गोविंद सिंह का आरोप- शिवराज सरकार ने महाकाल को भी नहीं बक्शा, हर धार्मिक निर्माण में भ्रष्टाचार
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MP News: विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष गोविंद सिंह ने शिवराज सरकार पर बड़ा हमला करते हुए कहा है कि एमपी में भ्रष्टाचार की जड़ें कितनी गहरी हो चुकी हैं, यह इस बात का प्रमाण है कि भाजपा सरकार ने 12 ज्योतिर्लिंग में एक महाकाल काॅरिडोर को भी नहीं छोड़ा. एक ही आंधी में महाकाल काॅरिडोर के निर्माण की पोल खुल गई. यदि तूफान आ जाता तो क्या स्थिति होती.
नेता प्रतिपक्ष ने कहाकि महाकाल लोक के निर्माण में करोड़ों रुपये खर्च किये गये. जिस महाकाल लोक का उद्घाटन प्रधानमंत्री ने किया उसी महाकाल लोक की मूर्तियां एक आंधी भी सहन नहीं कर सकी. सिंह ने कहाकि महाकाल लोक निर्माण के समय ही इस बात का विरोध किया गया था कि मूर्तियां अष्टधातु की लगाई जाएं, लेकिन सभी धार्मिक भावनाओं को आहत करते हुये फाइबर की मूर्तियां लगाई गईं और उसका हश्र यह हुआ कि तेज हवा के झोंखों ने मूर्तियों को गिरा दिया.
नेता प्रतिपक्ष गोविंद सिंह ने कहा, ‘कई चरणों में प्रारंभ हुये महाकाल लोक काॅरिडोर के निर्माण में हुई अनियमितताओं की शिकायत तराना के विधायक महेश परमार ने लोकायुक्त को की थी, लेकिन वहां पर भी कोई कार्यवाही न कर लोकायुक्त डीजीपी को ही हटा दिया गया. 2022 के दिसंबर में आहूत विधानसभा के सत्र में स्थगन के माध्यम से आरोप लगाया गया था कि 351 करोड़ के निर्माण लोक निर्माण विभाग और नगरीय प्रशासन विकास विभाग द्वारा कराये गये थे.’
एग्रीमेंट तक गुजराती भाषा में किए गए हैं!
गोविंद सिंह ने कहा- ‘विभाग को बिना किसी जांच के ठेकेदारों को भुगतान कर दिया गया. निर्माण कार्य में एसओआर का पालन नहीं किया गया. ज्यादातर काम गुजरात की फर्मों एमपी बावरिया एवं डीएच पटेल की फर्म को दिये गये. साथ ही ज्वाइंट वेंचर पर भी कार्य कराये गये. 22 दिसम्बर, 2022 को विधानसभा प्रश्न क्र. (1090) नगरीय प्रशासन विभाग ने अपने जवाब में कहा कि 161 करोड़ 83 लाख का व्यय किया गया. बाद में यह राशि और बढ़ती गई. खास बात यह है कि एग्रीमेंट तक गुजराती भाषा में किये गये है. जबकि मुख्यमंत्री की घोषणा के अनुसार मध्यप्रदेश में सारे कार्य हिन्दी में होंगे. उसके बाबजूद हिन्दी भाषा का मध्यप्रदेश में अपमान किया जा रहा है.’
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गुजरात की फर्मों का ही वर्चस्व कैसे है?
गोविंद सिंह ने कहा- ‘सवाल ये है कि महाकाल काॅरिडोर के निर्माण में गुजरात की फर्मो का ही वर्चस्व कैसे रहा? गुजरात की फर्मे ही प्रदेश भर में ज्यादातर निर्माण कार्य कर रही हैं. जिसमें जलजीवन मिशन, सीवेज लाईन लोक निर्माण विभाग, नर्मदा घाटी विकास आदि विभागों में और उनसे बोलने तक की हिम्मत कोई नहीं कर पाता, फिर जांच करने की हिमाकत कौन करता? गुजरात के ठेकेदारों से ही जब सरकार डर रही है तो गुजरात के अन्य नेताओं के सामने बोलने की हिम्मत किसकी है?’
सिंह ने कहा कि इस पूरे मामले की न्यायिक जांच कराई जाए. साथ ही प्रदेश के अन्य विभागों में गुजरात की फर्मो द्वारा किये जा रहे कार्यों की गुणवत्ता की जांच कराई जावें एवं तब तक उनके भुगतान रोक दिये जाए.
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