क्या है धार का भोजशाला विवाद? जहां रात के अंधेरे में वाग्देवी की प्रतिमा रखने पर बढ़ा तनाव
Dhar Bhojshala Dispute: धार का भोजशाला एक बार फिर से चर्चा में है. इसकी वजह है वहां पर अज्ञात लोगों ने मां वाग्देवी की प्रतिमा स्थापित कर दी. प्रतिमा स्थापित होने की जानकारी जैसे ही प्रशासन को लगी प्रशासन ने तुरंत प्रतिमा को भोजशाला से हटा दिया गया. हालांकि प्रतिमा अभी कहां रखी गई है. […]

Dhar Bhojshala Dispute: धार का भोजशाला एक बार फिर से चर्चा में है. इसकी वजह है वहां पर अज्ञात लोगों ने मां वाग्देवी की प्रतिमा स्थापित कर दी. प्रतिमा स्थापित होने की जानकारी जैसे ही प्रशासन को लगी प्रशासन ने तुरंत प्रतिमा को भोजशाला से हटा दिया गया. हालांकि प्रतिमा अभी कहां रखी गई है. इसकी जानकारी प्रशासन ने नहीं दी है. वहीं इस पूरी घटना के बाद सुबह से ही भोजशाला में हिंदू संगठनों सहित आम लोगों की भीड़ जमा होने लगी, जिसे देखते हुए प्रशासन ने यहां भारी पुलिस बल तैनात कर दिया है. हिंदू संगठनों के लोगों ने भोजशाला के अंदर पहुंचकर मां वाग्देवी के जयकारे लगाए.
इस पूरे मामले में गोपाल शर्मा ने कहना है कि भोजशाला में मां वाग्देवी की प्रतिमा स्वयंभू स्थापित हुई है, प्रशासन ने इसे यहां से हटाकर गलत किया है. उन्होंने मांग की है कि जल्द ही मां वाग्देवी की प्रतिमा स्थापित की जाए. एडिशनल एसपी डॉ. इंद्रजीत बाकलवार का कहना है कि कुछ अज्ञात लोगों ने भोजशाला के पीछे लगी तार फेंसिंग को काटकर भोजशाला में मां वाग्देवी की प्रतिमा स्थापित कर दी थी, जिसे हटा दिया गया है.
मुस्लिम समाज ने भी ज्ञापन देकर घटना के आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की मांग की. अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक डॉ इंद्रजीत बाकरवाल ने फोन पर बताया कि कुछ अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर किया गया है.
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अज्ञात लोगों ने फेसिंग की तार काट रख दी प्रतिमा
भारतीय पुरातत्व विभाग के अधीन स्मारक भोजशाला मे शनिवार की रात को कुछ अज्ञात लोगो द्वारा तार फेंसिंग तोडकर भोजशाला मे गर्भगृह मे पहुंचकर मूर्ति रखने का प्रयास किया था, जिसे प्रशासन ने मूर्ति हटाकर विफल कर दिया है. हालांकि भोजशाला आंदोलनकारी प्रशासन की हठधर्मी बताकर मूर्ति को वापस रखने की मांग कर रहे हैं और मूर्ति रखने वाले को साधुवाद दे रहे हैं. इस घटना के बाद मुस्लिम समाज में आक्रोश है. उन्होंने प्रशासन को ज्ञापन देकर आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की, स्मारक की सुरक्षा कड़ी किए जाने का अनुरोध किया.
30 साल से चल रहा है भोजशाला विवाद
भोजशाला आंदोलनकारी गोपाल शर्मा ने कहा कि मैं उसको धन्यवाद देता हूं कि उसने हिम्मत तो की. हम 30 साल से केवल घंटा घड़ियाल ही बजा रहे हैं. अपने लोगों से सत्याग्रह कर रहे है कि भैया प्रतिमा ला दो. ये संगठन का काम नहीं है, लेकिन जिसने भी किया है साधुवाद का पात्र है. हिम्मत करके प्रतिमा को गर्भगृह में स्थापित किया है. प्रशासन से आग्रह है कि चूंकि हमारा सत्याग्रह का भी उद्देश्य है कि भोजशाला की मूर्ति और प्रतिमा की स्थापना की. उसने अपने तरीके से की है हमारा तरीका अलग है. इसलिए हम साधुवाद करते है जिसने प्रतिमा स्थापित की है.
जानें भोजशाला का इतिहास?
हजार साल पहले धार में परमार वंश का शासन था. यहां पर 1000 से 1055 ईस्वी तक राजा भोज ने शासन किया. राजा भोज सरस्वती देवी के अनन्य भक्त थे. उन्होंने 1034 ईस्वी में यहां पर एक महाविद्यालय की स्थापना की, जिसे बाद में ‘भोजशाला’ के नाम से जाना जाने लगा. इसे हिंदू सरस्वती मंदिर भी मानते हैं. ऐसा कहा जाता है कि 1305 ईस्वी में अलाउद्दीन खिलजी ने भोजशाला को ध्वस्त कर दिया. बाद में 1401 ईस्वी में दिलावर खान गौरी ने भोजशाला के एक हिस्से में मस्जिद बनवा दी. 1514 ईस्वी में महमूद शाह खिलजी ने दूसरे हिस्से में भी मस्जिद बनवा दी.
बताया जाता है कि 1875 में यहां पर खुदाई की गई थी. इस खुदाई में सरस्वती देवी की एक प्रतिमा निकली. इस प्रतिमा को मेजर किनकेड नाम का अंग्रेज लंदन ले गया. फिलहाल ये प्रतिमा लंदन के संग्रहालय में है. हाईकोर्ट में दाखिल याचिका में इस प्रतिमा को लंदन से वापस लाए जाने की मांग भी की गई है.