MP POLITICAL NEWS: रायपुर में कांग्रेस का 3 दिवसीय राष्ट्रीय अधिवेशन बीते रविवार को समाप्त हो गया. अधिवेशन में मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने आर्थिक प्रस्ताव पेश किया था. इस आर्थिक प्रस्ताव के जरिए कमलनाथ ने एक तरह से मध्यप्रदेश में कांग्रेस की और खुद की चुनावी रणनीति को देश के सामने प्रस्तुत कर दिया. आर्थिक प्रस्ताव पेश करते हुए कमलनाथ ने लंबा-चौड़ा भाषण भी दिया. जिसमें कोर इश्यू पूरी तरह से बेरोजगारी को रखा गया. हालांकि यह आर्थिक प्रस्ताव सिर्फ मध्यप्रदेश को ध्यान में रखते हुए नहीं रखा गया था. इस आर्थिक प्रस्ताव के जरिए कमलनाथ ने कांग्रेस की केंद्र में सरकार बनने पर किस तरह की आर्थिक नीतियां अपनाई जाएंगी? उसे लेकर भी कमलनाथ ने कांग्रेस पार्टी की ओर से विजन पेश किया. आपको हम बताते हैं कि कमलनाथ के आर्थिक प्रस्ताव में क्या कुछ खास था? और क्यों बोला जा रहा है कि यह आर्थिक प्रस्ताव मध्यप्रदेश में कांग्रेस की चुनावी रणनीति को बयां कर रहा है?
कमलनाथ ने बीते शनिवार को रायपुर में कांग्रेस के राष्ट्रीय अधिवेशन में इस आर्थिक प्रस्ताव को प्रस्तुत किया. जिसमें कमलनाथ ने बताया कि ‘मध्यप्रदेश में बेरोजगारी का स्तर अपने चरम पर है. 5वीं,8वीं,10वीं,12वीं पास के स्तर पर और ग्रेज्यूएट और पोस्ट ग्रेज्यूएट और हायर एजूकेशन कर चुके लेवल पर अलग तरह की बेरोजगारी का सामना युवा कर रहे हैं’.
‘कई इंवेस्टर्स समिट मध्यप्रदेश में बीजेपी ने 18 साल में कराई लेकिन रियल निवेश ग्राउंड पर नहीं आया और उसकी वजह से न तो नए उद्योग-धंधे लगे और न ही नए रोजगार निर्मित हुए. इसलिए मध्यप्रदेश में बेरोजगारी की स्थिति गंभीर है और सिर्फ कांग्रेस ही मध्यप्रदेश में बेरोजगारी को समाप्त करने का काम कर सकती है’.
आर्थिक प्रस्ताव में कमलनाथ ने कहीं यह बड़ी बातें
कमलनाथ ने आर्थिक प्रस्ताव के जरिए बताया कि ‘यदि मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनती है तो शहरी मनरेगा और सरकारी भर्तियां बड़े पैमाने पर होंगी. सरकारी और अर्ध सरकारी निकायों, सशस्त्र बलों, अर्धसैनिक बलों और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में सभी रिक्तियों को तुरंत भरने के लिए अपनी प्रतिबद्धता को दोहराते हैं’. सशस्त्र बलों और केंद्रीय विभागों में भर्ती की बात उन्होंने केंद्र में कांग्रेस की सरकार बनने के संबंध में कही. विकास का छिंदवाड़ा मॉडल पूरे मध्यप्रदेश में लागू करने की बात भी कमलनाथ द्वारा की गई.
कमलनाथ के अनुसार कांग्रेस सरकार में 2013-14 में देश की विकास दर 6.9% थी जो वित्त वर्ष 2019-20 में घटकर 3.7% रह गई. इसे ठीक करने का काम कांग्रेस सरकार केंद्र में आने पर करेगी. यूपीए सरकार ने 10 वर्ष के कार्यकाल में 27 करोड़ों लोगों को गरीबी से बाहर निकाला.
कमलनाथ ने कहा कि हमारा बढ़ता व्यापार घाटा चिंता का कारण है. विशेष रूप से चीन के साथ जिसने 2022 में 100 बिलियन डॉलर का आंकड़ा पार कर लिया है. हमें चीन के साथ व्यापार शर्तों का पुनर्मूल्यांकन करना चाहिए. ग्रामीण मनरेगा की तर्ज पर शहरी मनरेगा शुरू करने की जरूरत है.
कमलनाथ के अनुसार इस समय दुनिया की सबसे अधिक 22.89 करोड़ गरीब लोग भारत में रह रहे हैं. कांग्रेस न्याय योजना लाकर गरीबी दूर करने का प्रयास कांग्रेस देश में करेगी. कमलनाथ ने कहा कि मोदी सरकार के बजट में पहली बार सामाजिक क्षेत्र का बजट कुल बजट का 18% रहा है. ऐसा पहली बार है जब सामाजिक क्षेत्र के लिए बजट का 20% से कम आबंटन किया गया हो. यह मोदी सरकार की गरीब और मध्यमवर्गीय विरोधी नीति का असर है.
कमलनाथ ने बताया कि कांग्रेस पार्टी उन महिला गृहिणियों को भत्ता देगी, जो दिन में कई घंटे बिना पारिश्रमिक के काम करती हैं. वित्तीय वर्ष 2022- 23 में केंद्र से राज्यों को लगभग 63000 करोड़ हस्तांतरित करने का बजट था, लेकिन यह नहीं किया गया. यह राज्यों के अधिकारों पर सीधा हमला है.
कमलनाथ ने कहा कि जब मोदी सरकार बनी थी तब प्रत्येक भारतीय पर ₹43124 का कर्ज था जो अब बढ़कर ₹109373 प्रति व्यक्ति हो गया है. इस तरह मोदी सरकार ने प्रति व्यक्ति कर्ज में ढाई गुना की वृद्धि कर दी है.
इनपुट: अभिषेक शर्मा, इजहार हसन खान की रिपोर्ट
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