इंदौर के बेलेश्वर मंदिर त्रासदी पर हाईकोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब, बावड़ी ढहने से 36 लोगों की गई थी जान

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Big accident in Indore During worship of Ram Navami roof of stepwell of temple caved 20-25 people were buried
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Indore News: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने बीते मंगलवार को एक जनहित याचिका के जवाब में राज्य सरकार और बेलेश्वर महादेव झूलेलाल मंदिर का प्रबंधन करने वाले ट्रस्ट से जवाब मांगा है. जिसमें मांग की गई थी कि मंदिर में हुई त्रासदी के लिए जिम्मेदार सभी लोगों की जिम्मेदारी तय की जानी चाहिए, जिसमें 36 लोगों की जान चली गई थी.

न्यायमूर्ति विवेक रूसिया और न्यायमूर्ति अनिल वर्मा की पीठ ने सरकार को घटना की पुलिस जांच, मजिस्ट्रेट जांच और मामले में आरोप पत्र की स्थिति रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया. बावड़ी के ऊपर बने मंदिर का फर्श 30 मार्च, 2023 को टूट गया, जिससे रामनवमी पूजा के लिए अंदर इकट्ठा हुए लोग नीचे कुएं में गिर गए. इस बड़े घटनाक्रम में  21 महिलाओं, 13 पुरुषों और दो बच्चों की मौत हो गई थी.

कोर्ट ने कहा- केंद्रीय जांच एजेंसी को नोटिस जारी करने का औचित्य नहीं

इंदौर के पूर्व पार्षद महेश गर्ग द्वारा दायर जनहित याचिका में दावा किया गया कि मंदिर ‘बावड़ी’ (बावड़ी) पर अवैध रूप से बनाया गया था. इसमें मांग की गई कि सभी दोषियों की जिम्मेदारी तय की जाए और ऐसी दुर्घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए दिशानिर्देश जारी किए जाएं. याचिका में केंद्रीय जांच ब्यूरो से जांच कराने और सीबीआई को भी प्रतिवादियों में से एक बनाने की मांग की गई, लेकिन खंडपीठ ने कहा कि उसे इस स्तर पर केंद्रीय एजेंसी को नोटिस जारी करने का कोई आधार नहीं मिला.

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याचिकाकर्ता का आरोप- जांच बेहद ढीली

एजेंसीज की रिपोर्ट के अनुसार, याचिकाकर्ता के वकील मनीष यादव ने आरोप लगाया कि जांच ढीली और धीमी है. जब सरकार के वकील ने अदालत को बताया कि पीड़ितों के परिवारों को मुआवजा दिया गया है, तो न्यायाधीशों ने पूछा कि इसका भुगतान सरकारी खजाने से क्यों किया जाना चाहिए और क्या मुआवजे की राशि उस ट्रस्ट से वसूल की गई थी जो मंदिर का प्रबंधन करता था. सुनवाई की अगली तारीख 15 जनवरी 2024 है.

घटना के बाद, बेलेश्वर महादेव झूलेलाल मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष सेवाराम गलानी और सचिव मुरली कुमार सबनानी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 304 (गैर इरादतन हत्या) के तहत प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज की गई, सरकारी वकील ने बताया. प्रशासन ने बाद में मंदिर में मूर्तियों को अन्य मंदिरों में स्थानांतरित कर दिया और सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए संरचना को ध्वस्त कर दिया.

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