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जिस क्षेत्र ने ‘पांव-पांव वाले भैया’ को बनाया मध्यप्रदेश का मुख्यमंत्री, जानें उस सीट का सियासी गणित

MP Election Budhni Vidhansabha: मध्यप्रदेश में आने वाले दिनों में विधानसभा चुनाव (Vidhan Chunav) होने वाले हैं. जिसको दोनों ही पार्टियों ने अपनी तैयारियां तेज कर दी हैं. प्रदेश की सबसे चर्चित विधानसभा क्षेत्र बुधनी (Budhni Vidhansabha) में चुनाव को लेकर सरगर्मी तेज हो गई है. दरअसल, मध्य प्रदेश की राजनीति में बुधनी विधानसभा का बेहद […]
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MP Election Budhni Vidhansabha: मध्यप्रदेश में आने वाले दिनों में विधानसभा चुनाव (Vidhan Chunav) होने वाले हैं. जिसको दोनों ही पार्टियों ने अपनी तैयारियां तेज कर दी हैं. प्रदेश की सबसे चर्चित विधानसभा क्षेत्र बुधनी (Budhni Vidhansabha) में चुनाव को लेकर सरगर्मी तेज हो गई है. दरअसल, मध्य प्रदेश की राजनीति में बुधनी विधानसभा का बेहद अहम स्थान है, क्योंकि प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान यहीं से चुनकर आते हैं, और वे लगातार इस क्षेत्र से 4 बार से विधायक हैं.

मध्य प्रदेश की बुधनी विधानसभा सीट सीहोर जिले में आती है. यह मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का गृह क्षेत्र है. बुधनी में करीब 40 फीसदी आदिवासी वोटर्स हैं. यह सीट 1957 में वजूद में आई. बुधनी में 15 चुनाव हुए हैं. इन 15 चुनाव में 6 बार बीजेपी को जीत मिली है तो 5 बार कांग्रेस को जीत मिली है. कांग्रेस को आखिरी बार इस सीट पर जीत 1998 में मिली थी. तब देव कुमार पटेल यहां के विधायक बने थे.

क्या कहते हैं आंकड़े?

बुधनी विधानसभा सीट पर कुल वोटरों की संख्या 2 लाख 44 हजार 580 है. इनमें पुरूष मतदाता 1 लाख 27 हजार 847, महिला मतदाता 1 लाख 16 हजार 724 है. यहां पर सबसे ज्यादा वोट आदिवासी समाज का है. 20 हजार के करीब वोट अल्पसंख्यक वर्ग की भी हैं. इस सीट पर किरार मतदाता भी खासा प्रभाव रखते हैं. यादव और किरार मतदाता ओबीसी वर्ग में आते हैं.

क्या है बुधनी का इतिहास?

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान 2006 से यहां के विधायक हैं. वहीं 2003 से इस सीट पर बीजेपी जीतती आ रही है. 2018 के विधानसभा चुनाव में बुदनी में सीएम शिवराज ने कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव को शिकस्त दी थी. इस चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी को 64493 वोट और सीएम शिवराज को 123492 वोट मिले थे.

2013 के चुनाव में शिवराज सिंह चौहान ने कांग्रेस के महेंद्र सिंह चौहान को 84 हजार से ज्यादा वोटों से हराया था. शिवराज को चुनाव में 128730 वोट मिले थे. जबकि महेंद्र सिंह चौहान को 43925वोटों से हराया था. शिवराज को चुनाव में 128730 वोट मिले थे. जबकि महेंद्र सिंह चौहान को 43925 वोट ही मिल पाए थे.

2008 के चुनाव में भी शिवराज सिंह चौहान ने जीत हासिल की थी. इस बार उन्होंने कांग्रेस के महेश सिंह राजपूत को हराया था. शिवराज सिंह चौहान को इस चुनाव में में 75828 वोट मिले थे. वहीं कांग्रेस के महेश सिंह राजपूत को 34303 वोट मिले थे. शिवराज सिंह चौहान ने इस चुनाव में 40 हजार से ज्यादा वोटों से जीत हासिल की थी. 2006 में मुख्यमंत्री बनने के बाद यहां से तत्कालीन विधायक राजेंद्र सिंह ने सीएम शिवराज के लिए अपनी सीट खाली की थी, जिसके बाद से ही यहां शिवराज सिंह चौहान यहां चुनते आ रहे हैं.

कांग्रेस किस पर लगा सकती है दांव?

सीएम शिवराज के गढ़ को कांग्रेस अपने पाले में लाने की पुरजोर कोशिश कर रही है. यही कारण है कि 2018 के विधानसभा चुनाव में पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव को चुनावी मैदान में उतारा था. लेकिन वे भी सीएम शिवराज के गढ़ को हिला नहीं पाए. 2023 के विधानसभा चुनाव की बात करें तो कांग्रेस राजकुमार पटेल या फिर महेश राजपूत को अपना प्रत्याशी घोषित कर सकती है.

राजकुमार पटेल को कांग्रेस ने साल 1993 विधानसभा सीट से टिकट दिया था. इस चुनाव में राजकुमार पटेल ने भाजपा के उम्मीदवार को भारी अंतर से हराया था. दिग्विजय सिंह सरकार में राजकुमार पटेल को शिक्षा मंत्री बनाया गया था. सुषमा स्वराज के खिलाफ जब कांग्रेस ने पटेल को अपना प्रत्याशी बनाया तो पटेल सही समय पर अपना नामांकन दाखिल नहीं कर सके. जिसकी वजह से उन्हें पार्टी से निलंबन झेलना पड़ा था. कई साल बाद लगभग 2012 में उनकी कांग्रेस में वापसी हुई. तब से वह बुधनी विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने के इच्छुक है. ऐसा माना जा रहा है कि कांग्रेस भी पटेल पर अपना दांव लगा सकती है.

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