किसान का बेटा एयर फोर्स में बना फ्लाइंग ऑफिसर, आर्मी में जाने की जिद ने बनाया अफसर

राजेश भाटिया

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Betul News: मध्य प्रदेश के बैतूल में एक किसान के बेटे ने एयर फोर्स में फ्लाइंग ऑफिसर बनकर परिवार और जिले का मान बढ़ाया है. किसान के बेटे का बचपन से ही सेना में जाने का सपना था, और उसने कड़ी मेहनत करके अपने इस सपने को साकार किया. सबसे कठिन परीक्षा को पास कर फ्लाइंग अफसर बने स्नेहल वामनकर की स्कूल से लेकर हर जगह सराहना हो रही है.

बैतूल के छोटे से गांव भरकाबाड़ी में रहने वाले किसान घनश्याम वामनकर का बेटा वायुसेना में फ्लाइंग ऑफिसर बन गया है. बेटे की इस उपलब्धि पर किसान पिता का सिर गर्व से ऊंचा हो गया. उनके बेटे की चर्चा गांव से लेकर स्कूल और जिले भर में होने लगी है. बेटे की उपलब्धि पर माता-पिता की खुशी का ठिकाना नहीं है.

दरअसल, घनश्याम वामनकर के बेटे स्नेहल वामनकर ने 2020 में एएफ-कैट (एयर फोर्स कॉमन एडमिशन टेस्ट) एग्जाम पास किया था. 2 साल की कड़ी मेहनत के बाद 21 जनवरी 2023 को फ्लाइंग ऑफिसर की पासिंग आउट परेड के बाद वह अफसर बन गए हैं. स्नेहल की पोस्टिंग भी हो चुकी है और इसके बाद वे छुट्टी पर अपने घर आए हुए हैं.

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अफसर बनने की कहानी संघर्षपूर्ण
स्नेहल के फ्लाइंग अफसर बनने के पीछे की कहानी संघर्षपूर्ण है. बचपन से फौज में जाने का सपना था, लेकिन हाइट कम होने से स्कूल में उन्हें परेड में शामिल नहीं किया गया, जिसके कारण वह घर आकर बहुत रोए थे. स्नेहल के पिता घनश्याम बताते हैं कि बचपन से ही लकड़ी की बंदूक बनाकर उस से खेलना और हमेशा सेना में जाने की बात करना इससे लगता था कि बड़े होने पर वह सेना में जरूर जाएगा.

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बस के बजाए साइकिल से जाता था कॉलेज
बैतूल में 12वीं तक की पढ़ाई करके भोपाल के आरजीपीवी यूनिवर्सिटी से कंप्यूटर साइंस के छात्र रहे स्नेहल ने कॉलेज में एनसीसी में हिस्सा लिया. पिता की आर्थिक स्थिति ठीक ना होने पर वह भोपाल में घर से कालेज बस से नहीं, बल्कि साइकिल से जाया करते थे. स्नेहल को कई अच्छी नौकरियां मिल रही थीं, कुछ नौकरी तो उन्होंने छोड़ दी. उन्हें लगता था कि अगर देश के लिए कुछ करना है तो उन्हें में जाना हाेगा. इसलिए उन्होंने सेना में जाने की जिद और जुनून को पूरा किया.

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मां चाहती थीं बेटा बैंक अफसर बने, लेकिन बेटे की जिद के आगे हारीं
पिता घनश्याम का कहना है कि मैं किसान हूं और आर्थिक स्थिति भी अच्छी नहीं थी ज्यादा पढ़ा लिखा भी नहीं था. पर मन में था कि बच्चे अच्छा पढ़ लें, यही कोशिश थी. आज वह इंडियन एयरफोर्स में फ्लाइंग अफसर बन गया. बहुत खुशी हो रही है. स्नेहल की मां चाहती थी कि वो बैंक में जॉब करे लेकिन बेटे की जिद के आगे हार गईं. मां कविता का कहना है कि मेरे दो बेटे हैं. मैं चाहती थी कि बेटे पढ़ लिखकर बड़े अफसर बने या बैंक में नौकरी करें. हमारे पास ही रहे लेकिन बेटे की लगन और उसकी चाहत को देखकर हमने अपना निर्णय बदला और बेटे को सेना में जाने का आशीर्वाद दिया.

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