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BJP को फिर झटका! अब इस पूर्व मंत्री ने दिखाए बगावती तेवर, निर्दलीय चुनाव लड़ने का किया ऐलान

अमर ताम्रकर

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MP Election 2023: मध्य प्रदेश विधानसभा को लेकर उम्मीदवारों के नामांकन का दौर जारी है, लेकिन पार्टियों में बगावत का दौर खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है. प्रदेश शासन के पूर्व मंत्री एवं 2018 में कटनी जिले की बड़वारा विधानसभा से पराजित उम्मीदवार मोती कश्यप ने बागी तेवर दिखाना शुरू कर दिए हैं. मोती कश्यप बीजेपी से बगावत कर बड़वारा विधानसभा से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में नामांकन दाखिल करने वाले हैं.

मोती कश्यप के इस कदम से पार्टी में हड़कंप है और उन्हें मनाने का दौर जारी है. MPTAK से फोन पर हुई बातचीत पर उन्होंने कहा कि मैंने नामांकन फार्म ले लिया है और एक-दो दिन में नामांकन फार्म निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में जमा करूंगा. मेरा फैसला अडिग है और मैं हर हाल में चुनाव लड़ूंगा.

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बड़वारा विधानसभा सीट पर बढ़ सकती हैं बीजेपी की मुश्किलें

पूर्व मंत्री एवं बड़वारा से पूर्व प्रत्याशी मोती कश्यप ने इस बार पुनः पार्टी से टिकट मांगी थी, लेकिन उनका टिकट काटकर धीरेंद्र सिंह को भाजपा ने अपना उम्मीदवार बनाया है. पार्टी के फैसले से नाराज मोती कश्यप निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में उतरेंगे. मोती कश्यप की गिनती माझी समाज के बड़े चेहरों में होती है. अकेले बड़वारा विधानसभा क्षेत्र में 33 हजार मतदाता मांझी समाज के हैं. ऐसे में मोती कश्यप की नाराजगी भाजपा को भारी पड़ सकती है. कुछ दिनों पूर्व उनके पुत्र ने भी भाजपा से इस्तीफा दे दिया था. अब देखना होगा कि आने वाले दिनों में पार्टी उन्हें मनाने में सफल हो पाती है या फिर नहीं, अगर नहीं देखना होगा की मोती कश्यप पार्टी को कितना नुकशान पहुंचा पाते हैं.

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कैसा रहा बड़वारा विधानसभा का राजनीतिक इतिहास

रिजर्व बड़वारा सीट ही जिले की वो सीट है जिस पर कांग्रेस को 2018 के चुनाव में जीत मिली थी. बीजेपी ने खास योजना के तहत इस सीट पर अगस्त में ही अपने उम्मीदवार के नाम का ऐलान कर दिया था. बड़वारा सीट के राजनीतिक इतिहास पर नजर डालें तो 1990 से लेकर अब तक यहां पर 4 दलों को जीत मिली है. 1990 में कांग्रेस को जीत मिली तो 1993 में जनता दल के खाते में यह जीत गई.

1998 में यह सीट कांग्रेस के पास आ गई. 2003 के चुनाव में जनता दल यूनाइटेड को यहां से जीत मिली. लेकिन 2008 से यह सीट बीजेपी के पास आ गई. मोती कश्यप ने 2008 के बाद 2013 के चुनाव में भी जीत हासिल की थी. 2014 के उपचुनाव में भी वह विजयी रहे. फिर 2018 के चुनाव में यह सीट कांग्रेस के पास चली गई. तब विजयराघवेंद्र सिंह विधायक बने थे.

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