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उपलब्धि: आदिवासी सभ्यता और संस्कृति को सहेजे है पातालकोट, वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड ने दिया सर्टिफिकेट

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फोटो: पवन शर्मा, एमपी तक.

Patalkot News: छिंदवाड़ा जिले में स्थित ‘पातालकोट’ को वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड जगह मिली है. पातालकोट ने यह उपलब्धि अपने अनोखेपन के कारण हासिल की है. स्विट्जरलैंड से आए वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड संस्था के यूरोप हेड विलियम जेजलर, पूनम जेजलर ने चिमटीपुर में आयोजित कार्यक्रम में 28 जनवरी को प्रमाण पत्र जुन्नारदेव एसडीएम मधुवंतराव धुर्वे को प्रदान किया. यह पहला मौका है जब पातालकोट को वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड जगह मिली है. इसके साथ ही पातालकोट की सुंदरता में एक और सितारा जुड़ गया है, जो कि छिंदवाड़ा के लिए कीर्तिमान है.

भारत सरकार ने पातालकोट को पहले ही गोंडवाना लैंड का साहसिक स्थल घोषित किया था. वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड की टीम ने पातालकोट को अद्वितीय भौगोलिक स्थिति पौराणिक और ऐतिहासिक महत्व, दवा बनाने के लिए दुर्लभ औषधीय पौधों और जड़ी बूटियों के साथ एक आदिवासी संस्कृति की अनुपम धरोहर माना है. इसलिए पातालकोट को वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड का सर्टिफिकेट दिया गया है.

कलेक्टर शीतला पटले के प्रतिनिधि के रूप में एसडीएम जुन्नारदेव मधुवत राव धुर्वे को वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड का प्रमाण पत्र सौंपा गया. इस मौके पर अतिथियों का स्वागत सत्कार पातालकोट के पारंपरिक एवं छिंदवाड़ा जिले की पहचान छिंद के मोर मुकुट के माध्यम से किया गया. गैंडी, शैला एवं अन्य आदिवासी नृत्य की प्रस्तुति की गई जिस पर जेजलर दंपति ने 20 हजार रुपये का नकद पुरस्कार स्थानीय कलाकारों को दिया गया. पातालकोट के पारंपरिक व्यंजन भी अतिथियों को परोसे गए.

आवभगत से निहाल हो गए विदेशी
संस्था के प्रेसिडेंट पूनम जेजलर ने कहा कि आज का दिन बहुत शुभ है. हम सब वर्ल्ड बुक ऑफ रिकार्ड की तरफ से स्विट्जरलैंड से आए हैं. हम पातालकोट को शार्टफिकिट देने के लिए आये हैं, आज हमारा जो स्वागत यहां किया गया है वैसा स्वागत तो मिलना नामुमकिन है. इस भावपूर्ण स्वागत के लिए हम सारी जिंदगी भर आभारी रहेंगे. पातालकोट को हमेशा याद रखेंगे.

कलेक्टर ने की अपील- लोग आकर देखें पातालकोट
कलेक्टर शीतला पटले ने कहा कि जैसाकि आप जानते है कि पातालकोट हमारे छिंदवाड़ा का बहुत ही सुंदर और प्रकृति की सुंदरता से भरा स्थल है. यहां की संस्कृति प्राचीन काल से है, साथ ही वन संपदा है, औषधियां हैं वो भी बहुत विशेष हैं. भारिया जनजाति और उनकी संस्कृति खास और अद्भुत जगह है. इसे देखते हुए वर्ल्ड बुक ऑफ रिकार्ड ने पातालकोट को एक शार्टिफिकेट दिया है. हम लोगों से अपील करते हैं कि पातालकोट, जिसका सांस्कृतिक और औषधीय महत्व है. उसे देखना चाहिए, जिससे यहां की संस्कृति से वाकिफ हो सकें.

क्यों है खास पातालकोट?
मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में पातालकोट समुद्र तल से 2750 से 3250 फीट की औसत ऊंचाई पर बसा पातालकोट 79 किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है. 12 गांव पातालकोट की तलहटी में बसे हुए हैं. जिनमें आज भी कई साल पुरानी सभ्यता पल रही है. यहां पाई जाने वाली भारिया जनजाति को विशेष जनजाति का दर्जा शासन ने दिया है. बड़ी संख्या में पर्यटक यहां की वादियों को देखने पहुंचते हैं. सावन में सतपुड़ा की पहाड़ी हरियाली की चादर ओढ़ लेती है. बारिश के समय यहां का मौसम सुहावना हो जाता है.

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