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कैलाश विजयवर्गीय: इतिहास के पन्नों पर शिवाजी महाराज को उचित स्थान नहीं मिला

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तस्वीर: धर्मंद्र शर्मा, एमपी तक

MP NEWS: बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव और पूर्व मंत्री कैलाश विजयवर्गीय का मानना है कि इतिहासकारों ने शिवाजी महाराज के साथ न्याय नहीं किया. इतिहास के पन्नों पर जितना सम्मान और महत्व शिवाजी महाराज को मिलना चाहिए था, वह इतिहासकारों ने नहीं दिया. कैलाश विजयवर्गीय ने यह बात इंदौर में आयोजित एक कार्यक्रम में कही. इंदौर के तीन पुलिया चौराहे पर बाल शिवाजी और उनकी माता जीजा बाई की भव्य मूर्ति का अनावरण समारोह था, जिसमें कैलाश विजयवर्गीय मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे.

कैलाश विजयवर्गीय ने कहा, ‘शिवाजी महाराज को इतिहास के पन्नों पर सम्मानजनक स्थान नहीं मिला. जितना उनका योगदान है उस हिसाब से इतिहास के पन्नों पर सम्मानजनक स्थान के वे हकदार थे. इसलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कहते हैं कि देश का इतिहास दोबारा से लिखने की जरूरत है’. कैलाश विजयवर्गीय ने आगे कहा कि ‘आपको जानकर हैरानी होगी कि इजरायल जैसे देश की युद्ध नीति पूरी तरह से शिवाजी महाराज की युद्धनीति से प्रेरित है. शिवाजी महाराज ही गोरिल्ला युद्ध के जनक हैं और यह युद्ध नीति उन्होंने दुनिया को दी है. खुद इजरायल के राष्ट्रपति जब भारत यात्रा पर आए थे तो उन्होंने शिवाजी महाराज का जिक्र किया था’.

सर्व मराठी संघ ने आयोजित किया कार्यक्रम
कार्यक्रम का आयोजन सर्व मराठी संघ ने किया.सर्व मराठी संघ के अध्यक्ष स्वाति युवराज काशिद ने बताया कि तीन पुलिया चौराहे पर जीजा माता और बाल शिवाजी की प्रतिमा लगाई गई है. चौराहे पर शिवनेरी किले की प्रतिकृति भी बनाई गई है. सर्व मराठी संघ ने जीजा बाई की जन्मस्थली सिंदखेड़ से पवित्र मिट्‌टी को कलश में भरकर एक मशाल यात्रा के जरिए बीते दिनों इंदौर लेकर आए थे. जिसका शहर में भव्य स्वागत हुआ था और एक चल समारोह भी इंदौर में सर्व मराठी संघ द्वारा निकाला गया था. बीते रविवार को आयोजित हुए इस कार्यक्रम में प्रतिमा का अनावरण किया गया.

जीजा बाई जैसी मां बनना तपस्या के समान- संभाजी भौसले
कार्यक्रम में शिवाजी महाराज के वर्तमान वंशज संभाजी भौसले भी मौजूद थे. उन्होंने कहा ‘आज माता चाहती हैं कि उन्हें शिवाजी महाराज जैसी संतान हो, लेकिन माताओं को जीजा माता बनना होगा और यह काम आसान नहीं है. शिवाजी महाराज के बनने में पूरी तरह से उनकी माता जीजा बाई का योगदान रहा है और इसके लिए उन्हें काफी त्याग और कष्ट भी झेलने पड़े थे. इसलिए शिवाजी जैसी संतान की चाहत तो हर माता की हो सकती है लेकिन जीजा बाई जैसी मां बन पाना एक तपस्या के समान है’.

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