मैनेजर बनने का सपना था पर अब सबकुछ छोड़ सलोनी बनी साध्वी, जानें क्यों?

संदीप कुलश्रेष्ठ

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MBA daughter saloni, worldly comforts, path of sobriety, 25 year old Saloni, Sadhvi
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Ujjain News: जिस उम्र में लोग सांसारिक सुख-सुविधाएं और भविष्य बनाने में पूरी ताकत लगा देते हैं, उस छोटी सी उम्र में मैनेजर बन चुकी लड़की ने ईश्वर की राह पर चलने का फैसला किया है. हां, हम चर्चा कर रहे हैं उज्जैन की एमबीए कर चुकी सलोनी जैन की, जिन्होंने आज सांसारिक सुखाें का त्याग कर साध्वी बनने की राह में चल दीं और दीक्षा ग्रहण कर ली. अब वह साध्वी बन गई है. सलोनी जैन उज्जैन के प्रतिष्ठित परिवार से है.

सलोनी ने अपने जीवन की सब सुख-सुविधाओं को त्याग कर अब दीक्षा ग्रहण कर संयम के मार्ग को चुना है. इसके लिए पांच दिवसीय दीक्षा महोत्सव आयोजित किया गया और आज सलोनी जैन ने दीक्षा ग्रहण कर ली.

सलोनी को मिला नया नाम, अब हो गईं साध्वी श्रीजी
सलोनी जैन की उम्र 25 वर्ष है, उनके इस दीक्षा उत्सव में 5 दिन तक धार्मिक आयोजन किए गए और उन्होंने इस धार्मिक आयोजनों के दौरान सांसारिक वस्तुओं को लूटा कर उनका त्याग किया है. दीक्षा ग्रहण करने के बाद सलोनी जैन का नाम साध्वी मुक्ति दर्शना श्रीजी हो गया है. उत्सव के मुख्य दिन में आज यानि बुधवार को सलोनी प्रभु के रथ, इंद्र ध्वजा, सजे धजे परिधान में महिला मंडल, बग्गी, घोड़े समेत समाजजनों के साथ यात्रा पर निकली. जिसमें यात्रा का जगह-जगह पुष्प वर्षा कर स्वागत किया गया.

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पूर्व मंत्री पारस जैन भी सलोनी को शुभकामनाएं देने पहुंचे.

सभी रिश्ते नाते तोड़कर बन गई साध्वी

सभी रिश्ते नाते को तोड़कर सलोनी जैन ने साध्वी की राह अपना ली है. जैन धर्म में मुनि दीक्षा लेना बहुत ही कठिन निर्णय होता है, क्योंकि यह एक संयम जीवन की राह है. इसमें ना वाहन, न इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, ना ही किसी प्रकार की सुख सुविधा का उपयोग किया जाता है. इस जीवन में आजीवन पैदल विहार करना होता है और केवल धर्म के उद्देश्य के लिए सादा जीवन जीना होता है.

अंतिम बार भाई की कलाई पर बांधी राखी तो भर आई परिजनों की आंखें
मंगलवार शाम सलोनी को विदाई दी गई और इस अवसर पर उसने अंतिम बार अपने भाई की कलाई पर राखी बांधी और सभी रिश्तेदारों द्वारा उसे संयम जीवन जीने की मंगल कामनाएं दी गईं. इस अवसर पर वहां उपस्थित लोगों की आंखें भर आईं. सलोनी जैन से जब उनके साध्वी होने की बारे में सवाल किया गया तो उन्होंने कहा- “यह सारा जीवन असार है, संयम में ही सार है. रिश्ते नाते पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि यह जो रिश्ते हैं वह नश्वर होते हैं साध्वी जीवन के दौरान जो रिश्ते होते हैं वह शाश्वत होते हैं.”

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