इंदौर की गेर: रंगपंचमी पर शहर में बरस रहा रंग-गुलाल, डीजे की धुन पर झूमते निकले हजारों रंग-रंगीले

धर्मेंद्र कुमार शर्मा

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Indore Rangpanchmi Ger: रंगपंचमी के दिन की शुरुआत होते ही शहर के राजवाड़ा में गेर और रंगों की धूम दिखाई देने लगी है. सुबह से ही गेर के रंगों की बोछार होने लगी है. लोग बैंड-बाजे और डीजे की धुन पर नाचते हुए रंगपंचमी का उत्सव मना रहे हैं. इंदौर में फाग यात्राएं और झाकियां निकलना शुरू हो गई हैं. इस बार इंदौरी गेर को विश्व धरोहर का दर्जा दिलाने की तैयारी में हैं, इस वजह से गेर की धूम और भी ज्यादा तेज है. गेर के दौरान लाखों लोगों के शामिल होने की उम्मीदें हैं, इससे पिछले कई सालों का रिकॉर्ड टूट जाएगा. पिछले सालों में कोरोना और लॉकडाउन के चलते गेर का उत्साह कम था, लेकिन इस बार गेर को लेकर लोगों में काफी उल्लास है.

लगभग 3 साल बाद गेर की धूम दिखाई दे रही है. इंदौर में इस बार गेर के दौरान 4-5 लाख लोगों के शामिल होने की उम्मीद है. स्वच्छता की मिसाल बन चुके इंदौर में कई झांकियों के साथ इस बार स्वच्छता की झांकी भी खास तौर से निकाली जा रही है. गेर के उत्साह को देखते हुए पुलिस और प्रशासन भी मुस्तैद है. सुरक्षा व्यवस्था के लिए पुलिस कर्मी और आईपीएस अधिकारी मौके पर तैनात रहेंगे, ड्रोन कैमरों से गेर की निगरानी की जा रही है.

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विश्व धरोहर का दर्जा दिलाने की है तैयारी
इंदौर का गेर पूरे देश में अपने अनोखे रंग और यात्रा के लिए प्रसिद्ध है. रंगपंचमी के दिन पूरा इंदौर जमकर रंगोत्सव मनाता है. बैंड बाजे और नाच-गाने के साथ कई फाग यात्राएं इसमें निकाली जाती हैं. राजवाड़ा से लेकर पूरे इंदौर शहर में गेर की धूम देखी जाती है. गेर के इस उत्सव को देखने देश से ही नहीं बल्कि विदेशों से भी लोग इंदौर पहुंचते हैं. गेर की इस प्रसिद्धी को देख अब इंदौर के लोगों ने और प्रशासन ने मिलकर इसे विश्व धरोहर के रूप में पहचान दिलाने का निर्णय लिया है.

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फोटो: इंदौर जनसंपर्क के फेसबुक हैंडल से

इंदौर में गेर का इतिहास?
वैसे तो कई शहरों में रंग पंचमी के मौके पर फाग यात्राएं होती हैं, लेकिन इंदौर की गेर खास है. रंग पंचमी के मौके पर गेर निकालने का इतिहास वर्षों पुराना है. 74 वर्ष पहले गेर यात्रा का नाम घेर यात्रा था. जिसका मतलब लोगों को घेरकर चलना था. लेकिन समय के साथ-साथ इसका नाम गेर पड़ गया. गेर के शुरुआत में कुछ लोगों के साथ बैल गाड़ियों पर पानी की टंकी बांधकर टोइरी कॉर्नर से राजबाड़े तक यात्रा निकाली जाती थी. जिसमें कुछ चुनिंदा लोग ही शामिल होते थे. लेकिन गेर यात्रा की प्रसिद्धि बढ़ती गई और आज आलम यह है कि इंदौर की गेर यात्रा में प्रदेश ही नहीं बल्कि विदेशों से लोग भी शामिल होने आते हैं.

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फोटो: धर्मेंद्र कुमार शर्मा

गेर के बीच हिन्द रक्षक संगठन की फागयात्रा भी प्रारम्भ हो चुकी है. फाग यात्रा में राधाकृष्ण रथ को खींचते हुए श्रद्धालु चल रहे हैं. इविप्रा के अध्यक्ष जयपालसिंह चावड़ा , विधायक मालिनी गौड़ , सुदर्शन गुप्ता , संयोजक एकलव्य सिंह गौड़ राधाकृष्ण रथ को खींचते हुए दिखाई दिए.

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