INDORE NEWS: इंदौर के प्रसिद्ध एमवाय अस्पताल में डॉक्टरों ने काम बंद हड़ताल कर दी है. 16 फरवरी को अस्पताल में तकरीबन 1 हजार डॉक्टर काली पट्टी बांधकर पहुंचे और उसके बाद नारेबाजी करते हुए मध्यप्रदेश सरकार की स्वास्थ्य नीतियों की आलोचना की. इसके बाद डॉक्टरों ने यहां कोई काम नहीं किया. इस हड़ताल को डॉक्टरों के 7 प्रमुख संगठनों ने अपना समर्थन दिया है. डॉक्टरों का कहना है कि सरकार लगातार उनकी मांगों को अनदेखा कर रही है. इसलिए हड़ताल पर जाने का निर्णय लिया है. आज काम बंद हड़ताल की है और 17 फरवरी से सभी डॉक्टर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर रहेंगे.
हड़ताल का नेतृत्व कर रहे डॉ.अरविंद घनघोरिया ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि अस्पताल में डॉक्टरों के पद रिक्त पड़े हैं. जो आते भी हैं तो वे यहां के हालात देखकर भाग जाते हैं. हम चाहते हैं कि सरकारी अस्पताल में जरूरी मेडिकल उपकरणों की खरीद में होने वाली देरी बंद हो. किडनी ट्रांसप्लांट हम यहीं सरकारी अस्पताल में कराने की सुविधा दें. परेशानी यह है कि अस्पताल को चलाने के लिए डॉक्टरों के ऊपर ऐसे अधिकारी बैठाए हैं जिन्हें मेडिकल की कोई जानकारी नहीं है.
हड़ताल पर बैठे डॉक्टरों का कहना है कि ऐसे में अस्पताल के संचालन में दिक्कतें आती हैं. इसके अलावा डॉक्टरों का वेतन बहुत कम है. पेंशन की कोई सुविधा नहीं है. न्यू पेंशन स्कीम में 5 से 7 हजार रुपए मिलते हैं. प्रमोशन अटके हुए हैं. हम पिछले 20 साल से सरकारी अस्पताल में सुविधाएं बढ़ाने की मांग कर रहे हैं. कायदे से तो होना यह चाहिए की हर 10 साल में एक नया सरकारी अस्पताल बने लेकिन इंदौर में एक मात्र यही एमवाय अस्पताल है जो 75 साल में बना है और इस पर इंदौर के साथ ही आसपास के जिलों के मरीजों का भी लोड आता है जबकि डॉक्टरों की संख्या यहां पर सीमित है. ये सभी मांगे लगातार सरकार के समक्ष उठाई जा रही हैं लेकिन अब तक कोई सुनवाई नहीं हुई. इसलिए हमने हड़ताल पर जाने का निर्णय लिया है.
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मांगों को नहीं सुना तो पूरे मध्यप्रदेश में अस्पातल बंद कराएंगे
डॉक्टरों ने चेतावनी दी है कि 17 फरवरी से तो इंदौर में अनिश्चितकालीन हड़ताल कर रहे हैं. यदि प्रदेश सरकार ने डॉक्टरों की मांगों पर विचार नहीं किया तो जल्द ही पूरे मध्यप्रदेश के अस्पताल बंद कराए जाएंगे. डॉक्टरों का कहना है कि इससे मध्यप्रदेश के मरीज ही परेशान होंगे और हम नहीं चाहते कि मरीजों को दिक्कत आए. लेकिन ये हड़ताल इन्हीं मरीजों के हक के लिए हम करने जा रहे हैं ताकि इनको बेहतर सुविधाएं सरकारी अस्पतालों में ही मिल जाएं. डॉक्टरों का कहना है कि हड़ताल की जानकारी स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव और प्रमुख सचिव को दी जा चुकी है. उन्होंने अभी तक कोई ठोस भरोसा डॉक्टरों को नहीं दिया है. फिलहाल हड़ताल जारी है.
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