ग्वालियर में कांग्रेस प्रत्याशी के खिलाफ उठ रहे विद्रोह के स्वर तो बीजेपी प्रत्याशी के लिए चुनाव प्रचार से दिग्गज दूर
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Gwalior Loksabha election 2024: ग्वालियर लोकसभा सीट पर जहां कांग्रेस प्रत्याशी प्रवीण पाठक के खिलाफ पार्टी के अंदर ही विद्रोह के स्वर सुनाई देने लगे हैं तो वहीं बीजेपी प्रत्याशी भारत सिंह कुशवाहा के चुनाव प्रचार से स्थानीय दिग्गज नेताओं की सक्रियता कम नजर आ रही है. ग्वालियर में ब्राह्मण समाज और ब्राह्मण संगठन ने ग्वालियर लोकसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी प्रवीण पाठक के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है, जिससे न केवल प्रवीण पाठक बल्कि कांग्रेस पार्टी की मुश्किलें भी बढ़ सकती हैं.
दरअसल जब से प्रवीण पाठक को कांग्रेस ने ग्वालियर लोकसभा सीट से अपना प्रत्याशी घोषित किया है, तब से कांग्रेस के ग्वालियर शहर जिला अध्यक्ष देवेंद्र शर्मा ने अपने पद से इस्तीफा देने का ऐलान कर दिया था. प्रवीण पाठक ने देवेंद्र शर्मा को काफी मनाने की कोशिश भी की, लेकिन वह अपने बयान पर अब तक कायम है. देवेंद्र शर्मा ने कहा है कि वह चुनाव के बाद अपना इस्तीफा सौंप देंगे.
इधर प्रवीण पाठक देवेंद्र शर्मा की नाराजगी दूर भी नहीं कर पाए थे, तब तक ग्वालियर के ब्राह्मण समाज के संगठन प्रवीण पाठक के विरोध में उतर आए हैं. गुरुवार को ग्वालियर में फूल बाग स्थित प्रेस क्लब भवन में एक पत्रकार वार्ता आयोजित की गई. इस पत्रकार वार्ता में मध्य भारत ब्राह्मण समाज संगठन के संरक्षक आनंद शर्मा समेत सर्व ब्राह्मण महासभा मध्य प्रदेश के उपाध्यक्ष राजू चौधरी एवं अन्य पदाधिकारी मौजूद रहे. हालांकि इनमें अधिकतर वे लोग शामिल थे, जिनका बीजेपी से सीधे तौर पर संबंध है.
बीजेपी प्रत्याशी को लेकर भी ग्राउंड पर पार्टी के अंदर असंतोष?
बीजेपी प्रत्याशी भारत सिंह कुशवाहा को लेकर भी पार्टी के अंदर असंतोष दिख रहा है. ग्वालियर सीट से जयभान सिंह पवैया टिकट मांग रहे थे लेकिन उनको नहीं मिला, जबकि उनका राम मंदिर निर्माण अभियान में उस समय बजरंग दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष के तौर पर बड़ा योगदान रहा था लेकिन उनको टिकट नहीं मिलने से वे भारत सिंह कुशवाहा के चुनाव प्रचार से लगभग नदारद दिखाई दिए हैं. हालांकि सीएम मोहन यादव यहां आकर जनसभा कर चुके हैं लेकिन स्थानीय बीजेपी के दिग्गज नेता गुटो में बंटे नजर आ रहे हैं. यहीं हाल कांग्रेस प्रत्याशी प्रवीण पाठक को लेकर उनकी पार्टी में चल रहा है. देखना होगा कि आगामी चुनाव में दोनों ही पार्टियों के अंदर फैले असंतोष से किसको लाभ मिलता है और किसको नुकसान उठाना पड़ता है.
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