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सरकारी स्कूल के बच्चों ने JEE की परीक्षा में लहराया परचम, महंगी कोचिंग के बिना पाई सफलता

Government school children shine in JEE exam, Positive Story, Madhya Pradesh
Government school children shine in JEE exam, Positive Story, Madhya Pradesh
फोटो- राजेश भाटिया

Madhya Pradesh: जेईई की परीक्षा सबसे कॉलेज एंट्रेंस की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक है, कड़ी मेहनत के बावजूद भी इसे पास कर पाना मुश्किल होता है. बच्चे दिल्ली, मुंबई और कोटा जैसे बड़े शहरों की कोचिंग में जाकर इसकी तैयारी करते हैं, वहीं मध्य प्रदेश के आदिवासी बाहुल्य जिले बैतूल के सरकारी स्कूल के बच्चों ने जेईई मेंस के एंट्रेंस एग्जाम में परचम लहरा दिया है. जिले के सरकारी स्कूल के 51 बच्चों का चयन जेईई मेंस में हुआ है. इन बच्चों की सफलता को सरकार का भी साथ मिला है. जेईई मेंस की परीक्षा पास करने वाले सरकारी स्कूल के बच्चों को सरकारी खर्चे पर जेईई एडवांस की कोचिंग चलाई जा रही है.

ये सभी बच्चे सरकारी स्कूलों में पढ़ाई करते थे. साथ ही उन्हें स्कूल में ही सरकार की तरफ से निशुल्क कोचिंग उपलब्ध कराई गई. शिक्षकों ने इन बच्चों को जेईई मेंस की परीक्षा देने में ओएमआर शीट भरने का तरीका बताया उनकी बार-बार प्रैक्टिस करवाई जिसके परिणाम स्वरूप अच्छा रिजल्ट सामने आया

बैतूल ने पेश की मिसाल
आमतौर पर सरकारी स्कूलों को पिछड़ा माना जाता है. जिससे अभिभावक अपने बच्चों को सरकारी स्कूल में प्रवेश दिलाने में हिचकते हैं और उनकी कोशिश होती है कि उनके बच्चे प्राइवेट स्कूल में पढ़े. वहीं बैतूल से ऐसी तस्वीर सामने आई है, जो इस धारणा को पूरी तरह बदलती हुई नजर आ रही है. बैतूल जिले के सरकारी स्कूल के बच्चे पीछे नहीं बल्कि सबसे आगे हैं. ये साबित हुआ जब सरकारी स्कूलों के बच्चों ने बिना महंगी कोचिंग के जेईई मैंस की परीक्षा पास कर ली.

कलेक्टर की पहल पर शुरू हुई निशुल्क कोचिंग
बच्चों की सफलता में कलेक्टर अमनबीर सिंह का बड़ा योगदान रहा. कलेक्टर अमनबीर सिंह बैस ने सरकारी स्कूल के बच्चों का दाखिला इंजीनियरिंग कॉलेज में करवाने के लिए योजना बनाई. जिसके तहत जिले के उन सरकारी स्कूलों में बच्चों की स्क्रीनिंग कराई गई, जो इंजीनियरिंग कॉलेज जाना चाहते थे. ऐसे लगभग 200 बच्चों को स्कूलों में जेईई मेंस की तैयारी कराई गई. इसके साथ ही कुछ बच्चों को स्कूलों में निशुल्क कोचिंग दिलाई गई. इन 200 में से 51 बच्चों ने अच्छे नंबर लाकर जेईई की परीक्षा पास कर परचम लहराया है.

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ऐसे पास करेंगे एडवांस की परीक्षा
जिला शिक्षा अधिकारी डॉ अनिल कुशवाहा का कहना है कि आदिवासी विकास विभाग और शिक्षा विभाग के संयुक्त प्रयास से स्कूलों में और कोचिंग के माध्यम से 51 बच्चों का जेईई मेंस में चयन हुआ है. इसमें 30 बच्चे आदिवासी विकास विभाग के स्कूल के हैं और 21 बच्चे शिक्षा विभाग के स्कूल के हैं. इन बच्चों को आईआईटी की तैयारी करवाने के लिए जेईई एडवांस कोचिंग के लिए भोपाल भेजा गया है. आदिवासी विकास विभाग के बच्चे भोपाल में ज्ञानोदय संस्थान में जेईई एडवांस की कोचिंग लेंगे, वहीं शिक्षा विभाग के बच्चे भोपाल के उत्कृष्ट स्कूल में कोचिंग लेंगे. इन सभी बच्चों को कोचिंग के साथ निशुल्क रहना खाना विभाग के द्वारा किया जा रहा है.

शिक्षकों ने ऐसे कराई तैयारी
कोचिंग देने वाली टीचर डॉ नेहा का कहना है कि इस जिले में पहली बार इतने बड़े स्तर पर प्रयास किया गया और हम लोगों ने चयनित बच्चों को सुबह से लेकर शाम तक कोचिंग दी. बच्चों ने कड़ी मेहनत की. हमारे बच्चे ओएमआर शीट धरने में थोड़े पीछे रहते हैं, इन बच्चों पर सीट भरने को लेकर फोकस किया गया और बार-बार उन्हें प्रश्न पत्र तैयार करके दिए गए जिसके कारण बड़ी संख्या में बच्चों का जेईई मेंस में चयन हो गया.

बच्चों ने दिया डीईओ को धन्यवाद
जेईई की परीक्षा में चयनित छात्र हर्षित ने बताया कि उसने शासकीय उच्चतर माध्यमिक शाला कोलगांव से 12वीं की है. उसने कहा कि डीईओ सर ने हम लोगों को जेईई मेंस के लिए स्कूल में निशुल्क कोचिंग दिलाई उसके कारण हम लोगों का जेईई मेंस में चयन हुआ है. अब जेईई एडवांस की कोचिंग के लिए भोपाल जा रहे हैं. छात्रा सलोनी इंगले का कहना है कि मैं सीएम राइज स्कूल मुलताई से 12वीं की पढ़ाई की हैं. हम लोगों को स्कूल में ही निशुल्क कोचिंग दी गई जिसके कारण हम लोगों का चयन जेईई मेंस में हो गया है.

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