छत्तीसगढ़ की तर्ज पर मध्यप्रदेश में भी दो डिप्टी सीएम! रेस में ये नाम सबसे आगे
मध्यप्रदेश का जो सामाजिक ताना-बाना है, उसमें ओबीसी वर्ग सबसे अधिक संख्या में हैं और दूसरा प्रभावशाली वर्ग है आदिवासी वर्ग. इसके बाद आते हैं दलित एवं सवर्ण वर्ग के लोग.

Deputy CM in MP: छत्तीसगढ़ जैसे छोटे राज्य में बीजेपी ने सभी वर्गों को साधने के लिए एक सीएम और दो डिप्टी सीएम का फाॅर्मूला लागू किया है. बीजेपी आलाकमान ने विष्णुदेव साय को सीएम तो अरुण साव और विजय शर्मा को डिप्टी सीएम बनाया है. इस फॉर्मूले के जरिए बीजेपी ने छत्तीसगढ़ में सभी वर्गों को साधने की कोशिश की है. सीएम आदिवासी वर्ग से हैं और दोनों डिप्टी सीएम सवर्ण वर्ग और ओबीसी वर्ग से हैं. इस प्रकार समाज के हर वर्ग को साधने में बीजेपी छत्तीसगढ़ में सफल हुई है. अब अनुमान लग रहे हैं कि ठीक यही फॉर्मूला बीजेपी मध्यप्रदेश में भी लागू कर सकती है.
मध्यप्रदेश का जो सामाजिक ताना-बाना है, उसमें ओबीसी वर्ग सबसे अधिक संख्या में हैं और दूसरा प्रभावशाली वर्ग है आदिवासी वर्ग. इसके बाद आते हैं दलित एवं सवर्ण वर्ग के लोग. जिस तरह से मध्यप्रदेश में बीजेपी के पास मुख्यमंत्री पद के दावेदारों की संख्या आधा दर्जन से अधिक हो गई है और अलग-अलग गुट खड़े हो गए हैं तो ऐसे में सभी वर्गों और सभी गुटों को संतुष्ट करने के लिए बीजेपी एक सीएम और दो डिप्टी सीएम का फॉर्मूला मध्यप्रदेश में भी लागू कर सकती है.
राजनीतिक पंडित अनुमान लगा रहे हैं कि मध्यप्रदेश का मुख्यमंत्री हमेंशा की तरह इस बार भी ओबीसी वर्ग से हो सकता है लेकिन यदि दो डिप्टी सीएम मध्यप्रदेश में भी देना पड़ जाते हैं तो फिर वो दो चेहरे कौन होंगे जिनको बीजेपी मध्यप्रदेश में डिप्टी सीएम के रूप में प्रोजेक्ट कर सकती है.
डिप्टी सीएम के रूप में इन नामों पर चल रही है चर्चा
सवर्ण या सामान्य वर्ग
उम्मीद जताई जा रही है कि बीजेपी सामान्य या सवर्ण वर्ग से एक डिप्टी सीएम देंगे. इसमें सबसे प्रबल दावेदार के रूप में वीडी शर्मा का भी नाम है. क्योंकि वे बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष होने के साथ ही सीएम शिवराज सिंह चौहान के खास भी माने जाते हैं और उनके साथ वीडी शर्मा की बॉंडिंग भी अच्छी है.
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दूसरा नाम है नरोत्तम मिश्रा. हालांकि ये दतिया सीट पर अपना चुनाव हार चुके हैं लेकिन ऐसी चर्चाएं चल रही हैं कि इनको डिप्टी सीएम बनाकर कुछ समय रखा जा सकता है और फिर किसी सुरक्षित सीट को खाली कराकर उस पर उपचुनाव कराके इनको डिप्टी सीएम के रूप में आगे ले जाया जा सकता है. यदि डिप्टी सीएम नहीं बनाते हैं तो इनको बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष के रूप में भी एडजस्ट कर सकती है.
तीसरा नाम गोपाल भार्गव भी हो सकता था लेकिन सूत्रों के अनुसार उन्होंने डिप्टी सीएम बनने से इनकार किया है और वे अपनी दावेदारी सीएम के रूप में कर रहे हैं.
दलित वर्ग और आदिवासी वर्ग
इसमें सबसे आगे हैं सिंधिया गुट के और सांवेर से जीतकर आए विधायक तुलसी सिलावट. वे शिवराज सरकार में जल संसाधन मंत्री थे. सिंधिया गुट के सबसे करीबी नेता हैं तुलसी सिलावट. यदि बीजेपी दलित वर्ग से किसी को डिप्टी सीएम बनाएगी और सिंधिया गुट को भी साधना चाहेगी तो फिर तुलसी सिलावट का नाम सबसे आगे रहेगा.
वहीं आदिवासी वर्ग में संपतिया उईके का नाम डिप्टी सीएम के रूप में चल रहा है. संपतिया उईके मध्यप्रदेश से बीजेपी की आदिवासी नेता हैं. 2017 में जब केंद्रीय मंत्री अनिल माधव दवे का निधन हो गया था तो राज्यसभा की एक सीट बीजेपी की खाली हो गई थी और तब उप चुनाव के जरिए संपतिया उइके को निर्विरोध राज्य सभा सांसद चुना गया था. वर्तमान में मंडला से जीतकर आई हैं और कांग्रेस नेता अशोक मर्सकोले को 15 हजार वोटों से हराया है.
मध्यप्रदेश के लिए ये हो सकता है बीजेपी का फॉर्मूला
फॉर्मूला नंबर 1- ओबीसी वर्ग से सीएम, दलित वर्ग से एक डिप्टी सीएम और दूसरा आदिवासी वर्ग से डिप्टी सीएम. सवर्ण वर्ग के उम्मीदवार को बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष के रूप में एडजस्ट कर सकती है.
फॉर्मूला नंबर 2– ओबीसी वर्ग से सीएम, दलित वर्ग से एक डिप्टी सीएम, दूसरा सवर्ण वर्ग से एक डिप्टी सीएम तो ऐसी स्थिति में बीजेपी किसी आदिवासी नेता को प्रदेश अध्यक्ष बना सकती है.
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