आदिवासी को मृत घोषित कर हड़प ली जमीन, सरकारी अफसरों की मिलीभगत, कटनी में सामने आया केस
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![आदिवासी को मृत घोषित कर हड़प ली जमीन, सरकारी अफसरों की मिलीभगत, कटनी में सामने आया केस Land grabbed by declaring tribal dead, collusion of government officials, case surfaced in Katni](https://akm-img-a-in.tosshub.com/lingo/mptak/images/story/202307/katni-news-10-768x432.png?size=948:533)
Katni News: मध्यप्रदेश में आदिवासियों के साथ हो रहे जुल्मों सितम के मामले थमने का नाम नही ले रहे हैं. सीधी और इंदौर के बाद अब ताजा मामला कटनी जिले के विजयराघवगढ़ विधानसभा से आया है. जहां जिंदा आदिवासी रतिया कोल को मृत घोषित करते हुए उसकी बेशकीमती जमीन अधिकारियो ने हड़प ली गई है. हालांकि मामला विधायक संजय पाठक के संज्ञान में आते ही आदिवासी को भाई बताते हुए उसे न्याय दिलाने की बात कही है. जिसका वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हो रहा है.
मामला सुनने में भले ही फिल्मी लग रहा हो लेकिन ये पूरी आप बीती विजयराघवगढ़ ग्राम कलहरा निवासी रतिया कोल की है. जो अधिकारियो के चक्कर लगाकर थक गया तो वह स्थानीय विधायक संजय पाठक के पास जा पहुंचा. विधायक संजय पाठक ने आदिवासी को न्याय दिलाने का भरोसा जताया है.
मृत घोषित किए गए जिंदा आदिवासी रतिया कोल का विधायक संजय पाठक के साथ मुलाकात का वीडियो वायरल हो रहा है. वीडियो में संजय पाठक रतिया कोल के पक्ष में खड़े दिखाई दे रहे हैं.
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करोड़ो की जमीन का खेल
विजयराघवगढ़ के कलहरा पंचायत के मोहन टोला निवासी रतिया कोल पिता हरिप्रसाद कोल के नाम पर 0.55 हेक्टेयर जमीन दर्ज थी. रतिया कोल की करीब डेढ़ एकड़ जमीन जो मुख्यमार्ग से लगी होने के कारण उसकी वर्तमान कीमत करोड़ों मे हैं. जिसे किसी अन्य के नाम पर चढ़ा दिया गया है. करोड़ों रूपए की कीमती जमीन के लालच में दलालों एवं अधिकारियों की मिलीभगत से जीवित रतिया कोल को मृत घोषित कर फौती उठा दी गई.
अधिकारियों की मिलीभगत से बना फर्जी मृत्यु प्रमाणपत्र
1998 में मृत किसी अन्य रतिया बाई पति नत्थू कोल ग्राम गड़ौहा का मृत्यु प्रमाणपत्र लगाकर फौती चढ़ाते हुए पटवारी और तहसीलदार ने जमीन को फर्जी लोगों के नाम दर्ज कर दिया गया. रतिया कोल ने विजयराघवगढ़ विधायक संजय पाठक से भेंट कर पूरी वस्तुस्थिति बताई है. जिसपर संजय पाठक ने मृत घोषित हुए रतिया कोल को आश्वासन दिया की जो लोग भी इस षड्यंत्र में शामिल है, चाहे अधिकारी कर्मचारी ही शमिल हों उन पर जांच करते हुए कार्यवाही एफआईआर दर्ज होगी. देखना होगा कि विधायक के आश्वासन के बाद रतिया कोल को आखिर कब तक इंसाफ मिल पाता है.
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