सेंट्रल जेल में बंद खूंखार अपराधियों का ‘मानस’ बदलने के लिए जेल प्रबंधन ने अपनाई ये ट्रिक, जानें पूरा मामला

योगीतारा दूसरे

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Jail management adopted this trick to change the 'psyche' of dreaded criminals lodged in Central Jail, know the whole matter
Jail management adopted this trick to change the 'psyche' of dreaded criminals lodged in Central Jail, know the whole matter
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Satna Central Jail: आमतौर पर जेल का नाम सुनते ही लोगों के पसीने छूटने लगते हैं. यहां बंद खूंखार अपराधियों का मन बदलने के लिए सतना सेंट्रल जेल प्रबंधन ने एक अनोखी पहल की है. जेल में बंद करीब 1850 कैदियों के लिए भागवत कथा का आयोजन किया गया है. कथा सुनाने के लिए महामंडलेश्वर को बुलाया गया है. सतना की सेंट्रल जेल में इन दिनों भक्ति रस की बयार बह रही है. जेल में सजा काट रहे करीब 1850 बंदी श्रीमद भागवत गीता का रसपान कर रहे हैं.

भागवत कथा के लिए जेल परिसर को सजाया, संवारा गया है. 7 दिनों तक चलने वाले इस धार्मिक आयोजन का समापन 4 मार्च को होगा. खजुरी ताल के महामंडलेश्वर रामानंदाचार्य जी महाराज बंदियों को कथा सुना रहे हैं. कथा के बीच-बीच में होने वाले संगीतमयी भजनों में बंदी भावविभोर हो गए हैं. बंदियों ने भी तालियों के साथ भजनों में साथ देकर मानो समां बांध दिया.

सतना के केंद्रीय जेल में विंध्य के साथ-साथ बुंदेलखंड के बंदी भी सजा काट रहे हैं. ऐसे बंदियों की संख्या 1850 है. खास बात ये है कि बन्दियों के साथ-साथ जेल प्रबंधन भी श्रीमद भागवत कथा का रसपान कर रहे हैं. श्रीमद भागवत कथा का समापन 4 मार्च को विशाल भंडारा के साथ होगा.

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फोटो- योगीतारा दूसरे

ताकि कैदियों की टेंशन खत्म हो जाए…
सेंट्रल जेल की अधीक्षक लीना कोष्टा ने बताया कि आज केंद्रीय जेल सतना में 7 दिन के लिए श्रीमद भागवत कथा शुरू हुई है. 26 तारीख से 4 मार्च तक चलेगा. रामानंदाचार्य रामलला जी द्वारा भागवत गीता सुनाई जा रही है. इसका मकसद ये है कि यहां कारागार में जितने भी बंदी परिरुद्ध हैं उनमें मेंटल स्ट्रेस न रहे… किसी तनाव में न रहें. यहां पर तनावमुक्त जीवन यापन करें. बस भागवत गीता कराने का यही उद्देश्य है. 2-3 वर्ष पहले हुई थी भागवत कथा. यहां बंदी बहुत उत्साहित होकर सुन रहे हैं. जेल का माहौल आश्रम की तरह बना हुआ है.

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बंदी ब्रजेश तिवारी ने बताया कि भागवत जैसी कथा से बंदियों को एक सकारात्मक ऊर्जा मिलती है. उसके सुनने के पश्चात ये आभास होता है कि जो अपराध करके आए हैं. उस अपराध से मुक्ति मिलती है कि भविष्य में ऐसा न करने की सीख मिलती है. ऐसे आयोजन से सकारात्मक भाव आता है और अच्छी प्रेरणा मिलती है. ऐसे कार्यक्रम हमेशा होते रहना चाहिए.

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