कमलनाथ गुट और जीतू पटवारी आया एक साथ, लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस में बड़ी हलचल
लोकसभा चुनाव से पहले मध्यप्रदेश कांग्रेस के लिए एक अच्छी खबर है. अमूमन गुटों में बंटी नजर आने वाली कांग्रेस के अंदर से अब खबर सामने आ रही है कि पीसीसी चीफ जीतू पटवारी और पूर्व सीएम कमलनाथ के गुट में समझौता हो गया है.

MP Congress: लोकसभा चुनाव से पहले मध्यप्रदेश कांग्रेस के लिए एक अच्छी खबर है. अमूमन गुटों में बंटी नजर आने वाली कांग्रेस के अंदर से अब खबर सामने आ रही है कि पीसीसी चीफ जीतू पटवारी और पूर्व सीएम कमलनाथ के गुट में समझौता हो गया है. कभी-कभी अलग दिशाओं में चलते नजर आने वालें दोनों नेताओं के बीच लोकसभा चुनाव में जी-जान से कांग्रेस के लिए काम करने को लेकर सहमति बन गई है. ये सब हो पाया है, कमलनाथ की बीजेपी में एंट्री रुक जाने की वजह से.
कमलनाथ बीते कुछ दिनों से पूरे देश की चर्चाओं के केंद्र में थे. हर कोई मान रहा था कि कमलनाथ अपने सांसद बेटे नकुलनाथ के साथ बीजेपी में शामिल हो जाएंगे. लेकिन पर्दे के पीछे बीजेपी और कांग्रेस में कमलनाथ को लेकर बहुत कुछ चला. बीजेपी की केंद्रीय कार्यसमिति की बैठक के दौरान नेताओं ने इस बात का विरोध किया कि कमलनाथ को बीजेपी में लाया जाए, जिसके बाद से इन बातों को विराम लगा और खुद कमलनाथ को भी सामने आकर बोलना पड़ा कि वे बीजेपी में नहीं जा रहे और ये सब मीडिया की कयासबाजी थी और वे जीवन पर्यंत कांग्रेस में ही रहेंगे.
इसके बाद जीतू पटवारी ने भी कमलनाथ के समर्थन में बयान दिए. उनको इंदिरा गांधी का तीसरा बेटा तक बता दिया. जिसके बाद ऐसा माना जाने लगा कि पार्टी के अंदर कमलनाथ और जीतू पटवारी की जो राहे अलग-अलग दिखती थीं वो स्थितियां विपरीत देख एक साथ आने को मजबूर हो गई हैं. कमलनाथ और जीतू पटवारी के बीच फोन पर चर्चा भी हुई थी, जिसके बाद कमलनाथ को लेकर जीतू पटवारी पॉजीटिव बयान देने लगे.
सज्जन वर्मा, कांतिलाल भूरिया, जीतू पटवारी सब आए एक साथ
सज्जन वर्मा, कांतिलाल भूरिया ये सभी कमलनाथ गुट के प्रमुख हिस्सा हैं. लेकिन बीते रोज रतलाम में हुई प्रेस कांफ्रेंस में पीसीसी चीफ जीतू पटवारी के साथ सज्जन वर्मा और कांतिलाल भूरिया कंधे से कंधा मिलाकर चलते नजर आए. जीतू पटवारी प्रेस कांफ्रेंस के दौरान जब सवालों के जवाब दे रहे थे तो उनके दाए-बाए बैठे सज्जन सिंह वर्मा और कांतिलाल भूरिया उनका साथ देते हुए दिख रहे थे. कांग्रेस पार्टी के अंदर ऐसी एकजुटता देखना ही अपने आप में एक बड़ी खबर बन जाती है, क्योंकि यहां एकजुटता कम और गुटबाजी ज्यादा दिखाई देती रही है. फिलहाल लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस के लिए ये कुछ राहत देने वाली खबर मानी जा सकती है.
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