CM शिवराज हुए इंदौर की ‘BETi’ पूजा के मुरीद, क्यों हो रही है पूजा की इतनी तारीफ? जानिए
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Aatmnirbhar Bharat: सीएम शिवराज सिंह चौहान इंदौर की बेटी पूजा के मुरीद हो गए हैं. उन्होंने ट्विटर पर वीडियो पोस्ट कर पूजा दुबे के काम की तारीफ की है. पूजा पेशे से बायोटेक्नोलॉजिस्ट हैं. वे किसानों को पराली से मशरूम उगाना सिखा रही हैं. मशरूम के वेस्ट से कई प्रॉडक्ट बनाने पर भी पूजा काम कर रही हैं. उन्होंने ‘Beti’ (Biotech Era Transforming India) नाम से अपनी कंपनी शुरू की है. सीएम ने मशरूम के वेस्ट से पैकेजिंग मटेरियल बनाने के कदम को आत्मनिर्भर भारत से जोड़ा और सराहनीय बताया. सीएम ने कहा कि उनका ये कदम पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है.
पूजा ने मशरूम के वेस्ट से बने प्रॉडक्ट्स का स्टॉल जी-20 में भी लगाया. इसकी सराहना देश और विदेश के प्रतिनिधियों ने की है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि ग्लोबल वार्मिंग एक बड़ी समस्या है, पराली जलाने से ये बढ़ती है. पराली के वेस्ट मटेरियल से फ्लॉवर पॉट, पैकेजिंग मटेरियल जैसे उत्पाद बनाने से पराली जलाने की नौबत नहीं आएगी. ये पर्यावरण के लिए भी बहुत फायदेमंद है.
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कुपोषण और प्रदूषण से लड़ना था मकसद
पूजा ने कहा कि उन्होंने ये काम दो मकसद के लिए शुरू किया है. पहला प्रदूषण और दूसरा कुपोषण को कम करना.उन्होंने खेती के वेस्ट से अलग-अलग तरह के मशरूम उगाए. मशरूम के वेस्ट से अच्छी किस्म के बीज तैयार किए. मशरूम के बीज वे किसानों को भी सप्लाई करती हैं. वे मशरूम के वेस्ट से बॉल्स, प्लेट, कीचैन्स, फ्लॉवर पॉट और पैकेजिंग बैग्स चीजें बनाती हैं.
मशरूम के वेस्ट से सामान बनाए
मशरूम की पैकेजिंग प्लास्टिक और थर्माकोल में होती थी. इससे छुटकारा पाने के लिए पूजा ने मशरूम के वेस्ट से ही इको फ्रेंडली बैग बना डाले. मशरूम के वेस्ट के इस्तेमाल से बैग्स बनाए जा रहे हैं और अब उसी में मशरूम की पैकिंग की जा रही है. पूजा लोगों को ताजा मशरूम भी उपलब्ध कराती हैं. मशरूम का स्पेशल बैग है, जिससे 7-10 दिन के भीतर आप घर में मशरूम उगा सकते हैं और खा सकते हैं. इस तरह से पूजा किसानों को भी ट्रैनिंग दे रही हैं उनकी कंपनी बेटी (Biotech Era Transforming India) 300 किसानों से जुड़ चुकी है. किसान भी मशरूम की खेती से लाभ कमा रहे हैं.
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मशरूम के बारे में जागरूकता फैलाना चाहती थीं
पूजा के मुताबिक मशरूम की कई वैराइटीज हैं, लेकिन इसकी डिमांड केवल बटन मशरूम तक सीमित रह गई है.खाने वाले मशरूम के अलावा कुछ मेडिसिनल वैराइटीज भी हैं. मशरूम की कई वैराइटीज की खेती देश में की जा सकती है. उनके अनुसार मशरूम का कल्टीवेशन हो रहा है, लेकिन लोगों को इसकी क्वालिटी के बारे में नहीं पता है, इसकी खेती के बारे में जानकारी नहीं है. पूजा चाहती थीं कि वे अच्छी क्वालिटी का बीज बना सकें और लोगों को इसके बारे में सिखा सकें. मशरूम के उत्पादन और खेती के बारे में जागरूकता फैलाना भी पूजा का मुकसद था.
जॉब छोड़कर की स्टार्ट अप की शुरुआत
डॉक्टर पूजा दुबे ने टाटा कैंसर हॉस्पिटल जैसी जगहों से जॉब छोड़कर इस स्टार्टअप की शुरुआत की. पूजा ने अपने घर के अंदर ही लैब बनाई. उन्होंने सिंगल सेल प्रोटीन पर स्टडी की. इसके बाद मशरूम की खेती, नई किस्मों का आविष्कार और उसके वेस्ट से इको फ्रेंडली चीजें बनाने पर काम किया. पूजा मध्यप्रदेश यंग साइंटिस्ट अवॉर्डी हैं.
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