‘पापा के साथ पुलिस होती तो गुंडे उन्हें नहीं मार पाते’, पटवारी पिता ने हत्या से पहले बेटी को बताया था ये राज

विजय कुमार

29 Nov 2023 (अपडेटेड: Nov 29 2023 10:48 AM)

25 नवंबर की रात ब्योहारी में 45 वर्षीय राजस्व निरीक्षक पटवारी प्रसन्न सिंह की रेत माफियाओं ने ट्रैक्टर से कुचलकर हत्या कर दी. इस पर बड़ा खुलासा करते हुए बेटी दिया सिंह ने शासन-प्रशासन पर कई सवाल उठाए.

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MP News: चंदा ने पूछा तारों से तारों ने पूछा हजारों से सबसे प्यारा कौन है ? पापा मेरे पापा…इन लाइनों की अहमियत उस बेटी से पूछिए जिसके सर से पिता का साया उठ चुका है. पापा प्रसन्न ने बेटी को किया आखिरी वायदा पूरा नहीं किया और लौट कर घर नहीं आए. लौटकर आया तो दिल को दर्द देने वाला आखों को नम करने वाला उनका पार्थिव शरीर. ये दास्तां एक बेटी की है, जब वह पैदा हुई हो पिता सरहद में वतन के हिफाजत में तैनात थे और रिटायर्ड होकर आए तो सोन नदी के रेत की रखवाली को फर्ज समझा. अपना फर्ज निभाते हुए उन्होंने जान कुर्बान कर दी.

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25 नवंबर की रात ब्योहारी में 45 वर्षीय राजस्व निरीक्षक पटवारी प्रसन्न सिंह की रेत माफियाओं ने ट्रैक्टर से कुचलकर हत्या कर दी. प्रसन्न सिंह ने उस रोज ड्यूटी में जाने से पहले अपने पत्नी और बच्चों से बात की थी. उन्हें खतरे का अंदेशा जताया था, इसका खुलासा करते हुए बेटी दिया सिंह ने शासन-प्रशासन पर कई सवाल उठाए.

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पिता दिखाते थे रेत तस्करी के वीडियो

दिया सिंह ने बताया पापा (प्रसन्न सिंह) अक्सर रेत तस्करी के विडियोज दिखाया करते थे. जहां उनकी ड्यूटी होती थी, वहां काफी खतरा रहता था. लेकिन उनके साथ पटवारी दोस्त रहते थे, पुलिस फोर्स नहीं होती थी, घटना के दिन भी ऐसा ही हुआ. प्रसन्न सिंह के साथ केवल उनके सहयोगी पटवारी थे, पुलिस नहीं थी और रेत माफियाओं ने टैक्टर को पकड़ने को कोशिश कर रहे प्रसन्न को कुचलकर मार डाला. दिया का कहना है कि अगर पापा के साथ पुलिस होती तो गुंडे पापा को नहीं मार पाते. पापा की अक्सर देर रात ड्यूटी लगाई जाती थी जहां खतरा रहता था.

प्रसन्न सिंह के बूढ़े पिता महेंद्र सिंह शासन-प्रशासन की नाकामी पर सवाल उठाते हैं. मूलतः रीवा जिले के बरौ गांव के पटवारी प्रसन्न सिंह भरा-पूरा परिवार छोड़ गए हैं. पत्नी गूंजा सिंह, दो बेटियां- दिया और समृद्धि हैं, जबकि प्रतीक और प्रत्यक्ष मासूम बेटे हैं.

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रेत माफियाओं ने कुचल डाला

गौरतलब है कि शहडोल जिले के राजस्व विभाग ने पटवारी प्रसन्न को रात्रि गस्त करने का आदेश दिया था, लेकिन पुलिस फोर्स नहीं उपलब्ध कराई गई थी. प्रसन्न सिंह के साथ केवल उनके सहयोगी 3 पटवारी थे. इस दौरान प्रसन्न सिंह ने देखा कि रेत का अवैध उत्खनन किया जा रहा है. उसे रोकने में उनकी हत्या कर दी गई. अब इस पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं. रेत खदानों में धड़ल्ले से अवैध उत्खनन हो रहा था, खदानों की लीज नहीं हो रही थी और ना ही सुरक्षा के इंतजाम किए गए.

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