राहुल गांधी मध्यप्रदेश में जीत को लेकर क्यों हैं इतने आश्वस्त? इन 5 बिंदुओं में समझिए
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MP Politics: कांग्रेस ने कर्नाटक विधानसभा चुनाव में 136 सीटों के साथ बंपर जीत दर्ज कर सरकार बनाई. इस घटना ने कांग्रेस और राहुल गांधी में ऐसी जान फूंकी है कि बीते दिनों दिल्ली में मप्र कांग्रेस के नेताओं के साथ बैठक के बाद राहुल गांधी ने ऐलान कर दिया कि कांग्रेस मध्यप्रदेश में 150 सीटों के साथ सरकार बनाने जा रही है. राहुल गांधी ने जिस अंदाज और कांफिडेंस के साथ ये बात बोली, उसके बाद से ही राजनीति के जानकार राहुल गांधी के इस कांफिडेंस का राज जानने की कोशिशों में लग गए हैं. लेकिन यहां हम आपको वो 5 प्रमुख कारण बता रहे हैं, जो राहुल गांधी के इस कांफिडेंस का आधार बनता नजर आ रहा है.
पहले आपको बताते हैं कि आखिर मध्यप्रदेश और कर्नाटक का राजनीतिक माहौल एक जैसा क्यों हैं. मप्र और कर्नाटक दोनों ही राज्यों में 2018 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को बहुमत नहीं मिला था. मध्यप्रदेश में कांग्रेस 114 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनी थी तो कर्नाटक में 104 सीटों के साथ बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनी थी.
लेकिन कर्नाटक में कांग्रेस और जेडीयू ने मिलकर गठबंधन सरकार बना ली थी लेकिन कुछ ही समय बाद बीजेपी ने कांग्रेस-जेडीयू का बड़ा खेमा तोड़कर बीजेपी में मिला लिया और वहां उपचुनाव के बाद बीजेपी की सरकार बन गई. ऐसा ही कुछ मध्यप्रदेश में भी हुआ. मध्यप्रदेश में कांग्रेस बहुमत से दो सीटें कम होने के बाद भी सपा-बसपा और कुछ निर्दलीय विधायकों के समर्थन से सरकार बनाने में कामयाब हुई लेकिन 15 महीने बाद ही ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके समर्थक मंत्री-विधायकों ने कांग्रेस का साथ छोड़ बीजेपी का दामन थाम लिया और कांग्रेस की कमलनाथ सरकार 15 महीने बाद ही गिर गई थी. दोनों ही राज्यों में बीजेपी ने इस मिशन को ऑपरेशन लोटस नाम दिया था.
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ये हैं वो 5 कारण, जिनकी वजह से राहुल गांधी भर रहे हैं दम
1. 40 प्रतिशत कमीशन वाली सरकार एक्सपोज अभियान
कांग्रेस कर्नाटक में सरकार के भ्रष्टाचार को बड़ा मुद्दा बनाने में सफल रही. कांग्रेस ने कर्नाटक में शुरू से ही प्रचारित कर दिया कि बीजेपी की बसवराज बोम्मई सरकार 40 प्रतिशत कमीशन वाली सरकार है. यानी जो भी जनता से जुड़े काम होंगे, उसके टेंडर में 40 प्रतिशत कमीशन देना ही पड़ता है. कांग्रेस ने अब यह अभियान मध्यप्रदेश में भी शुरू कर दिया है. ताजा मामला महाकाल लोक का है. जहां पर बीते दिनों तेज आधी की वजह से सप्तऋषियों की मूर्तियां टूटकर गिर पड़ी और अब कांग्रेस नेता इसे भ्रष्टाचार का सबसे बड़ा उदाहरण बता रहे हैं.
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2. कांग्रेस के विधायक तोड़ना
कर्नाटक में भी बीजेपी ने ऑपरेशन लोटस चलाया था. कांग्रेस-जेडीयू के विधायक तोड़कर बीजेपी में ले आए और उनकी मदद से सरकार बना ली थी. मध्यप्रदेश में भी ऑपरेशन लोटस चला और सिंधिया के रूप में कांग्रेस का बड़ा खेमा तोड़कर बीजेपी में लाया गया और सरकार बनाई गई. अब ऐसा करने से बीजेपी को तात्कालिक लाभ तो मिल गया लेकिन उसके बाद से बीजेपी के अंदर ही कलह शुरू हो गई.
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3. बीजेपी का आंतरिक कलह
कर्नाटक में भी कांग्रेस-जेडीयू से तोड़कर लाए गए विधायकों को एडजस्ट करने के चक्कर में बीजेपी का मूल कैडर नाराज हुआ और मध्यप्रदेश में भी सिंधिया और उनकी टीम के विधायकों को एडजस्ट करने के लिए बीजेपी ने अपने मूल कैडर, पुराने नेताओं को थोड़ा किनारे किया. यहीं वजह है कि सत्यनारायण सत्तन, अनूप मिश्रा, भंवर सिंह शेखावत, दीपक जोशी, नारायण सिंह कुशवाहा आदि कई नेताओं की नाराजगी सामने आई और दीपक जोशी तो पार्टी छोड़कर कांग्रेस में ही चले गए.
4. धर्म और हिंदुत्व का तड़का न चलना
कर्नाटक में बीजेपी ने बजरंग दल को बैन करने के कांग्रेस के ऐलान को बजरंग बली का अपमान बताकर भुनाने की भरसक कोशिश की. लेकिन बीजेपी का हिंदुत्व और धर्म का यह दांव कर्नाटक में चला नहीं. जिसके बाद से ही राजनीति के जानकार कयास लगा रहे हैं कि जिस तरह से मध्यप्रदेश में बागेश्वर धाम और धीरेंद्र शास्त्री को आगे करके बीजेपी यदि कोई राजनीतिक लाभ लेने की सोच भी रही है तो यहां भी लाभ मिलने पर आशंका है.
5. कई सर्वे रिपोर्ट
मध्यप्रदेश की राजनीति को करीब से देखने वाले विश्लेषक और सीनियर पत्रकार बता रहे हैं कि खुद आरएसएस और बीजेपी के सर्वे रिपोर्ट में भाजपा की सीटें 100 से नीचे जाने की जानकारी आई है और कांग्रेस के सर्वे में दावा किया जा रहा है कि मध्यप्रदेश में 135 से 140 सीटें कांग्रेस को मिल रही हैं. इन्हीं सर्वे रिपोर्ट को लेकर दिल्ली में राहुल गांधी, राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लकार्जुन खरगे ने मप्र कांग्रेस के कमलनाथ-दिग्विजय सिंह सहित 11 नेताओं के साथ घंटों तक मंत्रणा की. जिसके बाद ही राहुल गांधी ने मीडिया में आकर कहा कि मध्यप्रदेश में कांग्रेस कर्नाटक को रिपीट करने जा रही है. सीटें भी 150 आएंगी.
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