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17 साल पहले गुम हुआ, परिवार ने कर दिया था अंतिम क्रिया कर्म, महाराष्ट्र की संस्था के जरिए हुई घर वापसी

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फोटो: जैद अहमद शेख

Barwani News: 17 साल पहले गुम हुए प्रेमसिंह के लौटने की हर किसी ने उम्मीद छोड़ दी थी, यहां तक की परिवार ने उसका अंतिम क्रिया कर्म भी कर दिया था. किसी ने कल्पना भी नहीं की होगी कि 2006 में गुम हुआ प्रेमसिंह कभी लौटकर घर आएगा, लेकिन महाराष्ट्र की समाज सेवी संस्था के जरिए परिवार को सालों बाद अपना बिछड़ा बेटा मिल ही गया. गुमशुदा प्रेमसिंह मानसिक रूप से विक्षिप्त था और अचानक घर से गायब हो गया था, महाराष्ट्र की संस्था के जरिए उसकी घर वापसी हुई है.

बड़वानी के सेंधवा ब्लॉक के ग्राम धनोरा निवासी प्रेमसिंह मानसिक रूप से विक्षिप्त था. 17 साल पहले गायब हुआ प्रेमसिंह, जब घर लौट आया तो किसी की खुशी का ठिकाना न रहा. उसकी तलाश करके सभी हिम्मत हार चुके थे और मृत समझकर अंतिम संस्कार तक कर दिया था. लेकिन जब 24 फरवरी को महाराष्ट्र के मुंबई के पास स्थित संस्था श्रद्धा रिहैबिलिटेशन फाउंडेशन के डॉ तुषार गुले प्रेमसिंह को सकुशल उसके घर लेकर पहुंचे तो परिवार के लोग खुशी से झूम उठे.

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बिना बताए हुआ था गायब
छोटे भाई दिलीप ने बताया की बचपन से भाई धार्मिक प्रवृत्ति का था. खेती में काम करने के साथ पूजा पाठ करता था. 2001 से भाई की मानसिक स्थिति ठीक नहीं थी. 2006 में पूरी तरह पागल हो गया था. इसके बाद धनतेरस के दिन अचानक गायब हो गया, फिर घर लौटकर नहीं आया. हमने बहुत ढूंढा लेकिन नहीं मिला. 2014 में मां भी चल बसी. इसके बाद हमने भाई प्रेमसिंह को मृत समझकर उसका अंतिम क्रिया कर्म कर दिया.

टैटू से पहचाना
प्रेमसिंह के भाई ने बताया कि 24 फरवरी को डॉ तुषार भाई को लेकर आए तो पहले हमें यकीन नहीं हुआ. उसकी सबसे बड़ी पहचान हाथ पर लिखा उसका नाम और बाजू पर बना हनुमान जी का टैटू था. भाई ने भी पिता, काका, मामा, मामी और अपने दोस्तों को पहचान लिया. इसके बाद हमारी खुशी का ठिकाना नहीं था. हमें तो उम्मीद नहीं थी कि भाई जीवित भी होगा.

2 साल तक चला इलाज
डॉ तुषार ने बताया कि प्रेमसिंह को जनवरी 2021 में रत्नागिरी के मेंटल हॉस्पिटल में भर्ती किया था. 2 साल तक चले इलाज के बाद जनवरी 2023 में उसे हमारी संस्था श्रद्धा रिहैबिलिटेशन फाउंडेशन को सुपुर्द किया गया. प्रेमसिंह धीरे-धीरे ठीक हो चुका था. इसके बाद उसकी काउंसलिंग की गई. उसने नाम तो ठीक से नहीं बताया, लेकिन अपना पता धीरे-धीरे उसे याद आया. इसके बाद उसे लेकर यहां पहुंचे और परिजनों के सुपुर्द किया. हमें भी बहुत खुशी है.

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