mptak
Search Icon

नेपाल से दुल्हन बनकर ग्वालियर आई माधवी राजे की किसी को न मिले झलक, इसलिए स्टेशन से महल तक लगाए पर्दे

एमपी तक

ADVERTISEMENT

माधवी राजे सिंधिया जब आईं तो लगा दिया गया था पर्दा.
madhvi_raje_scindia
social share
google news

Madhvi Raje Scindia Last Rites: केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की मां और सिंधिया घराने की राजमाता माधवी राजे सिंधिया का दिल्ली में लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया. अंतिम दर्शनों के लिए दिल्ली में सिंधिया निवास पर रखने के बाद गुरुवार को ग्वालियर में उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया, उनके बेटे ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मुखाग्नि दी. नेपाल घराने की राजकुमारी किरन राजलक्ष्मी की शादी माधव राव सिंधिया से मई के महीने में ही 1966 में शादी हुई थी. सक्रिय राजनीति से दूर रहीं राजमाता माधवी राजे ने माधवराव सिंधिया के निधन के बाद पूरे परिवार को संभाला. ग्वालियर की जनता भी माधवी राजे को बेहद प्यार और सम्मान करती थी.

यहां हम आपको उनकी शादी से जुड़ा एक ऐसा किस्सा बताने जा रहे हैं, जो आपने पहले कभी नहीं सुना होगा...

दरअसल, राजमाता माधवी राजे सिंधिया की शादी माधव राव सिंधिया से 1966 में दिल्ली में हुई थी, जहां देश के दिग्गज नेता और देश के अनेकों राजघराने के लोग वर-वधू को आशीर्वाद देने आये थे. मगर अब बारी थी प्रिंसेस माधवी राजे की अपने होने वाले घर ग्वालियर में कदम रखने की. जयविलास पैलेस समेत पूरे ग्वालियर को दुल्हन के स्वागत में बिलकुल दुल्हन की तरह सजाया गया था. 

माधवी राजे की शादी की दुर्लभ फोटो.

राजमाता माधवी राजे सिंधिया हुईं पंचतत्व में विलीन, मुखाग्नि देते वक्त मां को याद कर फूट-फूटकर रोने लगे सिंधिया

हर घर में दीवाली जैसा उल्लास

हर घर में दिवाली जैसा माहौल था, एक तरफ मिठाईयां बन रही थीं तो दूसरी ओर सिंधिया महल के चप्पे-चप्पे को सजाया जा रहा था. यहां आपको बता दें कि सिंधिया महल का नाम जय विलास पैलेस है, जिसे सिंधिया राजवंश के शासक जयाजी राव सिंधिया ने सन 1874 में बनवाया था. यह महल महीन कारीगरी और नक्कासी के साथ फ्रांसीसी वास्तुकारों ने बनाया था, जहां 400 कमरे हैं.

ADVERTISEMENT

यह भी पढ़ें...

एमपी के पास माधवी राजे की शादी की अनदेखी तस्वीरें.

इसलिए स्टेशन से महल तक लगाया गया पर्दा

राजमाता को पूरे रीति रिवाज के साथ यही लाया गया था .स्टेशन से महल तक का रास्ता 2.6 KM यानी करीब, 8 मिनट का था. पूरे ग्वालियरवासी अपनी बहु की एक झलक पाने को तैयार और आतुर थे .हर कोई या महल के सामने या स्टेशन के पास या स्टेशन से महल तक के रास्ते में लंबी भीड़ के रूप में मौजूद था.

नैरोगेज वाली ट्रेन से माधवी राजे को ग्वालियर लाया गया था.

सोने के सिंहासन पर बिठाया गया

शादी के बाद दोनों नवविवाहित जोड़े को  सोने की कुर्सियों या यों कहें सोने के सिंहासन पर बैठाया गया था. इसके साथ उन्होंने सोने के बर्तनों में खाना परोसा गया था. पूरे ग्वालियर में सिंधिया परिवार की तरफ़ से खाना बांटा गया था. हर तरफ बैंड- बाजा और गानों की धुन में लोग झूम रहे थे. नेपाल की राजकुमारी यानी ग्वालियर की महारानी की एक झलक इतनी बेशकीमती थी.

ADVERTISEMENT

माधवी राजे दुल्हन बनकर ग्वालियर आईं तो राजमाता विजयराजे सिंधिया ने ऐसे किया था वेलकम, वो तस्वीर हो गई वायरल

महारानी माधवी राजे सिंधिया को नैरोगेज ट्रेन से लाया गया था. स्टेशन से महल तक पर्दा लगाकर उतारा गया था. नैरोगेज ट्रेन लगभग 115 साल का सफर पूरा कर चुकी है और इसे बनाने का श्रेय सिंधिया परिवार को ही दिया जाता है.

इनपुट- एमपी तक के लिए वरुल चतुर्वेदी.

ADVERTISEMENT

    follow on google news
    follow on whatsapp

    ADVERTISEMENT