मुरैना में BJP-कांग्रेस का खेल बिगाड़ेंगे BSP प्रत्याशी रमेश गर्ग? कांग्रेस छोड़कर क्यों हैं इतने कॉन्फीडेंट?

दुष्यंत शिकरवार

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मुरैना में BJP-कांग्रेस का खेल बिगाड़ेंगे BSP प्रत्याशी रमेश गर्ग?
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Loksabha Election 2024: मुरैना ज़िले में कांग्रेस को एक और बड़ा झटका लगा है. वरिष्ठ कांग्रेसी और उद्योगपति रमेश गर्ग कांग्रेस का हाथ छोड़, हाथी की सवारी पर निकल पड़े है! कांग्रेस से टिकट मांग रहे रमेश गर्ग को जब टिकट नहीं मिला तो वह बाग़ी होकर बीएसपी में शामिल हो गये. बीएसपी ने उन्हें मुरैना -श्योपुर लोकसभा सीट से प्रत्याशी बनाया है. रमेश गर्ग के चुनावी मैदान में उतरने से मुरैना-श्योपुर का मुकाबला काफी दिलचस्प हो गया है. बीएसपी प्रत्याशी रमेश गर्ग ने की एमपी तक से खास बातचीत की. इस दौरान उन्होंने कई बड़े खुलासे किए.

टिकट के लिए छोड़ी कांग्रेस?

बीएसपी प्रत्यासी रमेश गर्ग ने एमपी तक से बातचीत करते हुए कहा, "2014 में टिकट का प्रयास किया था, जब नरेंद्र सिंह तोमर जी ग्वालियर जा रहे थे. मैंने कहा कि जब आप ग्वालियर जा रहे हो तो मुझे मुरैना से टिकट दिया जाए, लेकिन बात नहीं बनी. 2018 में सिंधिया जी ने मदद मांगी थी, मैंने मदद की और क्षेत्र में 6 सीटें कांग्रेस जीती थी. सिंधिया जी ने भी लोकसभा के लिए मुझसे खुद डेटा मांगा था. बाद में उनका मन बदल गया, मेरी जगह रामनिवास रावत को टिकट दिलवा दिया." 2023 के विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस की मदद की. इस बार फिर कांग्रेस से टिकट मांगा, लेकिन नहीं मिला. रमेश गर्ग ने बताया कि अब वह पूरी तरह मन बना चुके थे कि उनको चुनाव लड़ना है, इसलिए बीएसपी के साथ चले गये.

जाति समीकरण का मिलेगा फायदा?

कांग्रेस से बाग़ी रमेश गर्ग ने अपना प्लान बताते हुए कहा कि यहां चुनाव किसी मुद्दे को लेकर नहीं, बल्कि जाति के आधार पर होता है. उन्होंने कहा कि चंबल में जातीय समीकरण पर राजनीति चलती है. भाजपा व कांग्रेस दोनों ने ही क्षत्रिय समाज के प्रत्याशी मैदान में उतारे हैं और वह अकेले वैश्य वर्ग से प्रत्याशी हैं. साथ ही उनके बीएसपी का वोट बैंक उनके साथ है. इस तरह वह अपनी जीत सुनिश्चित कर रहे हैं. रमेश गर्ग ने कहा कि 2014 में भी कांग्रेस से गोविंद सिंह और भाजपा से वृंदावन सिंह, दो क्षत्रिय समाज के प्रत्याशी थे तो भाजपा के अनूप मिश्रा को इसका लाभ मिला था, वह यह सब दोहरायेंगे.

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रमेश गर्ग ने कहा कि जब कांग्रेस में भी लगा कि टिकट मिलना बहुत मुश्किल है, जब बड़ी पार्टियां महत्व नहीं दे रही हैं तो तीसरी पार्टी (बहुजन समाज पार्टी) है, उसी से टिकट लड़कर देखते हैं.
 

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