SDOP संतोष पटेल ने मदर्स डे पर मां-बेटे को मिलाने के लिए किया ऐसा काम, हर कोई कर रहा तारीफ
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Mp News: दुनियाभर के तमाम देशों में आज मदर्स डे मनाया जा रहा है. यह दिन हर मां को समर्पित है. हर साल मई माह के दूसरे रविवार को मदर्स डे मनाते हैं. इस दिन बच्चे अपनी मां को तोहफे देकर, उनसे प्यार भरी बातें करके ये महसूस कराने की कोशिश करते हैं, कि बच्चे के जीवन में मां का स्थान कितना ऊंचा है. रोजाना की जिंदगी में बच्चे मां को उनके प्यार, समर्पण और योगदान के लिए आभार नहीं दे पाते, इसलिए मदर्स डे का ये दिन मनाया जाता है. मदर्स डे पर SDOP संतोष पटेल सोशल मीडिया पर एक बार फिर से छाए हुए हैं.
मदर्स डे मौके पर भी आज SDOP ने एक बहुत उम्दा काम किया है. जिस काम को लेकर अब उनकी चारों ओर चर्चाएं हो रही है. आज उन्होंने सही मायने में एक मां की सेवा कर ली है. जिसमें उन्होनें मां को उसके बेटे और बहू से हक दिलाकर 10 साल से चले आ रहे झगड़े का समझौता कर दिया और मदर्स डे को सार्थक बना दिया.
SDOP ने बेटे की नफरत को बदला प्यार और सम्मान में
डीएसपी पटेल ने बुजुर्ग माँ के घर पहुंचकर उसके लड़के पंजाब और बहू मीना की अच्छे से समझाया लताड़ भी लगाई। और कहा कि जीवन में मां का क्या महत्व होता है,. उसे बताया कि वो व्यक्ति बहुत किस्मत वाला होता है जिसके घर में मां होती है. साथ ही उसे कानूनी प्रक्रिया के बारे में भी बताया कि वह नहीं माना तो उसे कई दिन और साल के लिए भी जेल जाना पड़ेगा. इसके बाद तो बेटा बहू पानी पानी हो गए और लगभग दस साल की प्रताड़ना का दस मिनट में अंत हो गया. बेटे पंजाब सिंह ने अपनी गलती मानी और मां को गले लगा लिया.
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बेटे ने मानी अपनी गल्ती और मां से मांगी माफी
SDOP की समझाइस के बाद बेटा-बहू ने दबाए पैर, मां ने दिया आशीर्वाद SDOP के जादू की छड़ी ऐसी चली कि बुजुर्ग आदिवासी मां के बेटा और बहू ने पूरी संपत्ति मां को सौंप दी, बेटा और बहू मां के पैर दबाने लगे. माफी मांगी कि आगे से भी ऊंची आवाज में भी बात नहीं करेंगे. मां ने भी दोनों के सिर पर हाथ रखकर आशीर्वाद दिया. काशी सहरिया ने बेटा-बहू से ज्यादा आशीर्वाद डीएसपी संतोष पटेल को दिया. बुजुर्ग महिला ने SDOP के सिर पर हाथ रखकर कहा कि ऐसा बेटा सभी को दे. और एक बार फिर डीएसपी ने बगैर FIR और कानूनी दाव पेंच न्यायालय के चक्कर काटे मामले को सुलझा दिया. संतोष पटेल ने ऐसा करते हुए एक बार फिर से लोगों के दिल मे जगह बना ली है.
SDOP ने एक कविता सुनाकर बताया मदर्स डे का मर्म
SDOP संतोष पटेल ने बताया कि अम्मा के मन में था कि पुलिस सुनती नहीं है. सोच को सकारात्मक बदलने व पुलिस की छवि सुधारने में थोड़ा सफल हुआ. जिसका फायदा ये हुआ कि मुझे भी भरपूर आशीर्वाद मिला. जिस तरह से मां अपने लड़के से पीड़ित होने के बाद भी उसे बेटा कहकर पुकार रही थी. इस पर बस मैं इतना ही कहूंगा कि
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“न वो दौलत से, न उम्र से..अपनी ममता से हारती है,
घर से भगाने वाले को भी मां बेटा कहकर पुकारती है.
मैं करेला का जूस पीता हूं नीम की दातून करता हूं,
मुसीबतों को हराने माताओं का आशीष लेकर चलता हूं.
फ्री में ढेर सारी दुआयें और झोली भर आशीष सिर्फ पुलिस विभाग में ही सम्भव है जहां मेरी नौकरी भी हुई और प्यार भी मिला, इसे कहते हैं न हर्रा लागे न फिटकरी और रंग चोखा हो जाये.”
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