MP NEWS: मध्यप्रदेश सरकार अब पूरे प्रदेश में महुआ से बने च्यवनप्राश की बिक्री को लेकर रणनीति तैयार कर रही है. दो दिन पहले सिवनी में सीएम शिवराज सिंह चौहान ने इसे लांच किया और नाम दिया गया महुआप्राश. इसे लेकर वन मंत्री विजय शाह ने अब दावा किया है कि मार्केट में पहले से मौजूद जितनी भी कंपनियों के च्यवनप्राश हैं, उन सभी से बेहतर है मध्यप्रदेश सरकार द्वारा तैयार ये महुआप्राश. दरअसल मध्यप्रदेश सरकार महुआ से वाइन, चाय, कोल ड्रिंक सहित कई तरह के उत्पादों का निर्माण करवा रही है. राजनीति के जानकार बता रहे हैं कि महुआ और इसके उत्पादों को बढ़ाकर बीजेपी चाहती है कि आदिवासी वोटरों के बीच में उसकी छवि आदिवासी हितैषी पार्टी के रूप में अच्छे से बन जाए.
यही वजह है कि विधानसभा चुनावों से पहले लगातार आदिवासी बेल्ट में सीएम और कैबिनेट मंत्री दौरे, जनसभा कर रहे हैं और आदिवासियों द्वारा तैयार किए जाने वाले उत्पादों को बढ़ावा देने और इसके लिए योजनाएं लाने की बातें कर रहे हैं.
महुआप्राश को लेकर तो वन मंत्री विजय शाह दौरे तक कर रहे हैं. बीते दिन वे मंडला में पूर्व राज्यसभा सांसद संपतिया उइके के निवास पर पहुंचे और महुआप्राश की बिक्री बढ़ाने और मार्केट तैयार करने को लेकर चर्चा की. इस दौरान वन मंत्री विजय शाह ने महुआप्राश को लेकर कई दावे किए.
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महुआप्राश नहीं बीजेपी की नजर 47 एसटी वर्ग की आरक्षित सीटों पर?
राजनीतिक विश्लेषक जगमोहन द्विवेदी बताते हैं कि बीजेपी आदिवासियों के बीच में ये दिखाना चाहती है कि आदिवासी जिन प्रोडक्ट काे बनाते हैं, वो उनके लिए मार्केट तैयार करके देगी. उनकी बिक्री से लेकर प्रचार-प्रसार बीजेपी और उनकी सरकार कराएगी. जिससे आदिवासियों को अपना खुद का उद्यम स्थापित करने में मदद मिलेगी. ऐसा करके आदिवासी वोटरों के बीच बीजेपी अपनी एक गुड इमेज तैयार करना चाह रही है. चूंकि महुआ आदिवासी समुदाय द्वारा पैदा किया जाने वाला एक परंपरागत उत्पाद है, जिसका अमूमन इस्तेमाल शराब बनाने के लिए होता रहा है. लेकिन अब महुआ से दूसरे प्रोडक्ट भी तैयार किए जाने लगे हैं और इसका फायदा आदिवासियों को मिलेगा.
वन मंत्री का महुआ प्रेम और उनके दावे
मध्यप्रदेश के वन मंत्री विजय शाह दावा करते हैं कि महुआ से बना च्यवनप्राश सबसे अधिक ताकतवार साबित होगा. हमारी सरकार इसे मार्केट में ले जाने की तैयारी पूरी कर चुकी है. इसके अलावा भविष्य में महुआ की कोल्ड ड्रिंक “महुआ कोला” भी बनने जा रही है. महुआ से बना गुड़ भी जल्द मार्केट में आएगा. महुआ चाय, बिस्किट और महुआ वाइन भी मिलेगी. 2000 क्विंटल महुआ लन्दन भेजने के लिए भी एमओयू साइन किया गया है. इतना ही नहीं महुआ बीनने वालों का जीवन स्तर उठाने सभी प्रयास किये जाएंगे. महुआ की चीज़ों से जो सामान तैयार होगा और उससे जो पैसा मिलेगा वह महुआ बीनने वालों को ही जाएगा, ऐसी व्ययवस्था की जा रही है.