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MP Loksabha Election 2024: खजुराहो और इंदौर के बाद खंडवा में होगा बड़ा खेल? मुश्किल में BJP प्रत्याशी

जय नागड़ा

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मुश्किल में फंसे खंडवा के BJP प्रत्याशी
मुश्किल में फंसे खंडवा के BJP प्रत्याशी
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Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव के बीच खजुराहो और इंदौर में मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के प्रत्याशियों के चुनावी मैदान से दूर होने की वजह से मुकाबला एकतरफा जैसा हो गया है. अब खंडवा में भी इसी तरह के आसार नजर आ रहे हैं. लेकिन खंडवा में कांग्रेस नहीं, बल्कि बीजेपी की मुश्किलें बढ़ती हुई दिखाई दे रही हैं.

मध्य प्रदेश के खंडवा संसदीय क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी ज्ञानेश्वर पाटिल को लेकर केंद्रीय और प्रदेश स्तरीय चुनाव आयोग को कांग्रेस ने शिकायत दर्ज़ कर उनका नामांकन रद्द करने की मांग की है. 

कांग्रेस ने लगाया ये आरोप

कांग्रेस ने आरोप लगाए हैं कि सहकारिता न्यायालय ने एक पॉवरलूम सोसायटी में गंभीर आर्थिक अनियमितता का दोषी पाते हुए ज्ञानेश्वर पाटिल को मार्च 2020 में न केवल अध्यक्ष, बल्कि संचालक पद से भी हटाने के आदेश पारित किये थे. अब पाटिल पर आरोप है कि उन्होंने अपने नामांकन पत्र में इस मामले को उल्लेखित नहीं किया.  

जांच के बाद भी नहीं हुई कार्रवाई

यह शिकायत स्थानीय कांग्रेस नेता लव जोशी ने की है. उन्होंने कहा कि ज्ञानेश्वर पाटिल के ऊपर आर्थिक अपराध दर्ज करने का आदेश जारी किया गया था. उस आदेश की कॉपी हमारे पास है, भाजपा प्रत्याशी द्वारा जो नामांकन पत्र भरा गया है, उसके पेज क्रमांक 5 और 6 में दोष सिद्धि के जो मामले हैं, उसकी जानकारी उन्होंने भ्रामक रूप से भरी है.  जोशी ने कहा कि उनके द्वारा जिला निर्वाचन अधिकारी के समक्ष 24 अप्रैल को ही यह शिकायत की जा चुकी थी, लेकिन नामांकन पत्रों की जांच के दौरान इस पर कार्रवाई नहीं की गई. 

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मतदाताओं के साथ धोखाधड़ी की जा रही- कांग्रेस

शिकायतकर्ता लव जोशी कहना है कि भाजपा प्रत्याशी ज्ञानेश्वर पाटिल द्वारा नामंकन पत्र में भरी गई जानकारी में लागू नहीं होता भरा गया है. उन्होंने खुलेआम धोखाधड़ी करके महत्वपूर्ण जानकारी छिपाई है. इस तरह की जानकारी छिपाने से मतदाताओं के साथ भी धोखाधड़ी की जा रही है. जो प्रत्याशी चुनाव आयोग के साथ ही धोखाधड़ी कर रहा है, वह जनता के साथ क्या वफादारी निभाएगा ? जोशी ने सहकारिता आयुक्त के उस आदेश की प्रति भी सोशल मीडिया पर शेयर की है, जिसमें ज्ञानेश्वर पाटिल को आर्थिक अपराध का दोषी ठहराया गया है. 

इधर प्रशासन और निर्वाचन अधिकारी इस मामले में कोई भी टिप्पणी करने से बच रहे हैं. इस बात को लेकर भाजपा का सिर्फ यही कहना है कि यह आदेश मार्च 2020 का है, जबकि इसके बाद  ज्ञानेश्वर पाटिल लोकसभा उपचुनाव 2022 में भी भाजपा से प्रत्याशी बनकर निर्वाचित हुए थे. तब किसी ने यह आपत्ति नहीं लगायी.

नामांकन खारिज होगा या नहीं? 

निर्वाचन से सम्बंधित अधिकारियों का ऑफ़ द रेकॉर्ड कहना है कि "निर्वाचन आयोग के यह निर्देश जरूर होते हैं कि प्रत्याशी नामांकन पत्र में अपने खिलाफ दर्ज मुकदमों की जानकारी दें ,संपत्ति की जानकारी दें, जो मतदाताओं के संज्ञान में हो. लेकिन वह यदि कोई जानकारी छुपाता है तो इस आधार पर उसका नामांकन खारिज़ करने के कोई प्रावधान ही आयोग ने नहीं दिए हैं, इसलिए इस तरह की शिकायतों से चुनाव की प्रक्रिया पर कोई फर्क नहीं पड़ने वाला."

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