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इस मां का दर्द सुनें CM शिवराज, अगर ऐसे काम करेगी पुलिस तो कैसे बचेंगी बेटियां

सर्वेश पुरोहित

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Gwalior Crime News CM Shivraj Singh Chouhan, Murder in Gwalior
Gwalior Crime News CM Shivraj Singh Chouhan, Murder in Gwalior
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Gwalior Crime News: सीएम शिवराज सिंह चौहान जहां एक तरफ बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओं का नारा देकर बेटियों के मामा बनने का दावा करते हैं तो वहीं ग्राउंड पर सीएम शिवराज की पुलिस बेटियों को उनकी सुरक्षा की मांग के लिए चक्कर लगवाती है. ग्वालियर में पुलिस की नाकामी का खामियाजा भुगता एक बेटी ने जो एक सिरफिरे आशिक की गोली का शिकार हो गई. सिरफिरा आशिक जिस नाबालिग किशोरी को मारने आया था, उसे निशाना बनाने के दौरान गोली उसकी सहेली अक्षया यादव को लग गई और उसकी तड़प-तड़प कर मौत हो गई. अब पीड़ित बेटी की मां ने सीएम शिवराज से गुहार लगाई है कि आखिर वो जाए तो जाए कहां. हर जगह अब उसे अपनी और अपनी बेटी की जान का डर सता रहा है.

दरअसल आरोपी सुमित रावत, लंबे समय से जवाहर कॉलोनी में रहने वाली एक नाबालिग किशोरी को तंग कर रहा था. पिछले एक साल से वह बच्ची को परेशान कर रहा था. हालत यह हो गए कि नाबालिग किशोरी और उसकी मां को जवाहर कॉलोनी का घर छोड़कर सिकंदर कंपू  क्षेत्र में किराए का घर लेकर रहने को मजबूर होना पड़ा. इस दौरान लगातार पुलिस के हर अफसर के दफ्तर में इस मां ने गुंडों से बचाने गुहार लगाई लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई.

पीड़ित किशोरी की मां ने एमपी तक को बताया कि पहले पुलिस थाने, फिर एसपी ऑफिस, फिर आईजी ऑफिस तक शिकायत की लेकिन पुलिस ने उनकी शिकायत पर कोई तव्वजों नहीं दी. इसके बाद सीएम हेल्पलाइन पर शिकायत दर्ज कराई तो पुलिस ने बजाय गुंडों को पकड़ने के उलटा इस शिकायत को ही जबरिया बंद करा दिया.

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कैसे हुई घटना
बीते दिन अक्षया यादव और उसकी सहेली दोनों कोचिंग के लिए निकली थीं. अक्षया यादव आईआईटी की प्रवेश परीक्षा देने तैयारी कर रही थी. इसी दौरान मुख्य आरोपी सुमित रावत अपने दो साथियों शिवम और अनूप गुर्जर के साथ बाइक पर आए और बीच बाजार में अक्षया यादव और उसकी सहेली को रोककर उन पर फायर कर दिया. हत्यारों ने निशाना नाबालिग सहेली को बनाया लेकिन गोली लगी अक्षया यादव को. बाजार में तड़प-तड़प कर अक्षया यादव ने दम तोड़ दिया.

सुने एक बेटी की मां का दर्द, कैसे पुलिस के नकारापन ने ले ली एक बच्ची की जान
पीड़ित की मां ने बताया कि हर जगह शिकायत देने के बाद भी आज मेरी बेटी की सहेली की जान चली गई. अब मेरी और मेरी बेटी की जान भी खतरे में है. अब ये मान लूं कि पुलिस की कोई गलती नहीं है, सब भगवान की गलती है और उस वजह से एक बच्ची की जान चली गई. लड़कियाें की स्थिति पहले से ही खराब है और अब कोई चाकू से मार रहा है तो कोई शूट कर रहा है. कोख से लेकर घर के बाहर तक बच्चियों की स्थिति गंभीर है.

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मेरी बच्ची 16 साल की नाबालिग है आज वो मेंटल ट्रॉमा को लेकर कैसे जिएगी कि उसके कारण उसकी सहेली की जान चली गई. गोली लगने के बाद वो बच्ची तड़पती रही, मेरी बच्ची उसे लेकर अस्पताल भागी, वहां ट्रीट करने वाला ऐसा कोई नहीं था जो इमरजेंसी में लेकर उसका इलाज शुरू कर सके तब तक उसकी सांस चल रही थी. लेकिन कुछ देर में वो भी थम गई. 1000 बिस्तर का अस्पताल बनाने के दावे किए लेकिन सुविधा इतनी भी नहीं कि इमरजेंसी में आए किसी मरीज को प्रारंभिक उपचार दे सकें. मृतक बच्ची का व्रत था उस दिन और उसी हालत में हत्यारों ने उसे गोली मार दी.

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