mp politics: केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ गुना सांसद डॉ. केपी यादव की आपसी अदावत खत्म होने का नाम नहीं ले रही है. सिंधिया समर्थक मंत्री-विधायक जहां एक तरफ गुना में आयोजित कार्यक्रमों में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से अपने ही सांसद डॉ. केपी यादव पर राजनीतिक तंज कसते हैं तो उसके बाद डॉ. केपी यादव भी सिंधिया से अपने समर्थक मंत्री-विधायकों पर कार्रवाई की मांग कर बैठते हैं. इससे बीजेपी की छवि को धक्का लगता देख पार्टी सक्रिय हुई और शुक्रवार को अचानक गुना सांसद डॉ. केपी यादव को भोपाल तलब कर लिया गया.
शुक्रवार दोपहर ढाई बजे डॉ. केपी यादव भोपाल पहुंचे और यहां से उन्हें सीधे बीजेपी दफ्तर ले जाया गया. बीजेपी दफ्तर में राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री शिव प्रकाश ने डॉ. केपी यादव से 10 मिनट तक अकेले में चर्चा की. इसके बाद बीजेपी संगठन के कुछ सीनियर लीडर ने भी गुना सांसद से बातचीत की.
कुछ देर की बातचीत के बाद गुना सांसद डॉ. केपी यादव संगठन के नेताओं के साथ बाहर आए और तेजी से गाड़ी में बैठकर रवाना होने लगे. इतने में मीडिया कर्मियों ने उनको घेर लिया और उनसे इस मुलाकात के मायने पूछे तो गुना सांसद डॉ. केपी यादव ने सिंधिया का नाम तक नहीं लिया और हंसते हुए बोले ‘ऑल इज वैल’. जब मीडिया कर्मियों ने उन पर जवाब देने के लिए अधिक दबाव बनाया तो फिर वे लगातार सिर्फ हंसते रहे और सब ठीक है, सब ठीक है ही बोल सके. इसके बाद तेजी से गाड़ी लेकर वे वहां से रवाना हो गए.
बीजेपी दफ्तर में पहले भी किए गए थे तलब, तब भी बदल गए थे सुर
यह दूसरी बार है, जब डॉ. केपी यादव को सिंधिया पर बयानबाजी को लेकर भोपाल में बीजेपी कार्यालय में तलब किया गया. कुछ महीने पहले भी सिंधिया पर बयानबाजी करने को लेकर उन्हें बीजेपी कार्यालय बुला लिया गया था और वहां पर उनसे दो टूक समझाइश दी गई थी कि सिंधिया को लेकर कोई टिप्पणी सार्वजनिक कार्यक्रमों में न करें. इस बार भी कुछ ऐसा ही हुआ.
पिछली दफा भी डॉ. केपी यादव ने ऑल इज वैल ही बोला था और इस बार भी वे ऑल इज वैल कहते हुए बीजेपी कार्यालय से बाहर आए. जाहिर है गुना संसदीय क्षेत्र में सिंधिया के बढ़ते दखल और अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे डॉ. केपी यादव के बीच चल रही राजनीतिक अदावत इतनी जल्दी खत्म होने वाली नहीं है. आपको बता दें कि गुना लोकसभा सीट पर 2019 में डॉ. केपी यादव ने बीजेपी उम्मीदवार के तौर पर उस समय के कांग्रेस उम्मीदवार रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया को सवा लाख वोटो से मात दी थी. इसके बाद सिंधिया खुद बीजेपी में आ गए और उसके बाद से ही दोनों के बीच यह राजनीतिक अदावत शुरू हो गई थी.
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