MP में 47 सीटों पर उम्मीदवार उतारेगी ‘जयस’! जानिए किसके हाथों में है 80 विधानसभा सीटों की चाबी?
ADVERTISEMENT
Madhya Pradesh Assembly Election 2023: आगामी विधानसभा चुनावों की हलचल प्रदेश में अभी से ही नजर आ रही है. एक ओर जहां भाजपा विकास यात्रा के जरिए गांव-गांव पहुंच रही है, तो वहीं दूसरी ओर कांग्रेस की स्ट्रेटेजी भी तैयार है. लेकिन ये दोनों ही प्रतिद्वंदी पार्टियों की चिंता आदिवासी संगठन जयस (जय आदिवासी युवा शक्ति संगठन) ने बढ़ा दी है. जयस ने इस बार 10 विधायक बनाने का लक्ष्य तय किया है. उसका मानना है कि जो पार्टी उनकी मांगों को पूरा करेगी, उसके साथ जाने का मन बना सकते हैं. आइए जानते हैं कि जयस कि स्ट्रेटजी क्या है? और प्रदेश की राजनीति में ये क्यों खास हैं?
जयस यानी कि जय आदिवासी युवा शक्ति संगठन इन दिनों सुर्खियों में छाया हुआ है. प्रदेश की राजनीति में इसका खास महत्व इसलिए है, क्योंकि 80 विधानसभा सीटों पर आदिवासी वोटरों का सीधा प्रभाव है. इनमें से 47 सीटें आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित हैं. जयस का कहना है कि अगर मुख्य पार्टियां उनकी मांगें नहीं मानती हैं तो वे इन 47 सीटों पर अपना उम्मीदवार उतारेंगे. 2022 में हुए पंचायत चुनावों में जयस ने काफी अच्छा प्रदर्शन किया, इस वजह से जयस के नेताओं का मानना है कि कहीं न कहीं भाजपा और कांग्रेस दोनों ही उनसे डरी हुई हैं.
भोपाल में चंद्रशेखर रावण की हुंकार, बोले- MP में आदिवासी सीएम बनाएंगे, दावा- दशहरा मैदान में जुटे 5 लाख लोग
पंचायत चुनावों में किया बेहतरीन प्रदर्शन
हर दिन आदिवासियों के बीच जयस की पैठ बढ़ती जा रही है. हाल ही में हुए पंचायत चुनावों में जयस यानी कि जय आदिवासी युवा शक्ति संगठन के 40 सरपंच, 20 जनपद सदस्य और 4 जिला पंचायत सदस्य निर्वाचित हुए हैं. इससे पता लगता है कि आदिवासी क्षेत्रों में जयस का दायरा और प्रभाव बढ़ता जा रहा है. अब जयस आदिवासियों के लिए आरक्षित सभी 47 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने की तैयारी में है. ये कांग्रेस और बीजेपी दोनों के लिए चिंता का विषय है. जयस के प्रदेश संरक्षक डॉ अभय ओहरी ने विधानसभा चुनावों को लेकर MP Tak से खास बातचीत की.
ADVERTISEMENT
Pradyuman Singh Tomar Exclusive: सिंधिया सीएम फेस होंगे या नहीं, इसका फैसला अब BJP पर छोड़ा
कांग्रेस या बीजेपी किसके साथ जाएगी जयस?
जयस के प्रदेश संरक्षक डॉ अभय ओहरी ने बताया कि उनका लक्ष्य मध्यप्रदेश की विधानसभा में कम से कम 10 विधायक भेजना है, जो आदिवासियों के हितों की बात कर सकें. 2018 के विधानसभा चुनावों में जयस के उम्मीदवार को कांग्रेस ने टिकट दिया था, लेकिन इस बार पार्टी ने कहा है कि अगर उनकी मांगे नहीं मानी जाती हैं तो वे अपने निर्दलीय उम्मीदवार उतारेगी. जो पार्टी जयस की शर्तों को मानेगी उसके साथ जाने का मन जयस बना सकती है.
भोपाल में बीजेपी दफ्तर के बाहर आप पार्टी का जोरदार प्रदर्शन, कहा- ‘अडानी से दोस्ती निभा रहे हैं मोदी’
पेसा एक्ट को लेकर मांग
डॉ ओहरी का कहना है कि आदिवासियों के लिए किए जा रहे कार्य केवल पेपर पर हैं. उन्होंने पेसा एक्ट का मुद्दा भी उठाया. प्रदेश संरक्षक ने कहा कि पेसा एक्ट स्व दिलीप सिंह भूरिया के ड्राफ्ट वाला लागू होता है, तो ही आदिवासियो को लाभ है. पेसा यानी कि पंचायत एक्सटेंशन टू शेड्यूल्ड एरियाज एक्ट आदिवासियों के हितों से जुड़ा हुआ है. इसके मुताबिक आदिवासियों के लिए आरक्षित क्षेत्रों वाली पंचायतों को अपने जंगल, जमीन और जल का अधिकार है. ड्राफ्ट में ये प्रावधान था कि आदिवासियों के मामलों में बाहरी पुलिस या प्रशासन हस्तक्षेप नहीं करेगा. इन मामलों में ग्राम पंचायत की इजाजत लेना जरूरी होगा. डॉ अभय ओहरी का कहना है कि धरातल की हकीकत इससे इतर है.
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT