वाहन से शिवपुरी के लिए रवाना किया गया. गौरतलब है बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व पूरी दुनिया में बाघों की सर्वाधिक घनत्व वाला पार्क है. वर्तमान में भी यहाँ बाघों की जनसंख्या 140 के करीब है.
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