SHEOPUR NEWS: मध्यप्रदेश के श्योपुर में पुलिस, जिला प्रशासन और खाद्य विभाग की टीम ने पीडीएस के चावल की कालाबाजारी होते हुए पकड़ा. श्योपुर की पीडीएस दुकानों पर जो चावल सप्लाई होना था, उसे कालाबाजारी करने वाले बॉर्डर इलाके से होते हुए राजस्थान में खपाने की तैयारी कर रहे थे. लेकिन इससे पहले ही प्रशासन, खाद्य विभाग और श्योपुर पुलिस की संयुक्त कार्रवाई में 2 लोडिंग वाहन पकड़ लिए गए जिसमें पीडीएस की दुकानों को सप्लाई किया जाने वाला चावल भरा था, जिसे राजस्थान के कोटा जिले के खातौली कस्बे में ले जाने की कोशिश हो रही थी. इससे पूर्व राजस्थान के सवाई माधौपुर में पीडीएस के चावल की कालाबाजारी होते हुए प्रशासन ने पकड़ी थी.
सीएम शिवराज सिंह चौहान अपनी हर जनसभा में कलेक्टर-कमिश्नर को निर्देश दे रहे हैं कि गरीबों के राशन की कालाबाजारी नहीं होना चाहिए लेकिन कालाबाजारी लगातार जारी है. श्योपुर जिले के एएसपी सतेंद्र सिंह तोमर ने बताया कि गोपनीय सूचना के आधार पर पुलिस-प्रशासन और खाद्य विभाग की संयुक्त टीम ने छापामार कार्रवाई कर दो लोडिंग वाहनों को पकड़ लिया, जिसमें पीडीएस दुकानों को सप्लाई किया जाने वाला चावल भरा हुआ था. लगभग 3 लाख रुपए कीमत का चावल जब्त किया गया जिसे राजस्थान के कोटा जिले में ले जाया जा रहा था. दोनों लोडिंग वाहन में कुल 63 क्विंटल चावल भरा था, जिसे जब्त कर खाद्य विभाग को सौंप दिया गया है.
अब खाद्य विभाग करेगा जांच
चावल जब्त करने के बाद अब इस मामले की जांच खाद्य विभाग द्वारा की जाएगी. खाद्य विभाग के अधिकारियों ने बताया कि ड्राइवरों से पुलिस की पूछताछ के बाद पता चला है कि बिट्टू उर्फ आनंद अग्रवाल और दिनेश गर्ग बारदाने वाले ही इस चावल की कालाबाजारी करा रहे थे. इस आधार पर पुलिस थाने में दोनों व्यक्तियों के खिलाफ विभिन्न धाराओं में प्रकरण दर्ज करा दिया है. खाद्य विभाग पता लगाने की कोशिश कर रहा है कि पीडीएस दुकानों पर सप्लाई होने वाला चावल आखिर निजी कारोबारियों के हाथों में कैसे पहुंचा?
बॉर्डर इलाके में अधिक होती है कालाबाजारी
मध्यप्रदेश का बॉर्डर 5 राज्यों से लगता है. राजस्थान, उत्तरप्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ और गुजरात. मप्र के करीब 20 से अधिक जिलों की सीमा पड़ौसी राज्यों के जिलों से लगती है. इसमें श्योपुर, भिंड, मुरैना, झाबुआ, अलीराजपुर, शिवपुरी, बुरहानपुर आदि जिले शामिल हैं. सबसे अधिक कालाबाजारी की शिकायतें इन बॉर्डर जिलों से ही आती हैं, क्योंकि कालाबाजारी कर एक राज्य से दूसरे राज्य में माल खपाना आसान हो जाता है. साल में दो से तीन बार इन सभी पांच राज्यों की पुलिस मप्र की पुलिस और प्रशासन के साथ बॉर्डर मीटिंग करते हैं लेकिन इसके बाद भी कालाबाजारी पर रोक नहीं लग पा रही है और गरीबों का राशन इस तरह कालाबाजारी के जरिए दूसरे राज्यों के बाजारों में पहुंच जाता है.