7 करोड़ रुपये के सोने के सिक्कों की चोरी में आया नया मोड़, पुलिस अब आरोपियों से ऐसे उगलवाएगी सच

MP News: अलीराजपुर (Alirajpur) में हुई सोने के सिक्के की चोरी मामले में नाया मोड़ सामने आया है. मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के इतिहास में पहली बार किसी अपराध में पुलिसकर्मियों का नार्को-ब्रेन मैपिंग ओर पॉलीग्राफ टेस्ट होगा. अलीराजपुर पुलिस की फरियाद पर अलीराजपुर की एक अदालत ने सोंडवा सिक्का चोरी कांड में टीआई विजय देवड़ा […]

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MP News: अलीराजपुर (Alirajpur) में हुई सोने के सिक्के की चोरी मामले में नाया मोड़ सामने आया है. मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के इतिहास में पहली बार किसी अपराध में पुलिसकर्मियों का नार्को-ब्रेन मैपिंग ओर पॉलीग्राफ टेस्ट होगा. अलीराजपुर पुलिस की फरियाद पर अलीराजपुर की एक अदालत ने सोंडवा सिक्का चोरी कांड में टीआई विजय देवड़ा सहित चारों आरोपी पुलिसकर्मियों का नार्को-ब्रेन मैपिंग और पॉलीग्राफ टेस्ट करवाने के आदेश दिए हैं.

इस टेस्ट के लिए बजट की आवश्यकता होगी, जो वरिष्ठ कार्यालय से अलीराजपुर पुलिस ने मांगा है. करीब साढ़े 6 लाख का बजट इन चार पुलिसकर्मियों के इन तकनीकी टेस्ट में खर्च होगा. बजट मिलने के बाद यह टेस्ट की प्रक्रिया की जायेगी.

क्या है पूरा मामला?

बीते 19 जुलाई को अलीराजपुर जिले में करीब 7 करोड़ रुपये के सिक्कों की चोरी की गई थी. दरअसल सोंडवा थाने के टीआई विजय देवड़ा,आरक्षक सुरेश चौहान, आरक्षक राकेश डावर और आरक्षक विजेन्द्र सिंह पर बैजड़ा गांव के रहने वाले ग्रामीणों ने सोने के 240 सिक्के लूटने के आरोप लगाए थे, और पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी. इस मामले के सामने आने के बाद एसपी हंसराज सिंह ने मामले की जांच के निर्देश दिए थे, और जांच में टीआई सहित चारों पुलिसकर्मियों को दोषी पाए जाने के बाद निलंबित कर दिया था. इन सभी आरोपी पुलिसकर्मियों को गिरफ्तार कर लिया गया है. लेकिन सिककों का अभी तक पता नहीं चल पाया है, जिसके बाद अब पॉलीग्राफ टेस्ट और ब्रेन मैपिंग का तरीका अपनाया जा रहा है.

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क्यों पड़ रही पॉलीग्राफ टेस्ट की जरूरत?

नार्को-ब्रेन मैपिंग और पालीग्राफ टेस्ट की जरूरत पुलिस को इसलिए पड़ रही है, क्योंकि अपराध के आरोप लगने के 36 दिनों बाद भी आरोपी टीआई विजय देवड़ा और तीन कांस्टेबल की गिरफ्तारी हुई थी. लेकिन गिरफ्तारी के 8 दिन गुजरने के बावजूद पुलिस इन आरोपी पुलिसकर्मियों से चोरी किए गये सिक्कों की बरामदगी नहीं कर पाई है. हालांकि यह चारों आरोपी पुलिसकर्मी अभी 8 सितंबर तक पुलिस रिमांड पर हैं. चूंकि पुलिसकर्मी पुलिस के सारे हथकंडे जानते हैं, इसलिए जांच टीम को अंदेशा है कि यह पुलिस रिमांड में कुछ नहीं बतायेंगे. इसलिए अब तकनीकी जांच पर जाना होगा. यही वजह है कि पुलिस ने फरियाद लगाकर कोर्ट से नार्को-ब्रेन मैपिंग और पॉलीग्राफ टेस्ट की अनुमति ली है.

कोर्ट ने दी अनुमति

अलीराजपुर एसपी राजेश व्यास का कहना है कि पिछले महीने यह अपराध घटित हुआ है और उसके बाद लगातार पुलिस ने उनके घरों पर दबिश दी है और चारों मुख्य आरोपियों को गिरफ्तार कर हिरासत में लेते हुए उनका रिमांड भी लिया. हमने जो SIT गठित की है उसके अधिकारी उन लोगों से बारी-बारी पूछताछ कर रहे हैं. पूछताछ के बाद हमें जो साक्ष्य मिले हैं उन साक्ष्य के लिए हम हमारे एक्सपर्ट की मदद ले रहे हैं और बहुत जल्दी ही हम टेक्नीकल टूल्स होते हैं, इंट्रोगेशन के उसका हम उपयोग करेंगे और जो भी साक्ष्य है उसका पता करेंगे. इस संबंध में हमने संबंधित न्यायालय से भी अनुमति ली है .

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