एशिया की सबसे बड़ी कुबेर प्रतिमा MP के विदिशा में, धनतेरस को होती है पूजा-अर्चना
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MP News: मध्य प्रदेश के विदिशा में कुबेर की सबसे प्राचीन और सबसे बड़ी प्रतिमा है. ईसापूर्व दूसरी शताब्दी की कुबेर की प्रतिमा के दर्शन करने के लिए धनतेरस पर लोग पहुंचते हैं. यह मूर्ति आज संग्रहालय में रखी हुई है. लोग कहते हैं कि वैभव और समृद्धि की कामना को लेकर धनतेरस के दिन यहां जरूर दर्शन करना चाहिए. बताया जाता है भगवान कुबेर स्वर्ग के धन के देवता माने जाते हैं. जिले में धन की कोई कमी न आए, इसको लेकर विदिशा के लोगों ने जिला संग्रहालय में पूजा अर्चना की. साल 2005 से कुबेर देवता की पूजा यह शहर में लगातार करते आ रहे हैं.
सबसे बड़ी खास बात तो यह है कि जिला संग्रहालय में कुबेर देवता की यह प्रतिमा एशिया में सबसे बड़ी प्रतिमा मानी जाती है. बताया जाता है देशभर में भगवान कुबेर की 4 प्रतिमाएं हैं. एशिया की सबसे बड़ी प्रतिमा विदिशा जिला संग्रहालय में रखी है. विदिशा ऐतिहासिक दृष्टि से सम्राट अशोक की ससुराल कही जाती है. विदिशा का नाम पहले भेलसा था. सम्राट अशोक ने यहां की युवती देवी से विवाह किया था. यही कारण कि विदिशा में समय-समय पर पुरातन संपदा मिलती रहती है. कभी खुदाई में तो कभी जंगलों में शैलचित्र विदिशा के इतिहास का प्रमाण देते हैं.
जिला संग्रहालय के प्रवेश द्वार पर मौजूद विशाल कुबेर प्रतिमा विदिशा जिले और हमारी पुरा संस्कृति की शान मानी जाती है. बैस नदी से मिली कुबेर महाराज की यह प्रतिमा 12 फीट ऊंची है. इसकी कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमत करोड़ों में आंकी गई है. पृथ्वी पर मान्य 10 दिग्पालों में कुबेर का नाम भी शामिल है. इन्हें ऐश्वर्य और धन के प्रतिनिधि देवता के रूप में पूजा जाता है.
कैसे हुई थी मुर्ति की पहचान?
इस प्रतिमा के इतिहास की बात करें तो “कुछ दशक पहले मुख्यालय के नजदीकी बेस नदी में मिली थी. बड़ी चट्टान समझ कर लोग इसपर कपडे धोते थे. एक वर्ष बारिश कम होने के कारण जब बेस नदी का पानी कम हुआ. तब मूर्ति नुमा पत्थर दिखाई दिया. इसे पलट कर देखा तो भगवान कुबेर की ये प्रतिमा थी. जो एक ही पत्थर से निर्मित की गई थी. आज बड़ी संख्या में लोग यहां पूजा अर्चना करने के लिए जिला संग्रहालय आते हैं. और पूजा करते हैं. खास बात यह है कि जिला संग्रहालय में करीब साढे 6 फीट की एक यक्षी की प्रतिमा भी है जो भगवान कुबेर की पत्नी मानी गई है. उनकी भी यहां पूजा अर्चना की जाती है.
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