भोपाल: पहली बार ड्राइवर लेस कार का ट्रायल, IIT के इंजीनियर ने 8 साल की मेहनत से डेवलप की ये तकनीक
ADVERTISEMENT
MP News: क्या भारत में भी कभी ड्राइवर लेस कार दौड़ सकेगी? यह सवाल तो आपके मन में भी कई बार आया होगा. लेकिन इस सवाल का जवाब ढूंढने के लिए हम आपको लेकर चलते हैं एमपी की राजधानी भोपाल जहां इन दिनों बिना ड्राइवर वाली कार का ट्रायल चल रहा है. बेहद आम सी और सड़क पर चलने वाली दूसरी जीप की तरह ही दिखने वाली यह जीप कुछ खास है.
दरअसल, भोपाल की यह ऐसी जीप है जिसे चलाने के लिए ड्राइवर की ज़रूरत नहीं पड़ती. शुरुआत में ड्राइवर इसे बस चालू कर के छोड़ दे फिर तो सामने से गाड़ी आये या फिर इंसान, यह जीप अपनी केल्क्युलेशन लगाकर अपना रास्ता खुद ही बना लेती है.
दरअसल, आईआईटी रुड़की से इलेक्ट्रिकल इंजीनियर कर चुके भोपाल के युवा इंजीनियर संजीव शर्मा ने करीब 8 साल की मेहनत के बाद बिना ड्राइवर की कार बनाने में सफलता हासिल की है और करीब 50 हजार किमी तक बिना ड्राइवर के जीप चलाकर ट्रायल रन भी किया है.
यह जीप रोबोटिक तकनीक से चलती है: संजीव शर्मा
संजीव शर्मा ने IIT रुड़की से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में बीटेक करने के बाद इज़रायल और कनाडा के कॉलेजों में भी पढ़ाई की लेकिन संजीव की आँखों में अपने देश आकर यहां सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाने का सपना था और इसके लिए उन्होंने अपनी खुद की कंपनी शुरू की. सॉफ्टवेयर बनाया जो कार में लगे सेंसर और कैमरों के ज़रिये और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से बगैर ड्राइवर वाली कार को कंट्रोल करता है. इसके सेंसर इतने कारगर हैं कि किसी भी गाड़ी या शख्स के सामने आने से गाड़ी खुद ही रास्ते का अनुमान लगाकर किनारे से निकल जाती है.
ADVERTISEMENT
यह भी पढ़ें...
2015-16 से इस जीप का ट्रॉयल शुरू किया: संजीव
स्वायत्त रोबोटिक कंपनी बनाकर संजीव शर्मा ने 2015-16 से इस जीप का ट्रायल शुरू किया, जिसमें 12 कैमरे और कई सेंसर हैं. जीप में लगे कैमरों, सेंसर और GPS की मदद से जीप में लगे सॉफ्टवेयर को एक विजुअली ई-वैल्यूएशन डाटा पहुंचाता है, जिससे जीप में लगा सॉफ्टवेयर गाडी के आसपास का 3डी मैप बना लेता है. गाड़ी सामने मौजूद दूसरी गाड़ियों या इंसानों का आकलन कर खुद-ब-खुद आगे चलती रहती है.
साल के अंत तक पूरा कर लेंगे ट्रॉयल
संजीव के मुताबिक उन्होंने 2015 में कंपनी स्टार्ट की और साल 2021 में उन्हें 3 मिलियन डॉलर की ग्रांट मिली इस प्रोजेक्ट के ट्रायल के लिए. अब तक वो करीब 50 हज़ार किलोमीटर तक गाड़ी चलाकर ट्रायल कर चुके हैं. संजीव का मानना है कि इस साल के अंत तक वो पूरी तरह से इस ट्रायल को पूरा कर लेंगे. संजीव के इस स्टार्टअप में देश-विदेश की कई कंपनियां रुचि दिखा रही है तो वहीं जल्द ही वेस्ट सेंट्रल रेलवे भी संजीव के इस प्रोजेक्ट को रेलवे में सुरक्षा की दृष्टि से कैसे लागू किया जा सकता है इसपर काम करने वाली है.
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT