ज्ञानवापी की तरह होगा भोजशाला का सर्वे, क्या है पूरा विवाद, पढ़िए कब-कब क्या हुआ?

एमपी तक

11 Mar 2024 (अपडेटेड: Mar 11 2024 6:05 PM)

मध्य प्रदेश के धार जिले की विवादित भोजशाला को इंदौर हाई कोर्ट बेंच ने एक आदेश जारी किया है. इस आदेश के अनुसार भोजशाला का सर्वे भी ज्ञानवापी की तर्ज पर ही किया जाएगा.

धार भोजशाला

dhar_bhojshala

follow google news

Bhojshala Controvarsy: मध्य प्रदेश के धार जिले की विवादित भोजशाला को लेकर हाईकोर्ट की इंदौर बेंच ने बड़ा आदेश जारी किया है. इसके अनुसार, काशी में ज्ञानवापी की तर्ज पर भोजशाला का सर्वे किया जाएगा. आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) को 5 एक्सपर्ट की टीम बनाने को कहा है, जिसकी रिपोर्ट टीम को 24 अप्रैल तक पेश करनी है. हाईकोर्ट ने इस वैज्ञानिक सर्वे को GPR-GPS तरीके से करने के लिए कहा गया है. आपको बता दें भोजशाला को लेकर कई बार हिंदू और मुस्लिमों में तनाव हो चुका है.  

यह भी पढ़ें...

हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि GPR और GPS लगाकर जांच की जाएं. कोर्ट ने आगे कहा कि इसके लिए आवश्यक हो तो संपूर्ण भोजशाला की फोटोग्राफी, वीडियोग्राफी और खुदाई करवाई जाए. 

जानिए पूरा विवाद

हिंदू संगठन भोजशाला को राजा भोज कालीन इमारत बताते हुए इसे सरस्वती का मंदिर मानते हैं. हिंदुओं का तर्क है कि राजवंश काल में यहां कुछ समय के लिए मुस्लिमों को नमाज पढ़ने की अनुमति दी गई थी. मुस्लिम समाज का कहना है कि वो सालों से यहां नमाज पढ़ते आ रहे हैं. मुस्लिम इसे भोजशाला-कमाल मौलाना मस्जिद कहते हैं.

भोजशाला के सहारे हुई थी बीजेपी की सत्ता में वापसी

2003 के विधानसभा चुनाव में भोजशाला को मुद्दा बनाकर भाजपा ने प्रदेश में बड़ी जीत हासिल की और उमा भारती प्रदेश की मुख्यमंत्री बनी थी. इसके बाद से भाजपा सरकार लंदन के एक म्यूजियम में रखी मां सरस्वती वाग्देवी की प्रतिमा को लाकर भोजशाला में स्थापित कर इसे मुक्ति कराने की बात कह रही है. 

धरने पर बैठे थे शंकराचार्य

भोजशाला को लेकर ठने विवाद के विरोध में साल 2016 में सुमेरू मठ के शंकराचार्य नरेंद्रानंद सरस्वती ने धरना शुरू कर दिया था. शंकराचार्य का धरना सरकार के उस फैसले के खिलाफ है जिसमें मुस्लिमों को दोपहर में नमाज की अनुमति दी गई है. तब हालात ऐसे बने थे कि पुलिस को पूरा मोर्चा संभालना पड़ा था. 

30 साल से चल रहा है भोजशाला विवाद

भोजशाला आंदोलनकारी गोपाल शर्मा ने कहा कि मैं उसको धन्यवाद देता हूं कि उसने हिम्मत तो की. हम 30 साल से केवल घंटा घड़ियाल ही बजा रहे हैं. अपने लोगों से सत्याग्रह कर रहे है कि भैया प्रतिमा ला दो. ये संगठन का काम नहीं है, लेकिन जिसने भी किया है साधुवाद का पात्र है. हिम्मत करके प्रतिमा को गर्भगृह में स्थापित किया है. प्रशासन से आग्रह है कि चूंकि हमारा सत्याग्रह का भी उद्देश्य है कि भोजशाला की मूर्ति और प्रतिमा की स्थापना की. उसने अपने तरीके से की है हमारा तरीका अलग है. इसलिए हम साधुवाद करते है जिसने प्रतिमा स्थापित की है.

    follow google newsfollow whatsapp