पुलिस के पहरे में दूल्हे ने निकाली घोड़ी पर बैठकर बारात क्योंकि सता रहा था उसे ये खौफ
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![पुलिस के पहरे में दूल्हे ने निकाली घोड़ी पर बैठकर बारात क्योंकि सता रहा था उसे ये खौफ Under the guard of the police, the groom took out the wedding procession sitting on the mare because this fear was haunting him](https://akm-img-a-in.tosshub.com/lingo/mptak/images/story/202305/khargone-19-768x432.png?size=948:533)
Tikamgarh News: देश आजाद हुये 70 साल से अधिक हो चुके हैं. लेकिन समाज में जातीय भेदभाव पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है. आज भी जाति के नाम पर गांव देहात में अनुसूचित वर्ग के लोगों को घोड़ी पर बारात निकालने से रोका जाता है. ऐसा ही कुछ वाक्या सामने आया टीकमगढ़ जिले के मतौली गांव से.
दरअसल गांव में अभी भी ऐसी मान्यताएं है कि ऊंची जाति के लोगों के घर से सामने से अनुसूचित जाति के लोग न तो चप्पल पहन के निकल सकते हैं, और न ही घोड़ी पर अपनी बारात निकाल सकते हैं. जिले के बल्देबगढ़ विकासखंड के मतौली गांव में हरदयाल अहिरवार की शादी थी. वो भी चाहता था कि उसकी बारात घोड़ी पर गाजे बाजों के साथ निकाली जाए. लेकिन दबंगो के डर से वो ऐसा नहीं कर पा रहा था.
पुलिस से मांगी दूल्हें ने मदद
गांव में आज भी जातिवाद एवं दबंग लोगों की गुंडागर्दी कायम है. आज भी गांव के दबंगों के डर से दलित परिवार और छोटी जाति के लोग आम लोगों की तरह अपना जीवन यापन नहीं कर पाते हैं. इस गांव में हरदयाल अहिरवार को अपनी बारात निकालने के लिए पुलिस मदद लेनी पड़ी है. हरदयाल ने थाने में बताया कि मैं अपनी बारात घोड़ी पर निकालना चाहता हूं, लेकिन मुझे डर है कि अगर बारात निकली तो गांव के दबंग लोग मारपीट कर सकते हैं. जैसा की वो पहले भी कर चुके हैं.
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पुलिस के पहरे में निकली बारात
थाना प्रभारी मनोज द्विवेदी से बारात को गांव में घुमाने के लिए पुलिस से सुरक्षा की मदद मांगी, जिसके बाद आज एक दर्जन से अधिक पुलिस वालों की देखरेख में दूल्हे को घोड़ी पर बैठा कर राछ निकाली गयी. दूल्हे की राछ गांव में निकलने का पूरा नजारा गांव के दबंग लोग अपने घरों में बैठे देखते रहे, पुलिस के होने के चलते उन्हें विरोध करना मुनासिब नहीं लगा. बिना पुलिस की मदद के राछ निकालना
पर गांव में कई बार विवाद हो चुके हैं और दूल्हे और परिवारजनों की मारपीट भी हो चुकी है. जिसके चलते अजय अहिरवार के परिवार जनो को पुलिस की मदद लेनी पड़ी.
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