फुटपाथ पर कपड़े बेचने वाला कैसे बना करोड़पति? ये है थाने में पथराव से चर्चा में आए शहजाद अली की कहानी
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न्यूज़ हाइलाइट्स
छतरपुर में थाने पर हुए पथराव कांड के बाद से हाजी शहजाद अली फरार है.
शहजाद अली शुरुआत में टैक्सी चालाने और फुटपाथ पर कपड़े बेचने का काम करता था.
टैक्सी चलाने से लेकर के वह करोड़ों की संपत्ति का मालिक बन गया.
Hazi Shahzad Ali: छतरपुर में थाने पर हुए पथराव कांड के बाद से हाजी शहजाद अली फरार है. शहजाद का करोड़ों का बंगला ढहा दिया गया है. वह फरार है और पुलिस उसकी तलाश में जुटी हुई है. अब जानकारी सामने आयी है कि शहजाद अली शुरुआत में टैक्सी चालाने और फुटपाथ पर कपड़े बेचने का काम करता था. ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि आखिर 25-30 सालों में ही हाजी शहजाद अली ने आखिर ऐसा क्या कर लिया कि टैक्सी चलाने से लेकर के वह करोड़ों की संपत्ति का मालिक बन गया.
फुटपाथ पर कपड़े बेचे, टैक्सी चलाई
बताया जाता है कि शहजाद अली ने अपने पिता के साथ टैक्सी चलाने की शुरुआत की थी. पिता का नाम जहूर अली था और इन्हीं के साथ शहजाद अली टैक्सी चलाते थे. लेकिन जब इसमें बहुत ज्यादा मुनाफा शहजादा अली को नहीं दिखा तो उसने दिल्ली और मुंबई से गर्म कपड़े लाकर के छतरपुर में फुटपाथ पर बेचना शुरू किए. लेकिन इसमें भी शहजाद अली को बहुत ज्यादा मुनाफा नहीं हुआ.
समाज में बढ़ाया रुत्बा
शहजाद अली ने काफी समय तक ये काम किया, लेकिन मुनाफा उतना नहीं हुआ. उसके अंदर जल्द अमीर बनने की जो चाहत थी उसे लेकर शहजाद अली ने पहले तो समाज के लोगों के साथ उठना-बैठना शुरू किया. लोगों के झगड़े सुलझाने शुरू किए. उनके विवाद सुलझाने शुरू किए. ऐसे में तेजी से समाज के भीतर उसकी एक अलग पहचान बन गई. इसके बाद अगर देखा जाए तो शहजाद अली जो है, वह समाज का सदर बना और इसके बाद जब वह हज की यात्रा करके आया तो शहजाद अली के नाम के आगे हाजी शब्द भी जुड़ गया और जाहिर सी बात है जब कोई हज करके आता है तो समाज में उसका मान सम्मान और ज्यादा बढ़ जाता है. ऐसे में शहजाद अली का मान सम्मान बढ़ा.
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हाजी शहजाद अली ने राजनीतिक पार्टियां भी ज्वॉइन की. उमा भारती के ऊपर जब 1998 में हमला हुआ था तो आरोप लगा था कि शहजाद के जो भाई हैं फैयाज उन्होंने अपने साथियों के साथ मिलकर के हमला किया था. उस समय उनको जेल भी जाना पड़ा था.
रियल स्टेट की दुनिया में रखा कदम
शहजाद अली की अगर हम बात करें तो उनके ऊपर भी तीन मामले दर्ज हैं. शहर के साइकिल व्यापारी यानी छतरपुर के साइकिल व्यापारी बुल्ले जैन की हत्या का आरोप 1998 में उन पर लगा. इसके अलावा 2016 में भी एक मामला दर्ज हुआ था, मारपीट के मामले में और कई सारे मामलों में भी शहजाद और उसके भाईयों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जा चुकी हैं.
घर पर कर लिया कब्जा
शहजाद अली ने रियल स्टेट में भी कदम रखा, जिसके बाद उसकी आर्थिक स्थिति में चार चांद लगना शुरू हुए. बताया जाता है कि शहजाद अली ने नौगांव रोड पर और इसके बाद प्रवीण पटेल जो नौगांव रोड पर उद्योग कार्यालय के पीछे रहते थे, करीब 15 साल पहले 1 लाख इन्होंने उधार लिया था ब्याज पर. जब प्रवीण पटेल पैसे देने में सक्षम नहीं हुए तो उनके मकान को 35 लाख में बिकवा दिया गया था. इसके बाद इस मकान के एक हिस्से में शहजाद अली ने अपने नाम का ताला भी डाल दिया.
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ताकत के दम पर जमीनों पर किया कब्जा
बताया जा रहा है कि ताकत के दम पर और अपने रुतबे के दम पर उन्होंने कब्जा कर लिया. इसके खिलाफ कई थानों में कई बार शिकायतें भी दर्ज हुई, लेकिन इसके बाद कोर्ट ने भी जब फैसला इनके पक्ष में नहीं दिया, इसके बावजूद इन्होंने उन जमीनों से, उन प्लॉटों से अपना कब्जा खाली नहीं किया. सरकारी जमीनों पर भी कब्जा करने के आरोप इनके ऊपर लगे हैं.
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