दिग्विजय सिंह के गढ़ राघोगढ़ में इस जयस नेता ने मंच से जयवर्धन से पूछा ऐसा सवाल कि जोड़ लिये हाथ
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MP Chunav 2023: मध्य प्रदेश में दिग्विजय सिंह के गढ़ राघोगढ़ में जयस (JAYS) ने रविवार को जोरदार उपस्थिति दर्ज कराई. जयस नेताओं ने आदिवासी रैली निकाली. इस रैली में भारत राष्ट्र समिति के नेता आनंद राय और पूर्व मंत्री जयवर्धन सिंह (Jaivardhan Singh) भी शामिल हुए. लेकिन इस दौरान आनंद राय (Anand Rai) ने आदिवासी सम्मेलन में मंच से ऐसा सवाल दाग दिया कि जयवर्धन सिंह को हाथ जोड़ना पड़ गया. दरअसल, आदिवासी बहुल क्षेत्र होने के बावजूद इस क्षेत्र में आदिवासियों को टिकट नहीं दिया गया, इस पर आनंद राय ने पूछा कि दिग्विजय सिंह (Digvijay Singh) ने कितनी सीटों पर आदिवासियों को टिकट दिया. इस पर जयवर्धन ने हाथ जोड़ लिया.
आनंद राय ने कहा- “राघोगढ़, चाचौडा समेत राजगढ़ जिले की 9 सीटों में से एक भी सीट पर आदिवासी नेता को आखिर टिकट क्यों नहीं दिया गया. जबकि इन सभी विधानसभाओं में चार लाख से ज्यादा आदिवासी वोटर हैं. आनंद राय ने इतिहास दोहराते हुए कहा कि राघोगढ़ क्षेत्र 1673 से पहले भील प्रदेश था. आदिवासियों को अपने हक की लड़ाई लड़नी होगी. इस क्षेत्र से भी आदिवासी नेता को चुनाव में उतारेंगे. आदिवासियों को अपना हक और अधिकार छीनना होगा. सभी जगह भाजपा और कांग्रेस के विधायक सांसद हैं. गुना-राजगढ़ जिले में से कम से कम 2 आदिवासी विधायक चुनकर विधानसभा में भेजेंगे.”
जब 70 फीसदी आदिवासी तो फिर विधायक कोई और कैसे?
मंच से हुंकार भरते हुए डॉक्टर आनंद राय ने बताया कि बमोरी विधानसभा क्षेत्र में 70 प्रतिशत आदिवासी हैं. लेकिन उसके बाद भी बीजेपी का विधायक है. इस बार हम बमोरी से अपना विधायक चुनेंगे और आदिवासी विधायक बनाएंगे. जय जोहार का नारा देकर आनंद राय ने राघोगढ़ में आदिवासियों को एकजुट करने की कोशिश की.
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जयस के राष्ट्रीय संयोजक व कांस्टेबल विक्रम भी मंच से बोले
SAF 26 बटालियन में पदस्थ कांस्टेबल विक्रम अछालिया ने भी मंच से भाषण देते हुए आदिवासियों की बात को आगे बढ़ाया.विक्रम JAYS के राष्ट्रीय संयोजक हैं. विक्रम अछलिया ने कहा कि जो धोती से लेकर पगड़ी तक पहने वही देश का मालिक है. देश के अधिकारी और कानून सही दिशा में काम करें. आदिवासियों ने कभी भी कुदरत के विपरीत कार्य नहीं किया. जिसकी जमीन है वही मालिक भी हैं. विक्रम अछलिया ने कहा कि बताया कि अन्य राज्यों की तुलना में मध्यप्रदेश में आदिवासियों की स्थिति ठीक है. झारखंड और ओडिशा में हालात ज्यादा खराब हैं.
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