एससी-एसटी वोटरों के बिखराव पर भाजपा खुश, कांग्रेस टेंशन में! 82 आरक्षित सीटों पर होगा त्रिकोणीय मुकाबला?

अभिषेक शर्मा

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MP Election: 'BJP has accepted defeat in Madhya Pradesh', know why Kamal Nath said this?
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MP POLITICAL NEWS: बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा से मीडिया ने बीते दिनों भोपाल में भीम आर्मी के प्रदर्शन और बड़ी जनसभा को लेकर सवाल किया तो वे काफी रिलेक्स नजर आए और बोले कि लोकतंत्र में हर किसी को अपनी बात कहने का अधिकार है और वे जो भी कर रहे हैं या जो भी करें, उसे संविधान और कानून के दायरे में करें. उनकी बातों से एक बार भी नहीं लगा कि भीम आर्मी की जनसभा में लाखों की संख्या में एससी-एसटी वर्ग के लोगों का पहुंचना बीजेपी के लिए कोई खतरे की घंटी है. वहीं कांग्रेस में इसे लेकर हलचल देखी जा रही है. ऐसे में राजनीतिक विश्लेषक संभावना जता रहे हैं कि मध्यप्रदेश की 230 विधानसभा सीटों में से 82 आरक्षित सीटों पर मुकाबला त्रिकोणीय हो सकता है.

भोपाल के दशहरा मैदान में हुई भीम आर्मी की जन सभा को लेकर बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा का नजरिया काफी शांत और सकारात्मक दिखा. वहीं दूसरी ओर कांग्रेस खेमे में इसे लेकर खलबली मची हुई है. पीसीसी चीफ कमलनाथ ने कुछ दिन पहले आदिवासी विधायकों और नेताओं को भोपाल बुलाकर बैठक की तो वहीं पूर्व मंत्री जयवर्धन सिंह तीसरे माेर्चे के रूप में दिखाई दे रहे सभी दलों को हाथ जोड़कर निवेदन कर रहे हैं कि वे कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ें.

राजनीतिक विश्लेषक इस स्थिति को लेकर साफ तौर पर संकेत दे रहे हैं कि इस बार गैर बीजेपी और गैर कांग्रेस दलों की वजह से एससी-एसटी वोट में बिखराव होने वाला है. जिसका सीधा फायदा बीजेपी को मिलेगा और कांग्रेस को इसका नुकसान उठाना पड़ सकता है. उल्लेखनीय है कि 2023 के विधानसभा चुनावों को लेकर क्षेत्रीय दलों द्वारा अब तक बीजेपी और कांग्रेस दोनों से ही दूरी बनाकर रखी जा रही है.

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बीजेपी के लिए ये स्थिति राहत देने वाली है?
वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक धनंजय प्रताप सिंह अपनी एक रिपोर्ट में बताते हैं कि क्षेत्रीय दलों ने अभी तक कांग्रेस से दूरी बनाकर रखी है. कांग्रेस का गठबंधन अभी तक किसी भी क्षेत्रीय दल से नहीं हुआ है. बीजेपी भी किसी के साथ गठबंधन के मूड में नजर नहीं आ रही है. ऐसे में जय आदिवासी युवा शक्ति संगठन यानी जयस, भीम आर्मी, बसपा ये सभी दल अपने उम्मीदवार उतारने की घोषणा पहले ही कर चुके हैं तो इससे कई सीटों पर खासतौर पर 82 आरक्षित सीटों पर चुनाव त्रिकोणीय हो जाएगा. इसका फायदा बीजेपी को मिलेगा, क्योंकि बीजेपी से छिटककर जो एससी और एसटी वर्ग का वोट 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की तरफ चला गया था और उसके कारण कांग्रेस को बंपर फायदा हुआ था, वही वोट अब जयस, भीम आर्मी, बसपा जैसे दलों में जाकर बंट जाएगा और कांग्रेस के खाते में नहीं जाएगा तो इसका सीधा फायदा बीजेपी को मिलेगा.

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बीजेपी ने यही जानकर शुरू कर दी विकास यात्रा
रीवा में एयरपोर्ट निर्माण के भूमिपूजन कार्यक्रम में सीएम शिवराज सिंह चौहान ने भरे मंच से कहा था कि उनको ग्वालियर-चंबल संभाग की 34 सीटों पर बड़ा नुकसान हुआ था और उसी वजह से वे 2018 विधानसभा चुनाव में सरकार नहीं बना सके थे. इन 34 सीटों पर बीजेपी की हार की वजह बने थे ज्योतिरादित्य सिंधिया और एससी-एसटी वोटों का कांग्रेस के पाले में चले जाना. खुद सीएम इस बात को स्वीकार कर चुके हैं. बीजेपी के इंटरनल सर्वे में भी सामने आया कि एससी-एसटी वर्ग अभी भी पूरी तरह से बीजेपी से खुश नहीं है.

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इसलिए बीजेपी ने 5 फरवरी को संत रविदास जयंती के मौके पर प्रदेशभर में विकास यात्रा निकालने की शुरूआत की और इसका शुभारंभ कार्यक्रम चंबल संभाग के प्रमुख जिले भिंड जिले में किया और वहीं से हरी झंडी दिखाकर सीएम ने विकास यात्रा की शुरूआत प्रदेशभर में की. बीजेपी जानती है कि बड़ी संख्या में इस बार एससी-एसटी वाेट गैर बीजेपी और गैर कांग्रेस दलों में बंटने वाला है और ऐसे में यदि बीजेपी विकास यात्रा के जरिए कुछ हद तक भी एससी-एसटी वोटरों को अपने पाले में ले आई तो उसका फायदा आगामी विधानसभा चुनाव में निश्चित है.

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लेकिन कांग्रेस नेता लगातार अपने ही दावे किए जा रहे हैं
नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस के कद्दावर नेता डॉ. गोविंद सिंह MP Tak से बातचीत में अभी भी यही कह रहे हैं कि एससी और एसटी वोट बंटेगा नहीं बल्कि कांग्रेस की 15 महीने की सरकार में उनके लिए कई कल्याणकारी कार्यक्रम कमलनाथ सरकार ने शुरू किए थे और एससी-एसटी वोट कांग्रेस की तरफ ही आएगा और बीजेपी को इस बार भी बड़े पैमाने पर 82 आरक्षित सीटों सहित अधिकतर सीटों पर हार का सामना करना पड़ेगा.

कुछ ऐसे ही ख्याल मध्यप्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष रामनिवास रावत भी जता रहे हैं. उनका कहना है कि विकास यात्रा के नाम पर नौटंकी करने वाली बीजेपी को इससे कोई फायदा नहीं मिलेगा. एससी और एसटी समुदाय का भरोसा हमेंशा ही कांग्रेस पर रहा है और आगामी विधानसभा चुनाव के परिणाम इस बात को साबित भी कर देंगे.

लेकिन पूर्व मंत्री जयवर्धन सिंह का बयान इनसे अलग है और वे मान रहे हैं कि यदि जयस, भीम आर्मी, आम आदमी पार्टी, सपा, बसपा ये सभी कांग्रेस से दूरी बनाते हैं और सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेंगे तो वोटों में बिखराव होगा और फायदा बीजेपी को हो जाएगा. उल्लेखनीय है कि 82 आरक्षित सीटों में से 47 सीटें एसटी वर्ग के लिए और 35 सीटें एससी वर्ग के लिए आरक्षित की गई हैं.

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