ग्वालियर-चंबल की 34 सीटों के लिए BJP की निर्णायक तैयारी, आंबेडकर महाकुंभ पर कुछ बड़ा होगा?

अभिषेक शर्मा

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Gwalior-Chambal mp assembly election 2023 mp news Gwalior News
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MP POLITICAL NEWS: आदिवासी वोटरों के बाद बीजेपी की नजर अब मध्यप्रदेश के दूसरे सबसे बड़े वोट बैंक अनुसूचित जाति वर्ग पर है. मध्यप्रदेश की कुल जनसंख्या में 15.6 प्रतिशत आबादी एससी वर्ग की है. आदिवासी वर्ग की जन संख्या तकरीबन 21.5 प्रतिशत है. दूसरा सबसे बड़ा वोट बैंक एससी वर्ग को साधने के लिए बीजेपी ग्वालियर में आंबेडकर महाकुंभ का आयोजन करने जा रही है. बीजेपी पहली बार बड़े पैमाने पर आंबेडकर को लेकर कोई बड़ा आयोजन करने जा रही है. इसके लिए 9 दिन पहले से ही बीजेपी ने अपने बड़े नेताओं को ग्वालियर-चंबल के दौरे पर भेजना शुरू कर दिया है. शुक्रवार को केंद्रीय नागरिक उड्‌डयन मंत्री और ग्वालियर-चंबल संभाग में प्रभावी ज्योतिरादित्य सिंधिया को पूरी टीम के साथ भेजा गया है.

पहले यह कार्यक्रम डॉ.भीमराव आंबेडकर की जन्मस्थली इंदौर के महू में होना था. 14 अप्रैल को आंबेडकर जयंती है लेकिन महू में महाकुंभ का आयोजन निरस्त किया गया और उसका स्थान बदलकर ग्वालियर किया गया. महाकुंभ भी 14 अप्रैल आंबेडकर जयंती के दिन नहीं बल्कि दो दिन बाद 16 अप्रैल को ग्वालियर के मेला ग्राउंड में किया जाएगा. दरअसल यह सभी परिवर्तन बीजेपी की एक बड़ी रणनीति का हिस्सा है. पढ़िए आंबेडकर महाकुंभ को लेकर बीजेपी की चुनावी रणनीति का पूरा विश्लेषण.

आंबेडकर महाकुंभ आयोजित क्यों करना पड़ रहा है?
आखिर बीजेपी को आंबेडकर महाकुंभ आयोजित क्यों करना पड़ रहा है?. इस सवाल का जवाब छिपा है, 2 अप्रैल 2018 की उस घटना में जब ग्वालियर-चंबल संभाग में जातिगत दंगे भड़के थे और उस घटना में 2 युवकों की मौत और दो सैकड़ा से अधिक लोग घायल हो गए थे. यह जातिगत दंगे एट्रोसिटी एक्ट में हुए संसोधनों की वजह से भड़के थे. इसका परिणाम बीजेपी को दिसंबर 2018 के विधानसभा चुनाव में भुगतना पड़ा था, जब बीजेपी सरकार बनाने से मात्र कुछ ही सीटों के कम रह जाने से पिछड़ गई थी.

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बीजेपी को 2018 के विधानसभा चुनाव में कुल 109 सीटें मिली थीं जबकि कांग्रेस को 114 सीटें मिल गई थी. बीजेपी को तब सबसे बड़ा नुकसान ग्वालियर-चंबल संभाग में ही हुआ था. यहां की 34 सीटों में से बीजेपी को सिर्फ 7 सीटें मिली थीं और कांग्रेस के खाते में 26 सीटें आई थीं. बसपा को भी 1 सीट मिल गई थी. तब ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस में थे. इसी गणित को ठीक करने के लिए बीजेपी ने अब आंबेडकर महाकुंभ का आयोजन करने का निर्णय लिया है और उसी रणनीति के तहत सिंधिया और उनके प्रमुख मंत्री-विधायकों को कार्यक्रम के आयोजन की तैयारियों को लेकर ग्वालियर में भेजा गया है.

बीजेपी लगातार कर रही है एससी वर्ग को साधने की कोशिश
बीते 5 फरवरी को संत रविदास जयंती पर बीजेपी ने अपनी विकास यात्रा की शुरूआत भी चंबल संभाग के भिंड जिले से की थी. खुद सीएम शिवराज सिंह चौहान और एससी वर्ग के बड़े नेताओं ने विकास यात्रा को हरी झंडी दिखाई थी. राजनीतिक विश्लेषकों ने इस मामले को भी बीजेपी द्वारा एससी वर्ग को साधने से ही जोड़ा था.

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सिंधिया समर्थक मंत्री ने दिए कुछ बड़ा होने के संकेत
सिंधिया समर्थक मंत्री तुलसी सिलावट ग्वालियर के भी प्रभारी मंत्री हैं. ग्वालियर में मंत्री तुलसी सिलावट ने कहा कि आंबेडकर महाकुंभ बड़े पैमाने पर होगा. उसकी तैयारियों में हम लोग जुटे हुए हैं. इस महाकुंभ के जरिए बीजेपी एससी वर्ग के लोगों में एक बड़ा संदेश देगी. यह आयोजन अपने आप में ऐतिहासिक होगा और बाबा साहेब का जो संकल्प था, उसे पूरा करने की शुरूआत हम लोग इस आयोजन से करेंगे.

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बीजेपी के SC वर्ग के राष्ट्रीय अध्यक्ष लाल सिंह आर्य ने MP Tak को बताई रणनीति
इस पूरे मामले को लेकर MP Tak ने बीजेपी के अनुसूचित जाति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मंत्री लाल सिंह आर्य से बात की. लाल सिंह आर्य ने बताया कि डॉ. भीमराव आंबेडकर संविधान निर्माता ही नहीं बल्कि इस देश के सबसे बड़े नायक हैं. कांग्रेस ने उनकी जयंती को लेकर कभी भी कोई बड़ा कार्यक्रम नहीं किया लेकिन बीजेपी महाकुंभ के जरिए आंबेडकर जयंती को यादगार बनाना चाहती है. इसे राजनीति से न जोड़ा जाए.

लाल सिंह आर्य बताते हैं कि यह न समझा जाए कि हमें 2018 के विधानसभा चुनाव में जो कम सीटें यहां से मिली थीं तो हम अब उस कमी को पूरा करने या एससी वर्ग को साधने के लिए यह आयोजन कर रहे हैं. महू में कार्यक्रम को न करने की वजह सिर्फ इतनी है कि उस दिन आंबेडकर जयंती है और पूरे देश में उनके के लिए आयोजन होंगे. हम चाहते हैं कि बीजेपी का आयोजन पूरे देश में बड़े पैमाने पर दिखाई दे और इसलिए हमने 16 अप्रैल का दिन चुना है. लाल सिंह आर्य ने बताया कि इस दिन बीजेपी एससी वर्ग के लिए कुछ बड़ी योजनाओं की घोषणा भी कर सकती है.

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