Maha Shivratri Ujjain: शिव नवरात्र में बाबा महाकाल का मनमहेश रूप देखकर निहाल हुए भक्त
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उज्जैन में महाशिवरात्रि को लेकर महाकाल के दरबार में शिव नवरात्रि का उत्सव धूमधाम से मनाया जा रहा है. मंगलवार फाल्गुन कृष्ण दशमी 2080 शिव नवरात्रि के छठवें दिन सांध्य पूजन के पश्चात भगवान श्री महाकालेश्वर ने सभी भक्तों के मन को मोहित करने वाले श्री मनमहेश स्वरूप धारण भक्तों को दर्शन दिये.
गुरुवार को सुबह श्री महाकालेश्वर मंदिर के नैवेद्य कक्ष में भगवान श्री चन्द्रमौलेश्वर का पूजन किया गया. कोटितीर्थ कुण्ड के पास स्थापित श्री कोटेश्वर महादेव के पूजन के पश्चात मुख्य पुजारी पं. घनश्याम शर्मा के आचार्यत्व में 11 ब्राह्मणों भगवान महाकालेश्वर भगवान का अभिषेक एकादश-एकादशनी रूद्रपाठ से किया गया. संध्या पूजन के पश्चात बाबा महाकाल को पीले रंग के वस्त्र पहनाए गए.
मनमहेश ने भक्तोंं को मोह लिया
साथ ही भगवान श्री महाकालेश्वर के श्री मनमहेश रूप का श्रृंगार कर बाबा को मुकुट, मुण्ड माला एवं फलों की माला धारण करायी गयी. धर्मनगरी अवंतिका उज्जैन में विराजमान बाबा महाकालेश्वर के धाम में शिव नवरात्र पर्व मनाया जाता है. 9 दिन तक चलने वाले इस पर्व की 29 फ़रवरी से शुरुआत हो चुकी है. इन 9 दिनों में बाबा महाकाल हर रोज अलग अलग स्वरूप में भक्तों को दर्शन देते हैं. उसी क्रम ने शिव नवरात्र के छठे दिन मंगलवार को बाबा महाकाल ने भक्तों को मनमहेश रूप में दर्शन दिए.
अब उमा महेश, शिव तांडव और आखिर में सप्तधान रूप
मंदिर के पुजारी ने बताया की अल सुबह भस्म आरती में बाबा का पंचाभिषेक हुआ. दोपहर में भगवान को सोला, दुशाला, स्वर्ण जड़ित आभूषण पहनाए गए. मंदिर परिसर में हरि शिव व हरि कीर्तन किए जा रहे है. बड़ी संख्या में भक्तों की भीड़ दोपहर श्रृंगार के बाद से ही उमड़ रही है. भगवन महाकाल के श्रृंगार के क्रम की बात करे तो छठे दिन मनमहेश रहा अब सातवें दिन उमा महेश, आठवें दिन शिव तांडव श्रृंगार और नवें दिन सप्त धान रूप में श्रृंगार व दोपहर में होने वाली भस्म आरती दिन रहेगा.
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मन को जो मोह ले वही मनमहेश
महाकाल मंदिर आशीष पुजारी ने कहा- शिव नवरात्रि महोत्सव पर बाबा महाकाल के दरबार में आज मन महेश रूप में भक्तों को दर्शन दे रहे हैं. मन को जो काबू जो मन को जो मोह ले वही मन महेश. मन महेश इसलिए बाबा महाकाल के स्वरूप की स्थापना की गई है. सुबह से पूजन अभिषेक किया जा रहा है. एकादशी रुद्राभिषेक का पाठ किया जा रहा है.
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