मध्य प्रदेश स्थापना दिवस: जब 250 रुपये के लिए मुख्यमंत्री को छोड़नी पड़ी थी अपनी कुर्सी, जानें वो किस्सा
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MP 68th Foundation Day: आज यानी कि 1 नवंबर को मध्यप्रदेश का 68वां स्थापना दिवस है. आज के दिन प्रदेश भर में कई आयेाजन किए जा रहे हैं. आज हम आपको बता रहे हैं कि मध्यप्रदेश के निर्माण की रोचक कहानी क्या है. इस कहानी में हम आपको बताएंगे कि कैसे एक मुख्यमंत्री को महज 250 रूपये के कारण मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़नी पड़ी थी.
दो बार मुख्यमंत्री रहे पंडित द्वारकाप्रसाद मिश्र को केवल 250 रुपये के कारण कुर्सी छोड़नी पड़ गई थी. हुआ यूं था कि स्वभाव से स्वाभिमानी मिश्र जी की एक बार ग्वालियर रियासत की राजमाता विजयाराजे सिंधिया से ठन गई. उन्होंने राज परिवारों पर कुछ सवाल उठाए थे, जिससे राजमाता नाराज हो गई थीं. इस बीच 1967 में चुनाव हुए और मिश्र जी मुख्यमंत्री बने. लेकिन उनके सामने चुनाव हारे राजमाता समर्थक कमलनारायण शर्मा ने मिश्र जी पर चुनावी व्यय से ज्यादा खर्च का आरोप लगाते हुए न्यायालय में याचिका लगा दी. जांच में पाया गया कि मिश्र जी के प्रचार बैनर बनाने के लिए 500 रुपये का सफेद कपड़ा खरीदा गया था, जिससे चुनाव-व्यय तय सीमा से 250 रुपये अधिक हो गया था. कोर्ट ने इसे भ्रष्टाचार माना. अंतत: मिश्र जी को पद छोड़ना पड़ा था.
कैसा है मध्यप्रदेश का निर्माण
चूंकि देश के मध्य भाग में मध्य प्रदेश स्थित है, इसलिये इसे भारत का हृदय प्रदेश भी कहा जाता है. मध्य प्रदेश का जन्म देश को आजादी मिलने के बाद हुआ था. 1947 में जब भारत स्वतंत्र हुआ, तो मध्य भारत और विंध्य प्रदेश के नए राज्यों को पुरानी सेंट्रल इंडिया एजेंसी से अलग कर दिया गया. तीन साल बाद 1950 में मध्य प्रांत और बरार का नाम बदलकर मध्य प्रदेश कर दिया गया. मध्य प्रदेश की अर्थ व्यवस्था कृषि प्रधान है. राज्य की 70 फीसद से अधिक जनसंख्या गांव में रहती है, जिसका प्रत्यक्ष संबंध कृषि से है.
हीरा उत्पादक राज्य के रूप में पहचान
मध्य प्रदेश की संस्कृति और इतिहास काफी समृद्ध है जिनमें अनेक रोचक पहलुओं की जानकारी मिलती है. मध्य प्रदेश का राज्य पशु बारहसिंघा और राज्य पक्षी दूधराज है. मध्य प्रदेश का राजकीय वृक्ष बरगद है. कर्क रेखा मध्य प्रदेश राज्य के बीच से नर्मदा नदी के लगभग समानांतर गुजरती है. मध्य प्रदेश को भारत के एकमात्र हीरा उत्पादक राज्य के रूप में भी जाना जाता है.
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