Omkareshwar Jyotirlinga: महाशिवरात्रि पर मध्यप्रदेश के खंडवा जिले में मौजूद ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन के लिए लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचे हैं. एक बड़ा जन सैलाव ओंकारेश्वर मंदिर दर्शन के लिए पहुंचा हैं. भीड़ इतनी अधिक है कि यहां पर पांव रखने को भी जगह मिल पाना मुश्किल है. स्थानीय पुलिस- प्रशासन बीते 24 घंटे से ही यहां पर श्रद्धालुओं को दर्शन कराने कई तरह के इंतजाम करने में लगा हुआ है. आपको बता दें कि देश के विभिन्न स्थानों पर मौजूद 12 ज्योतिर्लिंगों में से ओंकारेश्वर मंदिर चौथे नंबर पर आता है. मंदिर के पुजारियों का दावा है कि यही एक मात्र ऐसा शिवालय है जहां पर महाशिवरात्रि पर लगातार 48 घंटे पट खोले जाते हैं.
प्रातः 3:00 बजे से ही प्रातः कालीन आरती के बाद पुजारियों ने भगवान को जल अर्पित किया. इसके पश्चात संतो ने भोलेनाथ के दर्शन किए. इसके बाद श्रद्धालुओं के दर्शन का सिलसिला शुरू हो गया. इस पर्व पर भगवान का फूलो से आकर्षक श्रंगार किया गया और मंदिर को भी सजाया गया. बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहाँ दर्शन के लिए उमड़े हैं.

क्या है भगवान ओंकारेश्वर महादेव की कहानी?
मंदिर के पुजारी पं.डंकेश्वर दीक्षित बताते हैं कि ओंकारेश्वर भगवान राम से चौदह पीढ़ी पूर्व राजा मान्धाता की नगरी रही है. जिनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान ओम्कारेश्वर निराकार रूप में प्रकट हुए है. यहाँ लाखों की संख्या में आकर भक्तगण नर्मदा में स्नान कर रहे है. नर्मदा जल लेकर भगवन ओंकारेश्वर का जलाभिषेक कर रहे है. भगवान को बेलपत्र चढ़ाकर अभिषेक कर रहे है. हर ज्योतिर्लिंग में विशेष पूजा महाशिवरात्रि पर होती है, वैसे ही ओंकारेश्वर में चार प्रहर की पूजा होती है. भक्तगण अपनी मनोकामना के लिए पूरे 12 महीने इस मंदिर में दर्शन के लिए आते हैं.

एक पुल क्षतिग्रस्त है, दूसरे से निकालने का किया इंतजाम
पिछले तीन दिनों से ही यहाँ भीड़ बढ़ने लगी थी. इसकी वज़ह सीहोर के कुबेरेश्वर धाम में रुद्राक्ष महोत्सव से लौटती भीड़ को भी बताया जा रहा है. जो यहाँ दर्शन के लिए एक दिन पहले ही पहुंच गए थे. बीते शुक्रवार को इतनी भीड़ हुई कि प्रशासन को कुछ समय के लिए ओंकारेश्वर में वाहनों के आने पर रोक लगानी पड़ी थी. प्रशासन के लिए श्रद्धालुओं को सुरक्षित दर्शन कराना बड़ी चुनौती बना हुआ है. यहाँ एक झूला पुल क्षतिग्रस्त हो जाने से इससे आवागमन पूरी तरह रोक दिया गया हैं तो वहीं नौकाओं के परिवहन को भी प्रतिबंधित किया गया. इस स्थिति में सारा दबाव पुराने पुल पर आ गया है. जिससे एक समय में अधिकतम एक हजार लोगो की आवाजाही कराई जा रही है. लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं के आने की वजह से उन्हें भी दर्शन करने के लिए घंटो लाइन में लगना पड़ रहा है. इसके बाद भी भक्तों के उत्साह में कोई कमी नही है.
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