GUNA NEWS: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने मध्यप्रदेश के गुना में संचालित गढ़ा कॉपरेटिव बैंक का लाइसेंस रद्द कर दिया है. बैंक को अब अपने खाताधारकों के जमा 10 करोड़ रुपए लौटाने होंगे. पिछले 25 वर्षों से बैंकिंग क्षेत्र में गढ़ा कॉपरेटिव बैंक कार्यरत था. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने दलील देते हुए कहा कि बैंक के पास पर्याप्त पूंजी और कमाई की संभावनाएं नहीं हैं. आरबीआई ने कहा कि यदि बैंक को आगे अपना बैंकिंग व्यवसाय करने की अनुमति दी जाती है तो जनहित पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा. मुख्य महाप्रबंधक योगेश दयाल ने आदेश जारी करते हुए लिखा है कि बैंक ने विनियमन अधिनियम 1949 की धारा 56 , 11(1), 22(3) के प्रावधानों का अनुपालन नहीं किया है.
बैंककरी विनियमन अधिनियम 1949 की धारा 56 , 5 (बी) के तहत तत्काल प्रभाव से बैंक का लाइसेंस रद्द किया गया है. समस्त कार्यों पर रोक लगा दी गई है. बैंक खातों की केवायसी न होने के कारण आरबीआई द्वारा लाइसेंस रद्द किया गया है. 24 फरवरी 2021 में आरबीआई ने गढ़ा कॉपरेटिव बैंक पर प्रतिबंध लगाया था.
इसके तहत किसी भी खाता धारक को 50 हजार रुपये से अधिक की राशि निकासी के अधिकार नहीं थे. यह प्रतिबंध 6 माह के लिए लगाया गया था. इसके बाद भी जब केवायसी पूरी नहीं हुई तो 6-6 माह के लिए प्रतिबंध बढ़ाया गया. 24 फरवरी को समय पूरा होना था, लेकिन उससे पहले ही 20 फरवरी 2023 को आरबीआई की टीम ने गुना स्थित गढ़ा बैंक का लाइसेंस रद्द कर दिया.
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पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने किया था बैंक का उद्घाटन
30 जून 1997 को गढ़ा कॉपरेटिव बैंक का उद्घाटन खुद तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह द्वारा किया गया था. बैंक के चेयरमैन सुमेर सिंह गढ़ा पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के बेहद करीबी हैं. फिलहाल बैंक में 23 कर्मचारी कार्यरत थे. उपभोक्ताओं के लगभग 10 करोड़ रुपये बैंक को चुकाने हैं. सहकारिता आयुक्त द्वारा गढ़ा कॉपरेटिव बैंक के लिए परिसमापक नियुक्त किया जाएगा. इसके बाद परिसमापक की देखरेख में ही ग्राहकों के खाते से उनकी जमा राशि को लौटाया जाएगा.हालांकि उपभोक्ताओं को अपनी जमा पूंजी डूबने का डर बना हुआ है. गढ़ा कॉपरेटिव बैंक के पूर्व निदेशक व चेयरमैन सुमेर सिंह ने बताया कि RBI ने लाइसेंस रद्द कर दिया है. सहकारिता विभाग डिसाइड करेगा कि किस हिसाब से उपभोक्ताओं के पैसे लौटाने हैं. हमारे पास पर्याप्त पूंजी है.